Diwali 2022 :अंधेरे पर उजाले के विजय का पर्व दिवाली

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20 Oct 2022
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हिंदू धर्म (Hindu Festival) में सबसे बड़ा और सबसे महत्वपूर्ण त्योहार दिवाली (Diwali 2022) है। दिवाली नई शुरुआत और बुराई पर अच्छाई और अंधेरे पर प्रकाश की जीत victory of light over darkness का त्योहार है। पूरे भारत में इस पर्व का अलग ही हर्ष और उल्लास देखने को मिलता है। इस दिन पूरा देश दीये को रोशनी से जगमगा उठता है। इस दिन का हर कोई बेसब्री से इंतजार करता है क्योंकि सभी को अपनी मनपसंद मिठाइयां (Favorite Sweets) खाने को मिलती हैं, पसंदीदा कपड़े पहनने को मिलते हैं और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमें अच्छे-अच्छे गिफ्ट्स मिलते हैं। दिवाली के दिन हम सब अपने घरों में रंगोली बनाते हैं और घर को सजाते हैं। इस दिन सभी की कोशिश रहती है की वह इस पर्व को अपने परिवार के लोगों के साथ मनाए। कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि (New Moon Date)  को दीपावली पर्व परंपरा अनुसार मनाया जाता है।

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दिवाली महोत्सव भारत में हिंदुओं, जैनियों और सिखों (Hindus, Jains and Sikhs)  द्वारा मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है। दिवाली उत्सव आमतौर पर हिंदू चंद्र मास कार्तिका के दौरान पांच दिनों तक चलता है। दिवाली शब्द संस्कृत शब्द से आया है जिसका अर्थ है रोशनी की पंक्ति और यही कारण है कि लोग दिवाली त्योहार (Diwali festival) के दौरान अपने घरों और कार्यस्थलों को मिट्टी के दीयों (Earthen lamps) या बिजली की रोशनी (Diwali Lamps) से रोशन करते हैं।

इसलिए इस त्योहार को दीपावली के नाम से भी जाना जाता है। लोग नए कपड़े पहनते हैं और अपने घरों को सजाते हैं और अपने दोस्तों और परिवार के साथ प्रकाश, आशा और समृद्धि का त्योहार (Festival of Light, Hope and Prosperity) मनाते हैं।

दिवाली के पहले दिन को 'धनतेरस' या 'धनत्रयोदशी' के रूप में जाना जाता है जो दिवाली उत्सव की शुरुआत के लिए मूड सेट करता है। धनतेरस में दो शब्द होते हैं, 'धन' का अर्थ है धन और 'तेरस' का अर्थ है तेरह यानि कृष्ण पक्ष का तेरहवां चंद्र दिन। इस दिन, लोग भगवान धन्वंतरि की पूजा करते हैं, जो आयुर्वेद और विभिन्न उपचार पद्धतियों से भी जुड़े हैं। घर और परिवार में सौभाग्य और भाग्य लाने के लिए लोग घरेलू उपयोग के लिए बर्तन, आभूषण या कोई अन्य सामान भी खरीदते हैं

दीपावली पर्व के दूसरे दिन को नरक चतुर्दशी (Naraka Chaturdashi) कहा जाता है। यह दिन एक क्रूर राक्षस नरकासुर पर भगवान कृष्ण या महाकाली की विजय का प्रतीक है। इस दिन लोग महाकाली या शक्ति की पूजा करते हैं और इसलिए इस दिन को काली चौदस भी कहा जाता है। यह पृथ्वी पर मानव जीवन को परेशान करने वाले आलस्य और बुराई को समाप्त करने का दिन है।

कंपन को ऊपर उठाने के लिए घर में सुगंधित तेल, चंदन और फूलों (Aromatic oil, sandalwood and flowers) का उपयोग करके इस दिन का उत्सव मनाया जाता है। देश के विभिन्न हिस्सों में लोग रंगीन रेत, पाउडर, चावल या फूलों की पंखुड़ियों से फर्श पर 'रंगोली' के कलात्मक पैटर्न भी बनाते हैं।

दिवाली क्या है और दिवाली को रोशनी का त्योहार क्यों कहा जाता है? (What is Diwali and why is Diwali called the Festival of lights) 

दीवाली (जिसे दीपावली या दीपावली भी कहा जाता है) एक "रोशनी का त्योहार" है जो अंधेरे पर प्रकाश की जीत और बुराई पर अच्छाई, और जीत, स्वतंत्रता और ज्ञान के आशीर्वाद का जश्न मनाता है। यह नाम संस्कृत दीपावली से आया है, जिसका अर्थ है "रोशनी की पंक्ति (Line of Lights) ।" दीवाली की रात को, जश्न मनाने वाले दर्जनों मोमबत्तियां (Candles) और मिट्टी के दीपक जलाते हैं (जिन्हें दीया कहा जाता है), उन्हें अपने घरों में और गलियों में अंधेरी रात को रोशन करने के लिए रखा जाता है।

अधिकांश भारत (India) में, दिवाली में पांच दिवसीय उत्सव (Five Day Celebrations in Diwali) होता है जो तीसरे दिन दिवाली के मुख्य उत्सव के साथ चरम पर होता है।

दिवाली कब है (When is Diwali

अमावस्या इस साल 24 और 25 अक्टूबर (Diwali Dates) को पड़ रही है। हालाँकि, अमावस्या तिथि 24 अक्टूबर को प्रदोष काल में मौजूद रहेगी और 25 अक्टूबर को प्रदोष काल से पहले समाप्त होगी। उसी दिन निशित काल में भी अमावस्या तिथि रहेगी। इसलिए 24 अक्टूबर को ही सर्वमान्य रूप से पूरे देश में दीपावली का पर्व मनाया जाएगा। ज्योतिष विधि विधान के अनुसार, संजोग कुछ ऐसा बना है कि नरक चतुर्दशी जिसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है वो भी इसी दिन है।

दिवाली का त्योहार क्यों मनाया जाता है? (Why is Diwali Festival celebrated)

दीपों के त्योहार-दीपावली से जुड़ी कई कहानियां (About Diwali Festival) हैं। हिंदू महाकाव्य, रामायण के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि अयोध्या के लोगों ने 14 साल के वनवास के बाद शहर की सड़कों को मिट्टी के दीयों से रोशन करके भगवान राम, देवी सीता, लक्ष्मण और हनुमान (Lord Rama, Goddess Sita, Lakshmana and Hanuman) की घर वापसी की। यह हिंदू चंद्र कैलेंडर (Hindu lunar calendar) के कार्तिक महीने की सबसे काली रात थी।

तब से, हर साल दीवाली का त्योहार अमावस्या को मनाया जाता है, जब लोग अपने घरों और कार्यस्थलों को 'दीयों' से रोशन करते हैं - मिट्टी के दीयों को पंक्तियों में, ताकि अंधेरे को दूर किया जा सके। स्कंद पुराण के अनुसार, दीये या मिट्टी के दीपक सूर्य को प्रकाश और ऊर्जा के ब्रह्मांडीय दाता (Cosmic Giver of Energy) के रूप में दर्शाते हैं।

कई हिंदुओं द्वारा यह भी माना जाता है कि देवी लक्ष्मी जो धन और सौभाग्य की हिंदू देवी हैं, का जन्म दिवाली के दिन समुद्र मंथन (Ocean churning) (ब्रह्मांडीय महासागर का मंथन) के दौरान हुआ था। और इसीलिए दिवाली के दिन धन और समृद्धि के प्रतीक के रूप में देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है और नई शुरुआत के प्रतीक के रूप में दिवाली पर भगवान गणेश (Lord Ganesha) को भी याद किया जाता है और उनकी पूजा की जाती है।

इसके अतिरिक्त, दिवाली त्योहार भगवान राम द्वारा रावण, भगवान कृष्ण द्वारा नरकासुर और भगवान वामन द्वारा अभिमानी बाली जैसे राक्षसों की मृत्यु और हार का प्रतीक है। और इसीलिए हर साल दीवाली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत, अहंकार पर ज्ञान और अंधकार पर प्रकाश की जीत के रूप में मनाया जाता है।

भारत में तीन अल्पसंख्यक धर्मों अर्थात् सिख जैन और बौद्धों की दिवाली महोत्सव से संबंधित अपनी कहानियां हैं। सिखों का मानना ​​है कि दिवाली उनके 17वीं सदी के गुरु हरगोबिंद की 12 साल की कैद के बाद रिहाई की याद में मनाई जाती है। जैन, जो हिंदू धर्म की कई मान्यताओं को साझा करते हैं, दिवाली त्योहार को उस दिन के रूप में मनाते हैं जब भगवान महावीर निर्वाण पहुंचे थे। बौद्धों के लिए, दिवाली वह दिन है जब हिंदू सम्राट अशोक (Hindu Emperor Ashoka) ने बौद्ध धर्म (Buddhism) अपना लिया था।

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दिवाली पर शुभ मुहूर्त कब है?

इस साल कार्तिक माह की अमावस्या तिथि 24 और 25 अक्टूबर दोनों दिन पड़ रही है। लेकिन 25 अक्टूबर को अमावस्या तिथि प्रदोष काल (Pradosh Kaal) से पहले ही समाप्त हो रही है। वहीं 24 अक्टूबर को प्रदोष काल में अमावस्या तिथि होगी। 24 अक्टूबर को निशित काल में भी अमावस्या तिथि होगी। इसलिए इस साल 24 अक्टूबर (When is Diwali This Year) को ही पूरे देश में दीवाली का पर्व मनाया जाएगा।

इन वर्षों में, दिवाली महोत्सव भारत का सबसे बड़ा उत्सव का मौसम बन गया है, जिसे बहुत उत्साह और जीवंतता के साथ मनाया जाता है और भले ही यह इससे जुड़ी विभिन्न विचारधाराओं और अनुष्ठानों के लिए खड़ा हो, फिर भी एकता और प्रकाश की भावना बनी रहती है। तो इस दिवाली 2022, अपने आप में अच्छाई को बाहर लाएं और दिवाली की भावना को जीवित रखने के लिए आशा, प्रकाश और सकारात्मकता फैलाएं।

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