किसी व्यवसाय के लिए अनुशासन तथा प्रक्रिया दोनों ही ज़रूरी हैं। इन दोनों के बिना कोई भी कार्य अच्छी तरह से क्रियाशील नहीं हो सकता है। हमें अपने व्यवसाय में अनुशासन को महत्त्व देना चाहिए ताकि वह लोगों के मध्य कार्य की गंभीरता को प्रदर्शित करें। इसके साथ कार्य की प्रक्रिया पर भी ध्यान दें जो आपकी गुणवत्ता को निखारता है और आपको उत्तम बनाता है।
हर कोई व्यक्ति अपना स्वयं का व्यवसाय करना चाहता है। हर एक इंसान अपनी ज़िंदगी के शुरूआती दिनों में कठिन परिश्रम करता है ताकि एक निश्चित समय के बाद वह अपना व्यवसाय शुरू कर सकें। इसके लिए अपने द्वारा सोचे गए व्यवसाय के आधार पर वह एक निश्चित पूंजी एकत्रित करता है, ताकि वह सुचारू रूप या यूं कहें व्यवस्थित तौर पर व्यवसाय शुरू कर सकें। यदि कभी व्यवसाय में हानि भी हो तो वह पहले से एक और योजना को या फिर और अधिक पूंजी संचित रखे। अनेक व्यक्ति इस योजना पर अमल भी करते हैं, परन्तु सफ़लता का स्वाद हर एक व्यक्ति नहीं चख पाता। हम स्टार्ट अप शुरू तो करते हैं तथा अनेक प्रकार की योजनाओं का भी एक लम्बा चिट्ठा तैयार रखते हैं, बावजूद इसके हम व्यवसाय में क्यों नहीं सफ़ल हो पाते? तथा जो व्यवसाय में सफ़ल होते हैं वे किन मंत्रों का पालन करते हैैं? आखिरकार योजना तो उन्होंने भी वही बनाई होगी। किसी व्यवसाय को चलाने की एक प्रक्रिया होती है तथा उस पर प्रक्रिया पर चलने के लिए कुछ अनुशासन। इन तथ्यों से ही कोई व्यवसाय एक उचित धारा में नियमित प्रवाह में प्रवाहित होता है।
अगर हम व्यवसाय के सफ़ल होने की परिभाषा को कम शब्दों में समेटे तो शायद वह होगा ' ऑफिस का वातावरण' office environment । हम इस बात से तनिक भी नकार नहीं सकते कि व्यवसाय को सही दिशा देने के लिए उसमें उपयोग किया जा रहा प्रक्रिया तथा उसमें अनुशासन का क्या आधार है और वह कितना क्रियाशील है।
व्यवसाय में अनुशासन तथा प्रक्रिया discipline and procedure दो अलग फैक्टर हैं, परन्तु दोनों ही एक-दूसरे के पूरक हैं। अनुशासन कर्मचारी तथा मालिक दोनों के बीच समन्वय से बनते हैं तथा प्रक्रिया प्रत्येक व्यक्ति के समर्पण से पूर्ण होता है।
किसी व्यवसाय में एक निश्चित प्रक्रिया का होना आवश्यक होता है। किसी भी व्यवसाय का एक तरीका होता है। जैसे किसी व्यवसाय में कच्चे माल से उत्पाद बनाने से लेकर उसे बाज़ार में उतारने तक की प्रक्रिया में कई स्टेज आते हैं। यदि इसमें से किसी भी स्तर पर लापरवाही की जाए तो उसका व्यवसाय पर सीधा असर पड़ता है।
ठीक इसी प्रकार व्यवसाय में अनुशासन का भी अपना एक महत्वपूर्ण स्थान होता है। किसी भी कार्य को समय से करना तथा सही मायने में करना अनुशासन की श्रेणी में आता है। एक कर्मचारी तथा किसी व्यवसाय के मालिक द्वारा कार्य को लापरवाही से करना व्यवसाय की गुणवत्ता को प्रभावित करता है। जो बाज़ार में उसकी छवि को धूमिल करने के लिए पर्याप्त है। प्रक्रिया को पूर्ण करने के लिए अनुशासित होकर कार्य करना आवश्यक है। यह आपके व्यवसाय को ऊपर की दिशा में अर्थात सफ़लता की ओर ले जाएगा।
किसी व्यवसाय के लिए अनुशासन तथा प्रक्रिया दोनों ही ज़रूरी हैं। इन दोनों के बिना कोई भी कार्य अच्छी तरह से क्रियाशील नहीं हो सकता है। हमें अपने व्यवसाय में अनुशासन को महत्त्व देना चाहिए ताकि वह लोगों के मध्य कार्य की गंभीरता को प्रदर्शित करें। इसके साथ कार्य की प्रक्रिया पर भी ध्यान दें जो आपकी गुणवत्ता को निखारता है और आपको उत्तम बनाता है।