सोशल मीडिया पर अक्सर कई फ्रॉड ग्रुप भी मौजूद होते हैं। जो लोगों को अच्छे-अच्छे प्रलोभन देते हैं और उकसाते हैं कि लोग उन के द्वारा दिखाई गई चीजों को खरीदें। जिससे वित्तीय जोखिम अवश्य बढ़ता है और ऐसे मौके पर आखिर में यूजर्स के हाथ केवल निराशा ही लगती है। कई आंकड़ों में सामने आ चुका है कि ऐसे लाखों लोग हैं जिन्हें फ्रॉड के द्वारा फसाया गया और उनके पैसे लूट लिए गए।
सोशल मीडिया की लत आजकल काफी आम हो चुकी है। सभी वर्ग के लोगों को सोशल मीडिया का चलन मानसिक के साथ-साथ शारीरिक नुकसान भी पहुंचा रहा है। ऑस्ट्रेलिया में मौजूद सिडनी यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्नोलॉजी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को लेकर कुछ शोध किए हैं। जिसमें पता चला है कि सोशल मीडिया के कई बुरे परिणाम हैं। विशेषज्ञों की राय मानी जाए तो सोशल मीडिया वित्तीय जोखिम लेने के लिए इंसान को उकसाने का काम भी करता है। शोध में पाया गया है कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहा हर इंसान किसी ना किसी रूप में कई परेशानियों से जूझता है। जिसमें सबसे बड़ी समस्या नकारात्मकता की है और नकारात्मकता के दुष्प्रभाव कई हो सकते हैं। जिससे इंसान आत्महत्या तक करने पर मजबूर हो जाता है। यहां प्रमुखता से हम सोशल मीडिया के उस पहलू पर बात करेंगे। जिसमें इस शोध में पता चला है कि वित्तीय जोखिम लेने के लिए सोशल मीडिया किस तरह लोगों को उकसा रहा है।
कैसे बढ़ सकता है जोखिम?
आपके मन में सवाल उठ रहे होंगे कि कैसे सोशल मीडिया वित्तीय जोखिम लेने के लिए उकसा सकता है। हमने इस शोध के बारे में पढ़ने के बाद खुद कुछ लोगों से इसे लेकर चर्चा की और पाया कि कहीं ना कहीं सोशल मीडिया वाकई ऐसा किरदार निभाता है कि लोग पैसा खर्च करने के लिए मजबूर हो जाते हैं।
जैसा देखते हैं वैसा ही करने को ललचाते हैं लोग
हमने कई लोगों से इस बारे में चर्चा की तो पता चला कि किस तरह लोग वित्तीय जोखिम लेने पर मजबूर हो जाते हैं। एक यूजर से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि जब वह सोशल मीडिया पर कोई सामग्री देखते हैं तो उन्हें उसको देखकर वैसा ही कुछ करने की इच्छा होती है। उदाहरण के रूप में समझा जाए तो अगर किसी दोस्त ने अपने फोटो में कोई अच्छी घड़ी या अन्य उपकरण दिखाया है तो उसे देखकर सामने वाला भी उससे आकर्षित हो जाता है और उसका मन करता है कि वह भी कुछ नया खरीदे और इस तरह के फोटो पोस्ट करे। कहीं ना कहीं सोशल मीडिया मन के अंदर विचलिता का भाव पैदा करता है। जिससे इस तरह के जोखिम बढ़ जाते हैं। सोशल मीडिया पर जिस तरह की सामग्री देखी जाती है उसी तरह से लोग प्रतिक्रिया देते हैं और प्रतिक्रिया के साथ-साथ अपने अंतर्मन में जो भाव प्रकट होते हैं वह उन्हें वित्तीय जोखिम लेने पर मजबूर कर देते हैं।
अनावश्यक विज्ञापनों से भरा पड़ा है सोशल मीड़िया
कई बार आपने भी अनुभव किया होगा कि सोशल मीडिया पर आप जब कोई अच्छी जानकारी देखना चाहते हैं तो सबसे पहले आपके सामने कई अनावश्यक विज्ञापन आ जाते हैं। जिनको देखकर कई बार आप भी उन पर क्लिक कर देते हैं और क्लिक करने के बाद अगर आपका कुछ खरीदने का मन ना भी हो तो भी आप उसे देखकर आकर्षित हो जाते हैं और कई बार तो खरीद भी लेते हैं। ऐसे मौके पर अगर आपकी जेब में पैसा नहीं है, तो आप ऐसे विज्ञापनों को देखकर आकर्षित तो होंगे और वित्तीय जोखिम को बढ़ा लेंगे।
कई फ्रॉड ग्रुप भी मौजूद हैं
सोशल मीडिया पर अक्सर कई फ्रॉड ग्रुप भी मौजूद होते हैं। जो लोगों को अच्छे-अच्छे प्रलोभन देते हैं और उकसाते हैं कि लोग उन के द्वारा दिखाई गई चीजों को खरीदें। जिससे वित्तीय जोखिम अवश्य बढ़ता है और ऐसे मौके पर आखिर में यूजर्स के हाथ केवल निराशा ही लगती है। कई आंकड़ों में सामने आ चुका है कि ऐसे लाखों लोग हैं जिन्हें फ्रॉड के द्वारा फसाया गया और उनके पैसे लूट लिए गए।
अगर आप भी सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं तो जरा संभल कर रहें। सोशल मीडिया अगर आपको भी वित्तीय जोखिम लेने के लिए उकसा रहा है तो समय है कि इसे थोड़ा सोच समझकर इस्तेमाल करें।