नवरात्रि (Navratri) के बाद मनाया जाता है दशहरा। आयुध पूजा और विजयदशमी (Ayudha Puja and Vijayadashami) दशहरे के अन्य नाम हैं। हिंदू कैलेंडर (Hindu calendar) में कहा गया है कि दशहरा का पवित्र त्योहार प्रतिवर्ष अश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है।
इस वर्ष दशहरा पांच अक्टूबर बुधवार को मनाया जा रहा है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान राम ने इसी दिन लंकापति रावण का वध किया था और माता सीता को बचाया था। दस सिरों वाले रावण के अंत की वजह से ही इसे कहीं दशहरा (Dussehra 2024) तो कहीं दसहारा भी कहा जाता है।
इस दिन कई शहरों में रावण, मेघनाथ (Ravana, Meghnath) का प्रतीकात्मक पुतला दहन किया जाता है। यह एक शुभ संकेत माना जाता है कि बुराई पर अच्छाई की जीत हुई है।
आइए जानते हैं दशहरा की तिथि, योग और शुभ मुहूर्त (Dussehra date, yoga and auspicious time)।
दशहरा के पावन अवसर पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं!
"Happy Vijayadashami"
शनिवार, 12 अक्टूबर को देश विजयादशमी Vijayadashmi मनाएगा। छल पर सत्य की विजय के प्रतीक के रूप में यह पर्व आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को प्रतिवर्ष मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं (Mythology) के अनुसार, भगवान राम ने इसी दिन लंका के राजा और शक्तिशाली बुद्धिमान रावण को युद्ध में मारने के बाद रावण का वध किया था। इसके अलावा मां दुर्गा ने इसी दिन महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था।
इसी वजह से हर साल विजयादशमी के उपलक्ष्य में रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतले जलाए जाते हैं। पंडालों में की जाने वाली मां दुर्गा की पूजा Worship Of Maa Durga दशहरे के दिन संपन्न होती है। आइए जानते हैं दशहरे का महत्व और पूजा का शुभ मुहूर्त।
रावण के माता सीता का अपहरण करने के बाद रावण और प्रभु श्रीराम (Lord Shri Ram) के बीच यह युद्ध दस दिनों तक चलता रहा। अंत में, अश्विन शुक्ल दशमी पर, भगवान राम ने माता दुर्गा से प्राप्त दिव्यास्त्र की सहायता से अभिमानी रावण को हरा दिया। रावण के निधन को धोखे के खिलाफ न्याय और सच्चाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। चूंकि भगवान राम ने इस दिन रावण को हराया था, इसलिए इसे विजयादशमी के रूप में जाना जाता है।
इसी दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध भी किया था। महिषासुर एक ऐसा राक्षस था जिसने तीनों लोकों में अशांति फैला दी थी। यहां तक कि जब इस राक्षस ने देवताओं को परेशान किया। आश्विन शुक्ल दशमी (Ashwin Shukla Dashami) के दिन देवी ने महिषासुर का वध कर देवताओं और समस्त विश्व को उसके शासन से मुक्त कर दिया। तभी से इस दिन को विजयादशमी के नाम से जाना जाता है। देवताओं ने विजया देवी की पूजा की क्योंकि वे देवी की जीत से खुश थे। इस दिन इसके अलावा शस्त्रों की भी पूजा की जाती है। भारतीय सेना (Indian Army) भी इस दिन शस्त्रों की पूजा करती है।
आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि, जो इस साल 12 अक्टूबर को है, एक महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन दशहरा मनाया जाएगा, और दशमी तिथि की शुरुआत सुबह 10:59 बजे होगी, जो 13 अक्टूबर की सुबह 09:08 बजे समाप्त होगी। रावण दहन और पूजा के लिए शुभ समय इस प्रकार है: विजय मुहूर्त दोपहर 02:03 बजे से 02:49 बजे तक रहेगा, जबकि पूजा के लिए शुभ मुहूर्त दोपहर 01:17 बजे से 03:35 बजे तक निर्धारित है। इस दौरान भक्त श्रीराम की पूजा कर सकते हैं और रावण दहन किया जा सकता है।
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दशहरा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। इसके बाद गेहूं या फिर चूने से दशहरा की प्रतिमा बनाएं। इसके बाद गाय के गोबर से नौ गोले (कंडे) बना लें। इन कंडों पर पर जौ और दही लगाएं। इस दिन बहुत से लोग भगवान राम की झांकियों पर जौ चढ़ाते हैं और कई जगह लड़के अपने कान पर जौ रखते हैं।
इसके बाद गोबर से दो कटोरियां बना लें। एक कटोरी में कुछ सिक्के भर दें और दूसरी में रोली, चावल, फल, फूल, और जौ (Roli, Rice, Fruits, Flowers, and Barley) डाल दें। बनाई हुई प्रतिमा पर केले, मूली, ग्वारफली, गुड़ और चावल (Bananas, Radish, Guarflies, Jaggery and Rice) चढ़ाएं।
इसके बाद उसके समक्ष धूप-दीप (Incense-lamp) इत्यादि प्रज्वलित करें। इस दिन लोग अपने बहीखाता (Ledger account) की भी पूजा करते हैं। ऐसे में आप अपने बहीखाते पर भी जौ, रोली इत्यादि चढ़ाएं। ब्राह्मणों और ज़रूरतमंदों को भोजन कराएं और सामर्थ्य अनुसार उन्हें दान दें। रावण दहन के बाद घर के बड़े लोगों का आशीर्वाद लें।
दशहरा पर क्यों किया जाता है शस्त्र पूजन (Why is weapon worship done on Dussehra)
विजयदशमी, जिसे दशहरा भी कहा जाता है, पर शस्त्र पूजन की परंपरा बहुत पुरानी और महत्वपूर्ण है। इसके पीछे कई मान्यताएं प्रचलित हैं। एक प्रमुख कथा के अनुसार, जब भगवान श्रीराम ने रावण का वध करने के लिए युद्ध पर जाने का निर्णय लिया, तो उन्होंने अपने शस्त्रों की पूजा की थी। इसी प्रकार, एक अन्य मान्यता के अनुसार, जब मां दुर्गा ने महिषासुर का संहार किया था, तब उनके शस्त्रों का पूजन देवताओं द्वारा किया गया था।
यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है, जब राजा-महाराजा भी युद्ध पर जाने से पहले अपने शस्त्रों की पूजा किया करते थे। शस्त्र पूजन का उद्देश्य केवल विजय की कामना नहीं, बल्कि शस्त्रों के प्रति सम्मान और उनके उचित उपयोग की भावना को जागृत करना था। इस दिन शस्त्रों की पूजा कर के, शक्ति और साहस का आह्वान किया जाता है।
उत्तर भारत (North India) में, दशहरा बहुत धूमधाम से मनाया जाता है और राम लीला (Ramlila) ,भगवान राम की कहानी का एक अधिनियम, नवरात्रि के सभी नौ दिनों में आयोजित किया जाता है, जिसमें रावण की हत्या और दशहरा या विजयदशमी के दिन उसके आदमकद पुतले को जलाने के साथ समाप्त होता है।
मेघनाद और कुंभकरण के साथ। दशहरा पापों या बुरे गुणों से छुटकारा पाने का भी प्रतीक है क्योंकि रावण का प्रत्येक सिर एक बुरे गुण का प्रतीक है।
दशहरा कई तरह से दिवाली (Diwali) की तैयारी शुरू करता है, जो विजयदशमी के 20 दिन बाद मनाया जाता है, जिस दिन भगवान राम सीता के साथ अयोध्या पहुंचे थे। विजयादशमी के दिन शमी के पेड़ की पूजा करना देश के कुछ हिस्सों में बहुत महत्व रखता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि अर्जुन ने अपने वनवास के दौरान शमी के पेड़ के अंदर अपने हथियार छुपाए थे।
भारत (India) के कुछ दक्षिणी राज्यों (Southern States) में शमी पूजा को बन्नी पूजा और जम्मी पूजा Bunny Pooja and Jammi Pooja के नाम से भी जाना जाता है। दशमी के दिन, भक्त भी माँ दुर्गा को विदा करते हैं और विसर्जन या तो अपर्णा के समय या प्रात:काल के दौरान किया जाता है।
दसवें दिन को विजयदशमी के रूप में भी जाना जाता है जब मां दुर्गा की मूर्ति को पानी में विसर्जित किया जाता है और भक्तों को उम्मीद है कि वह सभी बुराइयों और दुखों को दूर करते हुए उन पर नजर रखेगी। दशहरा और विजयदशमी दोनों बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक हैं और भक्त परिवार और दोस्तों के साथ विभिन्न व्यंजनों का आनंद उठाकर त्योहार का आनंद लेते हैं।
अधर्म पर धर्म की जीत
अन्याय पर न्याय की विजय
बुरे पर अच्छे की जय जयकार
यही है दशहरा का त्योहार।
दशहरा की शुभकामनाएं Happy Dussehra