आज का दौर रफ़्तार से भरा हुआ दौर है हम सब तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। इस कारण हम अपने रहन-सहन और खान-पान पर इतना ध्यान ही नहीं दे पाते। ऐसे में हमें क्या करना चाहिए क्या एक बार रुक कर गहरी सांसे लेकर ये विचार नहीं करना चाहिए कि आज जो हम भोजन ग्रहण कर रहे हैं क्या वह स्वास्थ्य के लिहाज़ से अच्छा है या नहीं हम उसको और कितना बेहतर बना सकते हैं। हम इन सब धारणाओं को ध्यान में रखते हुए बात करते हैं।
आज का दौर रफ़्तार से भरा हुआ दौर है हम सब तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। इस कारण हम अपने रहन-सहन और खान-पान पर इतना ध्यान ही नहीं दे पाते। ऐसे में हमें क्या करना चाहिए क्या एक बार रुक कर गहरी सांसे लेकर ये विचार नहीं करना चाहिए कि आज जो हम भोजन ग्रहण कर रहे हैं क्या वह स्वास्थ्य के लिहाज़ से अच्छा है या नहीं हम उसको और कितना बेहतर बना सकते हैं। हम इन सब धारणाओं को ध्यान में रखते हुए बात करते हैं। भारत के सन्दर्भ में खाद्य उद्योग के बारे में और किस तरह उसका बदलता स्वरुप अब किस तरह से ऑनलाइन प्लेटफॉर्म या ऑनलाइन जगत में विस्तारित हो रहा है।
हम ऑनलाइन क्षेत्र में भी तरह-तरह के पकवानों से घिरे हुए हैं कि जीवन के इस क्षेत्र को अनदेखा करना बहुत कठिन है। यह न केवल भारतीय परंपरा और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, बल्कि हर क्षेत्र की अपनी प्राथमिकता है। घर के बने व्यंजन जो देश के कुछ हिस्सों में बहुत कम देखने को मिलते हैं, ऐसे व्यंजन जो आज भी अपनी ही बोली बोलते हैं। हम एक जबरदस्त बदलाव देख रहे हैं और इसके साथ खाद्य उद्योग में आने वाले रुझानों में तेजी से परिवर्तन आया है जिससे भारत के भविष्य में सुधार होने की संभावना है।
ऑनलाइन भोजन उद्योग
महामारी के दौरान विभिन्न व्यंजनों की खपत दस गुना बढ़ गई। कई तरह के लोग खाने के साथ साथ खाने में कई तरह के प्रयोग करना भी करना पसंद करते हैं। कई फ़ूड ऐप और वेबसाइट पर कूपन और छूट जैसे फ़ायदे मिलते हैं, यही वजह है कि लोग फ्री होम डिलीवरी की ओर रुख कर रहे हैं। चूंकि यह तेज़ और सुविधाजनक है, इसलिए ऑनलाइन खाना ऑर्डर करने से काम का बोझ कम हो जाता है, जिससे कई घरों को इसका लाभ मिल रह है, जो दिन प्रतिदिन अन्य कामों में घिरे रहते हैं।
घर के बने खाने की पैकिंग या बस्ताबन्दी
हम सभी जानते हैं कि विपरीत समय में खाना पकाना और काम, आजीविका पर भारी पड़ सकता है। घर के बने पैकिंग खाने तेजी से नए चलन में आ रहे हैं और लोग इसे पसंद करने लगे हैं। मूल निवासी अपने जीवन को आसान बनाने के लिए सबसे अधिक प्रचिलत खाने की तलाश कर रहे हैं और भोजन पैक एक बड़ी तस्वीर का हिस्सा बन रहे हैं।
सोशल मीडिया का प्रचलन
छोटे या बड़े प्रचारक/यूट्यूबर, व्यावहारिक खाद्य का प्रयोग वैज्ञानिकता के समान दमदार हैं। डालगोना कॉफी या डेकोरेटिंग केक की तरह, इस तरह के चलन मूल निवासियों के मुंह में पानी ला देते हैं। चूंकि नेटिज़न्स सोशल मीडिया पोस्ट की नकल करना पसंद करते हैं, जो उनके फ़ीड के शीर्ष पर ट्रेंड करते हैं, यह कहना सबसे अच्छा है कि भारत एक ऐसे भविष्य की देख रेख करता है जो एक स्वास्थ्य जीवन को आकर्षित करता है।
जिस तरह से हमारे लिए सांसे लेना अति आवश्यक है उतना ही आवश्यक है भोजन करना क्योंकि ये असीम शक्ति से आपको भरता है, व्यक्ति की चेतना उसके बाद सबसे अधिक महत्वपूर्ण है यह हमें कुछ भी कर गुज़रने को प्रेरित करती है परन्तु हमें इसका प्रयोग प्रगति के पथ की तरह करना चाहिए।