व्यक्तिगत से व्यक्तित्व के विकास की ओर

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12 Nov 2021
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व्यक्ति का व्यक्तित्व ही उसकी सबसे बड़ी पहचान है। चेहरे एक बार देखो या कई बार देखो, फिर भी चेहरे अपनी छाप उस तरह नहीं बिखेर पाते जो कि आपका व्यक्तित्व बयां करता है। 

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व्यक्ति का व्यक्तित्व ही उसकी सबसे बड़ी पहचान है। चेहरे एक बार देखो या कई बार देखो, फिर भी चेहरे अपनी छाप उस तरह नहीं बिखेर पाते जोकि आपका व्यक्तित्व बयां करता है। आदमी दोआयामी जीवन जीता है, एक तो वह जो उसका व्यक्तिगत जीवन है और एक वह जो उसका उसके पेशे से जुड़ा हुआ जीवन है। अब इन दोनों में किस स्वभाव को व्यक्ति कितना लम्बा जीता है, ये तो व्यक्ति के काम पर निर्भर करता है। जहाँ तक हम सभी का यही ख्याल की हम सभी अपनी व्यक्तिगत ज़िन्दगी personal life की उम्र ज़्यादा जीते हैं, बजाए पेशे से भरी ज़िंदगी। क्या अंतर है दोनों के मध्य आइये जानते हैं बाद उसके हम जाएंगे व्यक्तित्व का विकास कैसे हो क्योंकि दोनों ही तरह के जीवन को जीने के लिए हमारे व्यक्तित्व का अच्छा होना अति आवश्यक होता है।  

व्यक्तिगत जीवन

प्रत्येक व्यक्ति का व्यक्तिगत जीवन उसकी ज़िन्दगी को ओढ़े हुए चलता है, आप इसको ऐसे समझें कि मनुष्य के व्यक्तित्व की व्यक्तिगत रुपी चादर आप पूरी उम्र ढके रहते हैं, अपितु पेशे से भरा जीवन बीच-बीच में प्रत्येक दिन उसे उघारने की जद्दोजहद करता रहता है। हम जब अपने परिवार, अपने रिश्तेदारों और अपने मित्रों के बीच जो वार्तालाप या संवाद करते हैं वे सारी बातें व्यक्तिगत स्वभाव में आती हैं। जिन आदतों से, जिन व्यवहारों से या यूँ कहें कि जिन कारणों से हम अपनी वास्तविक ज़िन्दगी को बिना किसी लाभ के सीखते हैं और जीते हैं, व्यक्तिगत जीवन कहलाता है।  

व्यवसायिक या पेशेवर जीवन 

व्यक्तिगत जीवन से एक दम उलट है व्यवसायिक जीवन। जिस तरह हम अपने विचारों की श्रृंखला को व्यक्तिगत रूप में इस्तेमाल करते हैं, ठीक इसके विपरीत हम व्यवसायिक माहौल में अपने विचारों को उसी तरह विस्तरित करते हैं, यहाँ जिस तरह के काम या आईडिया की ज़रूरत होती है। प्रोफेशनल लाइफ में हमें नियमों का ध्यान रखना होता है, व्यवस्थित रहना होता है, साथ ही साथ punctual भी रहना होता है। ये कहने में कोई हैरानी कोई हिचक नहीं होनी चाहिए कि व्यवसायिक जीवन में एक प्रकार की बाध्यता अवश्य पायी जाती है। दूसरे शब्दों में कहें,' कि एक व्यवसायिक जीवन नियम, कानूनों और व्यवस्थित समय पर आधारित है। 

कैसे करें personal development को personality में परिवर्तित 

यदि हम व्यक्तिगत डेवलपमेंट की बात करें तो वह हमारे आस-पास के वातावरण पर अधिक निर्भर करता है। वातावरण के हिसाब से या उसी के अकॉर्डिंग ही आपका व्यक्तिगत विकास होता है। यदि आपके आस-पास कम पढ़े लिखे लोग होते हैं, तो आपका व्यक्तिगत विकास उस हिसाब से होगा। यदि आपके आसपास वेल एडुकेटेड या पढ़े लिखे लोगों की संख्या अधिक होती है तो आपका व्यक्तिगत और आत्मिक विकास उस तरह से होता है। आप इसको यूँ समझिये कि कोई बच्चा जिसके घर में हिंदी बोली जाती है तो वह बच्चा भी अच्छी हिंदी बोलने में सक्षम होगा न कि वह इंग्लिश बोलने लगेगा। यदि उसके रिश्तेदार अच्छी-अच्छी बातें करते हैं, अच्छी-अच्छी यूनिवर्सिटी में पढ़ते हैं या कहीं अच्छी जगह नौकरी करते हैं तो ये सब देख कर बच्चे के दिमाग में उसी तरफ मुड़ जाने का मन करता है, जो आगे चल कर उसको अच्छा और सफल इंसान बना देता है या बहका भी देता है। हमारे आस-पास के वातावरण का प्रभाव हमारे ऊपर सीधा-सीधा पड़ता है। धीरे-धीरे व्यक्ति या बच्चे का आत्मिक विकास होता है तथा उसकी पर्सनालिटी विकसित होती जाती है। 

क्यों आवश्यक है पर्सनालिटी डेवलपमेंट 

इंसान अब आदिमानव की स्थिति से बहुत आगे निकल आया है। आज की दौड़ विकसित और विकासशील समाज की दौड़ है, ऐसे में प्रत्येक व्यक्ति को यही लगता है कि उसके व्यक्तित्व का विकास कैसे हो, हर एक व्यक्ति इसी दौड़ में लगा पड़ा है। पर्सनालिटी डेवलपमेंट इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि इसी के द्वारा आपका भविष्य तय होता है। आइये जानते हैं किस तरह से हम अपनी पर्सनालिटी को डेवलप कर सकते हैं। 

educated लोगों के आसपास रहें 

आपको यदि अपनी पर्सनालिटी को विकसित करना है तो ज़्यादा-ज़्यादा पढ़े लिखे लोगों के साथ रहें। ऐसा करने से आपके मस्तिष्क में अच्छे विचार उत्पन्न होंगे साथ ही साथ आप धनात्मक पहलू से अवगत होंगे। परन्तु एक बात ये भी याद रखने जैसी है कि सफल लोगों के साथ रहने वाले लोग भी कभी-कभी निगेटिविटी को पकड़ के बैठ जाते हैं, क्योंकि उनको लगता है कि वे उनके जितना अच्छा शायद न कर पाएं। आप ऐसा विचार न जनित कर उनसे सीखने का प्रयास करें।  

ज्ञानात्मक या knowledge books (किताबें) पढ़ें 

यदि आप चाहते हैं कि लोग आपको जाने और आप एक सफल इंसान बनें तो आपको अच्छी से अच्छी किताबे पढ़नी चाहिए जो कि आपके दिमाग को तरो-ताजा और और अच्छे से अच्छा सोचने पर मजबूर करती हैं, जिस कारण आपको पता चलता है कि समाज को किस ओर ले जाना है तथा इससे आपकी पर्सनालिटी बिल्डअप होती है दिन व दिन। अधिक से अधिक ज्ञान व्यक्ति को अधिक से अधिक सफल बनाता है। 

लोगों से जितना हो सके सीखने का प्रयास करें 

यदि आप लोगों से सीखने का प्रयास जारी रखेंगे तो आपकी पर्सनलिटी अधिक से अधिक विकसित होगी। जब कोई आपको कुछ बताये तो उसको ध्यान से सुनने की कला जागृत करें, कहा जाता है कि अच्छा सुनने वाला ही अच्छा बोलने वाला हो सकता हैं। जो लोग सीखने की बजाय हमेशा सिखाने को लालायित रहते हैं, वे एक समय बाद बंद किबाड़ की भाँती हो जाते हैं। इसलिए सीखना कभी मत छोड़ें। अंग्रेजी में कहते हैं, learning is a life time proccess. So we should learn more and more.

खुद से रोज़ बात करें 

एक बात जो सबसे महत्वपूर्ण होने के बाबजूद भी हम इसका अनुसरण नहीं करते या follow नहीं करते वह है खुद से बात करना। ऐसा करने से हमको अपने भीतर क्या कमी नज़र आती है, क्या खूबी नज़र आती है का पता लगा पाना मुश्किल हो जाता है। जब भी आप समय निकाल कर स्वयं से बात करेंगे तो आप खुद को ताज़ा और चिंता मुक्त पाएंगे। पूरे दिन की समाप्ति के वक्त आप खुद को भी वक्त दें, इससे आपकी पर्सनालिटी development में चार नहीं आठ चाँद लग जायेंगे।

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