कहते हैं ज़िन्दगी में कुछ भी बेहतर करने के लिए उम्र मायने नहीं रखती। बस हमें यह निर्धारित करना है कि हम इस समाज या वातावरण से क्या सीख रहे हैं। स्वस्थ खाना तो सबको खाना चाहिए और इसके लिए आप खुद अपने घर में फल-सब्जियां उगा सकते हैं। आपका अपने काम के प्रति समर्पण ज़रूरी है। आप भी इस सात साल के लड़के से सीख सकते हैं। कि किस तरह गार्डनिंग कर इसको रोजगार का जरिया बना सकते हैं।
कहते हैं ज़िन्दगी में कुछ भी बेहतर करने के लिए उम्र मायने नहीं रखती। बस हमें यह निर्धारित करना है कि हम इस समाज या वातावरण से क्या सीख रहे हैं। स्वस्थ खाना तो सबको खाना चाहिए और इसके लिए आप खुद अपने घर में फल-सब्जियां उगा सकते हैं। हम सबके अंदर कुछ न कुछ तो विशेष किसान बसता है। ज़रूरत है तो बस उसे पहचानने की और फिर हम सब, कुछ न कुछ उगा सकते हैं। ज़रूरी नहीं कि कुछ उगाने के लिए आपको बड़े खेत ही चाहिए, अगर आप चाहें तो अपने घर के छोटे से छोटे कोने को हरियाली से भर सकते हैं। सबसे ख़ास बात यह है कि पेड़-पौधे उगाने की कोई उम्र नहीं होती है। इस बात को साबित कर रहे हैं 9 साल के वियान। इंदौर में अपनी माँ, नाना और नानी के साथ रहने वाले वियान अपनी पढ़ाई के साथ-साथ फल और सब्जियां भी उगा रहे हैं। इतना ही नहीं, गार्डनिंग के अपने इस शौक से उन्होंने अपना एक छोटा-सा स्टार्टअप ‘Back to Roots’ भी शुरू कर दिया है।
वह शायद 3-4 साल के होंगे, जब से अविषा उन्हें पेड़-पौधों के बारे में बता रही हैं। उसकी माँ कहतीं हैं, “जैसे-जैसे वियान बड़ा हो रहा था, मैं उसे प्रकृति का महत्व समझाती थी। मैंने उसे बताया कि रासायनिक सब्जियां, जो हम खाते हैं वो बिमारियों का कारण बनतीं हैं। मैंने उसे प्राकृतिक, जैविक और रसायनिक के बीच का फर्क समझाया ।
लेकिन वियान के मन में यह बात ऐसी बैठी कि उसने सब्जियां खाना छोड़ दिया। वह हमेशा अपनी माँ से पूछता कि अगर इसमें कैमिकल हैं तो वो क्यों खा रहे हैं? इसका क्या विकल्प हो सकता है? उसके सवालों के जवाब में उन्होंने कह दिया कि ‘खुद अपनी सब्जियां उगा लो!’ और बस अपनी माँ की इस एक बात से ही वियान की गार्डनिंग की शुरुआत हुई। अविषा ने भी वियान को कभी कुछ करने से नहीं रोका बल्कि जब वियान ने पेड़-पौधे लगाने की बात कही तो उन्होंने उसके इस शौक को पूरा समय दिया।
उसकी माँ ने पहले तो उसे खुद गार्डनिंग के बारे में बताया। बीज लाकर दिए और फिर उसके लिए कई ऑर्गनिक गार्डनिंग वर्कशॉप में भी गए। लोग अक्सर उसे गार्डनिंग क्लास में देखकर चौंक जाते थे क्योंकि तब उसकी उम्र कोई 6 साल होगी। पर उसे काफी प्रोत्साहन भी मिला क्योंकि सबको अच्छा लगता है कि छोटी उम्र से ही कोई बच्चा स्वस्थ खान-पान और किसानी का महत्व समझ रहा है ।
वियान को अगर पूछा जाए कि क्या उनके पौधे खराब होते हैं? तो वह झट से कहते हैं, हाँ बहुत बार खराब हुए हैं। अब आप उनसे पूछेंगे कि क्या उन्हें बुरा नहीं लगता, वह कैसे अपना मूड ठीक करते हैं? इस पर वियान हंसते हुए कहते हैं, दूसरे पौधे लगाकर। अगर एक खराब हो जाता है तो मैं और पौधे लगा देता हूँ।
वियान और उनका परिवार खुद घर पर ही जैविक स्प्रे और जैव कीट प्रतिरोधक भी बनाता है। हर रविवार को वह पेड़-पौधों के लिए पोषण टॉनिक या फिर कोई ऑर्गनिक पेस्टिसाइड बनाते हैं। एक बहुत ही आसान-सा पेस्टिसाइड बनाना, वियान हमें भी सिखा रहे हैं। वह कहते हैं कि आप एक बोतल पानी लीजिए, अब इसमें नीम के तेल की और किसी डिशवॉश लिक्विड की कुछ बूंदें मिला लीजिए। इन्हें पानी में डालकर अच्छे से मिलाइए और इस सॉल्यूशन को आप अपने पेड़ों पर स्प्रे करें। इससे किसी भी तरह के कीड़े आपके पेड़ों पर नहीं लगेंगे।
वियान ने बड़ी ही मासूमियत से अपनी माँ से एक दिन पूछा कि वे तो जैविक खा रहे हैं लेकिन दूसरे लोगों का क्या ? इस पर अविषा ने उसे सोचने के लिए कहा कि वह क्या कर सकता है? कुछ दिन बहुत सोचने के बाद वियान ने तय किया कि वह लोगों को सब्जियों के पेड़ों की पौध तैयार करके दे सकता है। इन पौध को लोग अपने घरों में लगा सकते हैं और इससे उन्हें जैविक सब्जियां मिल जाएँगी।
वियान की इसी सोच को बढ़ावा देने के लिए हमने ‘Back to Roots’ शुरू किया। वियान उस वक़्त 7 साल का था जब यह शुरू हुआ और अब दो साल हो गए हैं। इस पहल के ज़रिए वियान 100 से भी ज्यादा लोगों से जुड़े हुए हैं। हर महीने लगभग 30 से 40 लोग उनसे पौध खरीदते हैं और लॉकडाउन के दौरान तो उनकी बिक्री काफी बढ़ी है। बहुत से लोग अपने बच्चों के जन्मदिन पर उपहार के तौर पर कभी मिर्च के तो कभी टमाटर के पौधे लेते हैं। इस सबसे हर महीने वियान की लगभग 10 हज़ार रुपये तक की कमाई हो जाती है।
कमाई से भी ज्यादा उसकी मां को इस बात से ख़ुशी होती है कि उनका बेटा इतनी कम उम्र में प्रकृति का महत्व सीख रहा है। उनके घर में सस्टेनेबिलिटी को काफी महत्व दिया जाता है। उनकी कोशिश यही रहती है कि वह प्लास्टिक आदि कम से कम इस्तेमाल करें। साथ ही, लोगों को जागरूक करें कि खुद सब्ज़ियाँ उगाना कितना ज्यादा ज़रूरी है।
नन्हा सा वियान हम सबके लिए प्रेरणा है और वह अपनी उम्र के बच्चों को सिर्फ यही सन्देश देता है कि सबको पेड़ उगाने की कोशिश करनी चाहिए। हो सकता है कि आपको बीच में यह मुश्किल लगे पर अगर आप करते रहेंगे तो यह सब आसान हो जाएगा। वियान की यह पहल हम सबको सिखा रही है कि कोई भी काम करने के लिए उम्र मायने नहीं रखती। आपका अपने काम के प्रति समर्पण ज़रूरी है। आप भी वियान की तरह गार्डनिंग कर इसको रोजगार का जरिया बना सकते हैं।