वैसे तो कई और भी उत्पाद, जो इन दोनों जिलों की शिल्प ख़ूबसूरती को बढ़ाते हैं मगर मुरादाबाद का नाम काफी प्रचलित है पीतल के नाम से परन्तु एटा भी अपनी शख़्सियत उतनी ही रखता है पीतल के काम की जितनी मुरादाबाद रखता है। यहाँ पर तमाम कलात्मक वस्तुओं पर पीतल का पानी, या यूँ कहें की पीतल की परत चढ़ी मिलती है।
हमारी संस्कृति हमारी सभ्यता,
हमारा व्यवसाय हमारी पहचान
एक ऐसा शहर जो जाना जाता है पीतल की नगरी के नाम से। पीतल की नगरी का नाम सुनते ही आप सभी के दिमाग में उत्तर प्रदेश के शहर मुरादाबाद का नाम आ ही गया होगा, मगर साथ ही साथ आप एटा को न भूलें, जहाँ पीतल की कारीगरी बहुत प्रचलित है। जहाँ एक ओर मुरादाबाद में पीतल के छोटे बड़े सामान बनते हैं, वहीँ दूसरी ओर एटा में भी पीतल के छोट बड़े सामान बनते हैं मुरादाबाद का नाम काफी प्रचलित है पीतल के नाम से परन्तु एटा भी अपनी शख़्सियत उतनी ही रखता है, पीतल के काम की जितनी मुरादाबाद रखता है। यहाँ पर तमाम कलात्मक वस्तुओं पर पीतल का पानी, या यूँ कहें की पीतल की परत चढ़ी मिलती है।
वैसे तो इतिहास में मुरादाबाद का नाम कई और ऐतिहासिक किस्सों से भी जाना जाता है। क्योंकि यहाँ का व्यवसाय सैकड़ों सालों से प्रसिद्ध हैं। मुस्लिम शासकों से लेकर अंग्रेजी हुकूमत तक और अंग्रेजी हुकूमत से लेकर आज़ादी के बाद तक मुरादाबाद के इस पीतल व्यवसायों ने अपनी पकड़ बना कर रखी है। वहीँ एटा को देखें तो बदलती सरकारों और बदलते आधुनिक पर्यावरण के बीच भी एटा ने अपने परंरागत व्यवसायों को कहीं न कहीं ज़िंदा रखने का प्रयास किया है। इसका जो परिणाम निकल के आया है वह यह है कि पीतल की कारीगरी आज भी अपने दम से अपने पैरों पर खड़ी है।
उत्तर प्रदेश का मुरादाबाद पीतल की वस्तुओं के कारण पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। देश में सबसे ज्यादा पीतल का कारोबार यहीं होता है। और साथ-साथ एटा भी पीतल के कामों में इससे पीछे नहीं दिखता।
जिस तरह मुरादाबाद के आधुनिक कारीगरों द्वारा बनाए गए आधुनिक, आकर्षक, और कलात्मक पीतल के बर्तन, गहने और ट्राफियां मुख्य शिल्प हैं। उसी तरह एटा में घुंघरू, घंटियाँ और अन्य पीतल के उत्पाद प्रचलित हैं। जानने वाली बात ये है कि आकर्षक पीतल के बर्तन संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी और मध्य पूर्व एशिया जैसे देशों को निर्यात किए जाते हैं। इस समृद्ध शहर में हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्मों का संगम देखने को मिलता है और इसे देखकर पता चलता है कि भारत की एकता अखंड है। शहर इंडो-इस्लामिक विरासत का भंडार है।
व्यवसाय भी किस तरह हमारी संस्कृति को जोड़ने का काम करते हैं। दोनों शहर अपनी-अपनी विरासत को आज भी समेटे जी रहे हैं। बदलते समय में उन वस्तुओं को, उन कलाकृतियों को, उस कारीगरी को जीवत रखना ही विरासत के प्रति अपना समर्पण है।
1 ) पीतल की मूर्तियां- पीतल की मूर्तियां किसी के भी घर की शान बढ़ाने के लिए बहुत अच्छा प्रोडक्ट हैं। शुद्ध पीतल की मूर्ति वैसे तो महँगी पड़ती है, मगर आप पीतल का पानी चढ़ी हुई मूर्ति भी ले सकते हैं। ये कम दाम में भी मिल जाती है, जो आपके घर की शोभा बढ़ाने के लिए काफी है। ये व्यवसाय काफी पुराना और बेहतरीन व्यवसायों में से एक है। हमारी संस्कृति हमारी धरोहर को जीवित रखने वाला व्यवसाय है। पीतल की मूर्तियाँ जैसे बुद्ध की मूर्ति, राधा कृष्ण की मूर्ति आस्था से ओत-प्रोत समूचे विश्व को पहुँचती हैं। जिससे हमारे देश की संस्कृति विश्व में अपना परचम लहराने में सक्षम है। दोनों ही ज़िले में पीतल की मूर्तियां आपको आराम से मिल जाएँगी। आप ऑनलाइन भी अपने घर मंगा सकते हैं, चाहें आप मुरादाबाद से मँगवायें या एटा से मँगवायें।
2) घुंघरू,घंटी और पीतल की वस्तुएं आपके एटा में- एटा घुंघरुओं के लिए बहुत प्रसिद्द है। एटा के घुंघरू अपने द्वारा रागों की झंकार, पैरों की थिरकन, और मन मोह लेने वाली अवाज़ के लिए प्रसिद्ध है। एटा की घंटी, जो मंदिरों में लगने के काम आती है वह भी बहु चर्चित है। लोग अपने घरों के लिए भी घण्टियों का प्रयोग करते हैं। पीतल की बनी अन्य वस्तुएं भी दोनों ही जिलों की प्रसिद्ध हैं।
वैसे तो कई और भी उत्पाद, जो इन दोनों जिलों की शिल्प ख़ूबसूरती को बढ़ाते हैं मगर जो विशेष रूप से देखने को मिलती हैं, वो ये सब हैं जो ऊपर दर्शायी गयी हैं।