"द्रौपदी मुर्मू" भारत की पहली सबसे युवा और आदिवासी राष्ट्रपति

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22 Jul 2022
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द्रौपदी मुर्मू  Droupadi Murmu  ने राष्ट्रपति चुनाव जीत लिया है और उन्होंने यशवंत सिन्हा को हराया है। मुर्मू देश की पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति बन गई हैं। तीसरे राउंड के वोटों की गिनती में ही द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति चुनाव जीत लिया था। द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने पर पूरे देशभर में जश्न का माहौल है। राष्ट्रपति बनने से सम्मान केवल द्रौपदी मुर्मू का ही नहीं बढ़ा है बल्कि उन तमाम महिलाओं का भी सम्मान बढ़ा है जो सपने देखती हैं और उसे पूरा करने के लिए हर बाधा, हर विरोध का सामना करती हैं। वो कहते हैं न कि जब परिस्थितियां इंसान के अनुकूल नहीं होती हैं तो उस स्थिति में और मजबूत बनना चाहिए। ऐसे ही द्रौपदी मुर्मू का जीवन उनके जीवटता को दर्शाता है। द्रौपदी मुर्मू पर आज पूरे देश वासियों को गर्व है, हर कोई उस नारी शक्ति को नमन कर रहा है। इसके साथ ही द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद देश की सबसे युवा और पहली आदिवासी राष्ट्रपति बन गयी हैं। इससे पहले झारखंड की राज्यपाल बनने के साथ ही द्रौपदी मुर्मू ने देश की पहली आदिवासी महिला राज्यपाल होने का कीर्तिमान स्थापित किया था। एक आदिवासी महिला होने के नाते उनका सफर भले ही बेहद चुनौतीपूर्ण रहा हो लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी जिसका परिणाम आज सबके सामने है। 

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आजकल इंटरनेट पर हर कोई द्रौपदी मुर्मू को सर्च कर रहा है। आदिवासी समुदाय से संबंध रखने वाली और उड़ीसा राज्य में पैदा हुई द्रौपदी मुर्मू Droupadi Murmu को जब भारतीय जनता पार्टी के द्वारा भारत के अगले राष्ट्रपति के उम्मीदवार के तौर पर चुना गया था तभी से लोग उनके बारे में जानना चाहते थे। अब तो पूरे देश के लिए बहुत ही गर्व का समय है, द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति चुनाव जीत लिया है। गर्व हो भी क्यों न क्योंकि वह भारत की पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति India's first female tribal president बन गयी हैं। आज पूरा देश उस अद्वितीय नारी शक्ति को नमन कर रहा है। उन्होंने यशवंत सिन्हा Yashwant Sinha को हराया है। एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने बड़े अंतर से ये जीत दर्ज की है। तीसरे राउंड के वोटों की गिनती में ही द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति चुनाव जीत लिया था। फिर चौथे और आखिरी राउंड की गिनती के बाद जीत का अंतर और बढ़ गया। अंतिम रूप से गिने गए 3,219 वैध मतों में से मुर्मू को 2,161 जबकि सिन्हा को 1,058 मत मिले हैं। यशवंत सिन्हा ने मुर्मू को जीत पर बधाई दी है। द्रौपदी मुर्मू के द्वारा राष्ट्रपति का चुनाव जीतने पर देशभर में खुशी का माहौल है। हर तरफ जश्न मनाया जा रहा है। चलिए इस ख़ुशी के माहौल के बीच जानते हैं द्रौपदी मुर्मू के जीवन के बारे में कि कैसे वो देश के इस सर्वश्रेष्ठ पद तक पहुँची। 

द्रौपदी मुर्मू का जीवन परिचय Draupadi Murmu biography 

द्रौपदी मुर्मू 20 जून 1958 को ओडिशा में एक आदिवासी परिवार A tribal family in Odisha में पैदा हुईं थीं। द्रौपदी मुर्मू ओडिशा के मयूरभंज जिले में रहने वाले एक संथाल आदिवासी परिवार Santhal tribal family से आती हैं। गोंड और भील के बाद संथाल देश के तीसरे सबसे बड़े आदिवासी समुदाय country's third largest tribal community हैं। ये पश्चिम बंगाल, ओडिशा, झारखंड समेत सात राज्यों में पाए जाते हैं। ऐतिहासिक रूप से ये मूल रूप से खेती बाड़ी और प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर रहे हैं। 

द्रौपदी मुर्मू के पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू Biranchi Narayan Tudu है। उनके पिता और दादा दोनों अपने अपने समय में सरपंच थे। आदिवासी समुदायों में सामान्य रूप से शिक्षा का स्तर अच्छा नहीं होता और संथाल इस संदर्भ में विशेष रूप से पिछड़े हुए हैं। द्रौपदी मुर्मू की शिक्षा की बात की जाये तो उन्होंने 1979 में भुवनेश्वर के रमादेवी कॉलेज Ramadevi College, Bhubaneswar से बीए की पढ़ाई की थी। इसके बाद द्रौपदी ने ओडिशा के राज्य सचिवालय से नौकरी की शुरुआत की। उनका विवाह श्याम चरण मुर्मू Shyam Charan Murmu के साथ हुआ है। राजनीति में आने के पहले द्रौपदी मुर्मू श्री अरविंदो इंटीग्रल एजुकेशन एंड रिसर्च, रायरंगपुर में मानद सहायक शिक्षक Honorary Assistant Teacher at Sri Aurobindo Integral Education and Research, Rairangpur और सिंचाई विभाग में कनिष्ठ सहायक के रूप में काम कर चुकी थीं। वह 1997 में बीजेपी से जुड़ीं और नगर पंचायत में पार्षद चुनी गईं। जल्द ही वो विधायक और ओडिशा सरकार में मंत्री बनीं। उन्हें 2007 में ओडिशा विधान सभा द्वारा सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए "नीलकंठ पुरस्कार" Neelkanth Award से सम्मानित किया गया था। मई 2015 में उन्हें झारखंड का राज्यपाल Governor of Jharkhand बनाया गया। 

द्रौपदी मुर्मू ने स्नातक तक पढ़ाई की है

देखा जाये तो ओडिशा के बेहद पिछड़े और संथाल बिरादरी से जुड़ी 64 वर्षीय द्रौपदी के जीवन का सफर बेहद संघर्षों से भरा रहा है। आर्थिक अभाव के कारण महज स्तानक तक शिक्षा हासिल करने में कामयाब रही द्रौपदी ने पहले शिक्षा को अपना कॅरिअर बनाया। फिर ओडिशा सरकार में अपनी सेवा दी और बाद में राजनीति के लिए भाजपा को चुना और इसी पार्टी की हो कर रह गई। 

द्रौपदी मुर्मू का राजनीतिक जीवन Political life of Draupadi Murmu

  • द्रौपदी मुर्मू का राजनीतिक जीवन 1997 में शुरू हुआ। 1997 में वे पहली बार नगर पंचायत का चुनाव जीत कर पहली बार स्थानीय पार्षद बनी। तीन साल बाद, वह रायरंगपुर के उसी निर्वाचन क्षेत्र से राज्य विधानसभा के लिए चुनी गईं। 

  • द्रौपदी मुर्मू ने उड़ीसा गवर्नमेंट में राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार के तौर पर साल 2000 से लेकर के साल 2004 तक ट्रांसपोर्ट और वाणिज्य डिपार्टमेंट Department of Transport and Commerce संभाला। 

  • साथ ही 2002 से लेकर के साल 2004 तक उड़ीसा गवर्नमेंट के राज्य मंत्री के तौर पर पशुपालन और मत्स्य पालन डिपार्टमेंट Animal Husbandry and Fisheries Department को भी संभाला।

  • द्रौपदी मुर्मू साल 2002 से लेकर साल 2009 तक भारतीय जनता पार्टी के अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की मेंबर भी रही।

  •  इन्होंने साल 2006 से लेकर के साल 2009 तक भारतीय जनता पार्टी के एसटी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष के पद को संभाला।

  • एसटी मोर्चा के साथ ही साथ भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के मेंबर के पद पर यह साल 2013 से लेकर के साल 2015 तक रही

  • द्रौपदी मुर्मू ने झारखंड के राज्यपाल के पद को साल 2015 में प्राप्त किया और इस पद पर साल 2021 तक रही।

द्रौपदी मुर्मू का राज्यपाल का कार्यकाल रहा साफ-सुथरा

18 मई, 2015 को झारखंड की राज्यपाल के रूप में शपथ लेने के पहले द्रौपदी मुर्मू ओडिशा में दो बार विधायक और एक बार राज्यमंत्री के रूप में काम कर चुकी थीं। राज्यपाल के तौर पर पांच वर्ष का उनका कार्यकाल 18 मई 2020 को पूरा हो गया था लेकिन कोरोना के कारण राष्ट्रपति द्वारा नई नियुक्ति नहीं किए जाने के कारण उनके कार्यकाल का स्वत: विस्तार हो गया था। अपने पूरे कार्यकाल में वह कभी विवादों में नहीं रहीं और उनका राज्यपाल का कार्यकाल रहा साफ-सुथरा रहा है। 

राष्ट्रपति बनने पर पीएम मोदी ने घर जाकर दी बधाई

द्रौपदी मुर्मू के महामहिम का चुनाव जीतने पर देशभर में जश्न का माहौल है। हर कोई उन्हें बधाई दे रहा है। दिल्ली के रायसिना हिल से लेकर उनके गांव रायरंगपुर Raisina Hill of Delhi to his village Rairangpur तक जोर शोर से जश्न मनाया गया। बड़े बड़े दिग्गजों ने उनको शुभकामनाएं दीं हैं। प्रधानमंत्री मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा PM Modi, Home Minister Amit Shah, Defense Minister Rajnath Singh, BJP President JP Nadda आदि ने द्रौपदी मुर्मु के घर जाकर उनको बधाई दी। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा, 'मुझे विश्वास है कि वह एक महान राष्ट्रपति होंगी।' पीएम ने लिखा, द्रौपदी मुर्मू ने अपना जीवन समाज की सेवा में समर्पित किया है। उन्‍होंने गरीबों, दलितों के साथ हाशिए के लोगों को सशक्त बनाने के लिए अपनी ताकत झोंक दी। उनके पास समृद्ध प्रशासनिक अनुभव है और उनका कार्यकाल उत्कृष्ट रहा है। विश्वास है कि वह देश की एक महान राष्ट्रपति होंगी। वहीं विपक्ष के नेता राहुल गांधी, सोनिया गांधी, ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल आदि ने भी मुर्मू को बधाई संदेश दिया। 

देश की सबसे युवा और पहली आदिवासी राष्ट्रपति The Country's Youngest And First Tribal President

द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद देश की सबसे युवा और पहली आदिवासी राष्ट्रपति बन गयी हैं। इससे पहले सबसे युवा राष्ट्रपति बनने का रिकॉर्ड नीलम संजीव रेड्डी Neelam Sanjiva Reddy के पास है। रेड्डी जब राष्ट्रपति बने थे उस वक्त उनकी उम्र 64 साल दो महीने 6 दिन थी। 25 जुलाई को शपथ ग्रहण के दिन उनकी उम्र 64 साल 35 दिन होगी। 

जनजातीय मामलों में हमेशा सजग रही Always Vigilant in Tribal Matters

झारखंड के जनजातीय मामलों, शिक्षा, कानून व्यवस्था, स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर वह हमेशा सजग रहीं। कई मौकों पर उन्होंने राज्य सरकारों के फैसलों में संवैधानिक गरिमा और शालीनता के साथ हस्तक्षेप किया। विश्वविद्यालयों की पदेन कुलाधिपति के रूप में उनके कार्यकाल में राज्य के कई विश्वविद्यालयों में कुलपति और प्रतिकुलपति के रिक्त पदों पर नियुक्ति हुई। 

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पति और दो बेटों की मौत से भी नहीं टूटीं

वो कहते हैं न कि जब परिस्थितियां इंसान के अनुकूल नहीं होती हैं तो उस स्थिति में और मजबूत बनना चाहिए। ऐसे ही द्रौपदी मुर्मू का जीवन उनके जीवटता को दर्शाता है। जवानी में ही पति के गुजर जाने के अलावा दो बेटों की मौत ने भी उन्हें कमजोर नहीं किया। उन्होंने अपने आपको संभाला और टूटीं नहीं। ऐसे हालात में भी अपनी इकलौती बेटी इतिश्री सहित पूरे परिवार को हौसला देती रहीं। उनकी आंखें उस वक्त जरूर नम हुईं जब उन्हें झारखंड के राज्यपाल के रूप में शपथ दिलाई जा रही थी। 

देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं द्रौपदी मूर्मू Second Woman President of the Country

मुर्मू देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति बन गयी हैं। प्रतिभा देवी सिंह पाटिल देश की पहली महिला राष्ट्रपति बनी थीं। पाटिल 2007 से 2012 के दौरान देश के सर्वोच्च पद पर रहीं थीं। द्रौपदी मुर्मू की तरह पाटिल भी राज्यपाल के पद पर रह चुकीं थीं। 64 वर्षीय द्रौपदी  मुर्मू देश की पहली नागरिक Nation’s First Citizen और भारत की सशस्त्र बलों की सर्वोच्च कमांडर Supreme Commander of India’s Armed Forces बनने वाली पहली आदिवासी और दूसरी महिला हैं। 

बेहद चुनौतीपूर्ण रहा है द्रौपदी मुर्मू का जीवन

एक आदिवासी महिला के लिए यह सफ़र तय करना आसान नहीं रहा होगा। इसका अंदाज़ केवल इसी बात से लगाया जा सकता है आज़ादी के 74 साल बीतने के बावजूद मुर्मू पहली आदिवासी और दूसरी महिला राष्ट्रपति बनने जा रही हैं। द्रौपदी मुर्मू ने क्लर्क की नौकरी करते हुए 1997 में नगर पंचायत का चुनाव लड़कर और जीतकर अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। इससे यह पता चलता है कि अपने लंबे करियर में उनका ज़मीन से जुड़ाव रहा है। ओड़िसा में राज्पाल रहते हुए उन्होंने औद्योगिक इस्तेमाल के लिए ज़मीन के हस्तांतरण संबंधी विधेयक को करीब एक साल तक रोके रखा। अब सबको उम्मीद है कि द्रौपदी के राष्ट्रपति बनने से कम से कम अब आदिवासियों और महिलाओं के मुद्दे नज़र आएंगे और इन मुद्दों पर ध्यान दिया जायेगा। क्योंकि जो आदिवासी समाज सदियों से अलग-थलग रहा है उसके मुद्दे और समस्याएं समझना और उसके समाधान की ओर कदम बढ़ाना बहुत जरूरी है और अब यह जरूर संभव हो पायेगा।

आदिवासी समुदाय में जगी एक उम्मीद A Hope Awakened in the Tribal Community

उनका राष्ट्रपति बनना अपने आप में ऐतिहासिक है, वे पहली आदिवासी समुदाय से आईं महिला राष्ट्रपति हैं। जिस बड़े अंतर से उन्होंने ये जीत दर्ज की है, इससे ये मुकाम और ज्यादा खास बन जाता है। देखा जाये तो आदिवासी समुदाय शुरुआत से ही मुख्य आबादी से अलग-थलग रहा है, लेकिन अब जब यह समाज मुख्यधारा में आना चाहता है तो इसे अनगिनत बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है जिसे समझने की जरूरत है। इनके गांव में न तो सड़कें हैं, न यातायात की सुविधा। ग़रीबी और भूखमरी इस हद तक है कि ये अपने बच्चों को स्कूल भेजने की जगह मजदूरी करवाने के लिए मजबूर हैं। कमाई का भी कोई खास जरिया नहीं है। 

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की वजह से आदिवासी समुदाय फिर से चर्चा में है। अब फिर से जरुरत है आदिवासी समुदाय के बारे में नए सिरे से सोचने की। कई राष्ट्रपति अपने कार्यकाल के दौरान चर्चित रहे हैं। द्रौपदी मुर्मू से भी महिलाओं और आदिवासी समुदाय में एक उम्मीद जगी है। लाखों लोग, विशेष रूप से जिन्होंने गरीबी का अनुभव किया है और कठिनाइयों का सामना किया है, वो मुर्मू के जीवन से बड़ी शक्ति प्राप्त करेंगे।

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