दिवाली के दीये

17706
03 Nov 2021
9 min read

Post Highlight

इस देश में मिट्टी के बर्तनों और दीयों का आज भी चलन है। हज़ारों सालों की सभ्यता को गोद में पालता आ रहा अपना देश आज भी इस बुलंदी के दौर में सीना ताने खड़ा है। परंतु कुछ बदलाव जो तनिक चिंता पैदा करते हैं वे क्या हैं। आइये जानते हैं कैसे,

Podcast

Continue Reading..

पिछले कुछ वर्षों से भारतीय सभ्यता में एक बड़े स्तर का अद्भुत परिवर्तन देखने को मिला है। यद्यपि समूची दुनिया ही बदलाव की रेलगाड़ी पकड़े हुए है। हर रोज़ कुछ न कुछ परिवर्तन होता ही रहता है। भारत परम्पराओं और सांस्कृतिक सौहार्द का देश है। इस देश में मिट्टी के बर्तनों और दीयों का आज भी चलन है। हज़ारों सालों की सभ्यता को गोद में पालता आ रहा अपना देश आज भी इस बुलंदी के दौर में सीना ताने खड़ा है। परंतु कुछ बदलाव जो तनिक चिंता पैदा करते हैं वे क्या हैं। आइये जानते हैं कैसे 

मिट्टी से बने दीयों का चलन

यह कहना तनिक भी हिचकिचाहट से भरा नहीं होगा कि आज के समय में मिट्टी के दीये सिर्फ दिवाली के आसपास या यूँ कहें कि दिवाली के दिन ही प्रयोग में आते हैं। देखने ये भी आया है कि अब इनका चलन दिवाली पर भी कम हो गया है, क्योंकि इनकी जगह अब रौशनी के कुछ नए आयामों ने ले ली है, जैसे चाइनीज लाइट्स, चाइनीज़ मोमबत्तियों ने। कुछ इसी तरह की नई-नईं वस्तुओं ने ले ली है। जिस वजह से दीयों की कीमत घटी है न कि बढ़ी है।

दीयों की बिक्री पर आश्रित लोगों की स्थिति

जो लोग आज भी मिट्टी के सामानों को बनाने के लिए सदियों से उस चकरी से बंधे हुए हैं, उनका व्यवसाय पहले की अपेक्षा अब अधिक फ़ीका हुआ है। ऐसे में उनका भरण-पोषण कैसे हो ये एक चिंता का विषय भी है और संस्कृति के परिवर्तन की स्थिति भी। क्यों न हम उसी पुरानी परंपरा को जीवित रखने की कोशिश करें और कुम्हार की स्थिति फिर अच्छी कर दें। परन्तु उसके लिए हमें आज की चकाचौंध और बाज़ार में दिखती आर्टिफिशियल रौशनी को किनारे रख के सोचना होगा।

उनको उपहार दें जो दिन-रात आपकी सेवा में हैं

हम अक्सर देखते हैं लोग कई-कई हज़ार रुपयों के पटाख़े खरीद कर धुआँ बना देते हैं, मगर वे उन लोगों को गिफ्ट देने से कतराते हैं जो उनकी सेवा करते हैं जैसे बाई, आया, सफ़ाई कर्मी आदि। यहीं पर हम देखते हैं कि लोग उन लोगों को गिफ्ट देना ज्यादा पसंद करते हैं, जिनको असल में उपहार की ज़रूरत नहीं होती। व्यक्ति को करना ये चाहिए कि ज़रूरमंद लोगों को दिवाली या अन्य त्योहारों पर विशेष प्रकार के गिफ्ट प्रदान करे। क्या पता आपके कारण उनका त्योहार यादगार हो जाये।

खुशियों की रोशनी बाटें

अपनों के साथ दीये जलाइये और खुशियाँ बाँटिये मगर उनको भी खुश रखने की कोशिश कीजिये जो हर रोज़ तुम्हारी लंबी उम्र की कामना करते हैं, दुआ करते हैं। वे कोई और नहीं आपके माता-पिता हैं, आपका परिवार हैं। माँ के चहरे की ख़ुशी जीवन भर की दिवालियों में जलाये गए दीयों से भी कई ज्यादा रौशनी देने का हुनर रखती है। पिता के आशीर्वाद में उठे हाथ हम सभी के लिए भविष्य की सीढ़ियों के काम करते हैं। उनके खुशहाल मन से ही रौशनी के जलते दीयों की चमक हम सभी के द्वारा देख पाना आसान कर देती है।

क्यों न इस दिवाली हम हर घर को मिट्टी के दीयों से सजाते हैं और उन के घर को रौशन करते हैं। आओ मिठाई के साथ मिट्टी के दीयों को रौशनी से भरते हैं।।

TWN In-Focus