म्यूचुअल फंड एक ऐसी कम्पनी होती है जो कि अलग-अलग लोगों से पैसे इक्कठा करती है, जिसे वो स्टॉक्स, बांड्स (stocks, bonds) और दूसरे फ़ायनैन्शल Financial assets में निवेश करती है, इन सभी मिलित या holdings (stocks, bonds और दूसरे assets) को उस कम्पनी का portfolio कहा जाता है। प्रत्येक म्यूचूअल फंड (Mutual fund) को एक asset मैनेजर देख रेख करता है। आज इस आर्टिकल में हम म्यूचुअल फंड में निवेश के नुकसान के बारे में बात करेंगे।
म्यूच्यूअल फंड (Mutual fund) पैसा कमाने का एक बहुत ही अच्छा और आसान तरीका है। इसमें निवेश करने के लिए आपके पास हज़ारों रुपये हो ये जरुरी नहीं, बल्कि आप मात्र 500 रुपये हर महीने की दर से भी इसमें निवेश कर सकते है।
Mutual fund विभिन्न निवेशकों से पैसे एकत्र करके एक फंड (fund) में निवेश करने का एक तरीका होता है। इस फंड की देखरेख एक फंड मैनेजर के द्वारा की जाती है, जो की विभिन्न निवेशकों से इकट्ठा किए गए पैसे को बॉन्ड, शेयर मार्केट में निवेश करता है। निवेशक को उसके पैसे के लिए यूनिट आवंटित कर दिए जाते हैं। Mutual fund में निवेशक निवेश की लागत और लाभ को साझा करते हैं। निवेशक यह तय करता है कि वह कितना जोखिम उठाना चाहता है। इसमें निवेश करने के कई फायदे हैं साथ ही कई नुकसान भी, आज हम इससे होने वाले नुकसान की बात करेंगे।
बाजार में कई ऐसे इन्वेस्टमेंट ऑप्शंस (investment options) मौजूद है जो आपको एक निश्चित रिटर्न देते हैं। लेकिन म्यूच्यूअल फंड (mutual fund) में ऐसा नहीं होता है म्यूच्यूअल फंड का फायदा सीधे स्टॉक मार्केट के उतार-चढ़ाव से जुड़ा होता है। स्टॉक मार्केट में हमेशा रिस्क (risk) बना रहता है। यही कारण है कि म्यूचुअल फंड के फायदे में भी उतार-चढ़ाव लगा रहता है।
यदि आपको लगता है कि आप कम समय में म्यूचुअल फंड से बहुत अधिक मुनाफा (profit) प्राप्त कर लेंगे तो यह आपकी गलतफहमी है। क्योंकि कम समय में म्यूचुअल फंड में आपको मुनाफा नहीं हो सकता इसके लिए आपको अपना निवेश लंबे समय तक के लिए म्यूचुअल फंड में लगाना होगा तभी आप अच्छा मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं।
Mutual fund को संभालने के लिए हमारे द्वारा निवेश किए गए फंड में कुछ पैसा expense ratio के रूप में फंड हाउस को दिया जाता है। अगर आप short duration के लिए निवेश करते हैं तो यह खर्चा आपको कम लगेगा परंतु वही जब आप Long duration के लिए निवेश करते हैं तो यह बहुत अधिक हो जाता है, इसलिए जब भी आप म्यूचुअल फंड में निवेश करें तो उससे पहले म्यूचुअल फंड के खर्चों से संबंधित सभी जानकारी प्राप्त कर लें।
अगर आप म्यूचुअल फंड (short duration) के निवेश को 1 वर्ष के भीतर ही निकाल लेते हैं तो आपको उस पर 1% Exit Load देना होगा यह Net asset value का बहुत छोटा सा हिस्सा है। Exit Load को लगाने का मकसद है कि निवेशक बाहर न जाये, क्योंकि कई लोग स्कीम्स मे एंट्री व एग्जिट (entry & exit) करते है। यह उन लोगो के लिए बेकार है जो म्यूच्यूअल फंड से अपना पैसा जल्दी निकलना चाहते है।
लॉक इन अवधि का मतलब है कि आपको अपना निवेश किया गया पैसा एक निश्चित समय के लिए जमा करना होगा और उस दौरान आप उस जमा किये हुए पैसे को निकाल नहीं सकते है। यदि आप उस पैसे को निकालते हैं तो आपको अपने निवेश पर नुकसान उठाना पड़ सकता है।
वैसे तो इसकी सभी स्कीमों पर लॉक इन अवधि नहीं लगाई जाती है लेकिन क्लोज एंडेड स्कीम (Closed Ended Scheme) और elss scheme मे लॉक इन अवधि जरूर होता है। अतः आपको हमेशा उस पैसे का निवेश (invest) करना चाहिए जिसकी जरूरत आपको तुरंत ना पढ़े, नहीं तो आपको जब पैसों की जरूरत होगी तो आप को परेशानियों का सामना करना ही पड़ेगा।
जैसा की आप सभी जानते है म्यूचुअल फंड में जो money invest किया जाता है, उस पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं होता है, बल्कि उसे फंड मैनेजर (fund manager) के द्वारा नियंत्रित किया जाता है। वही अपनी इच्छा के अनुसार हमारे निवेश को स्टॉक मार्केट (stock market) या अन्य बाजार में लगाता है। यह सभी निवेशकों (investors) के लिए निर्धारित है कि निवेश किया गया पैसा फंड मैनेजर के द्वारा ही संचालित किया जाएगा, इसके अलावा आपसे ही कुछ पैसा लेकर फंड मैनेजर की सुविधा दी जाती है।
म्यूचुअल फंड (mutual fund) में निवेश करने के लिए निवेशक को technical knowledge होना आवश्यक है इसका अर्थ है कि निवेशक बाजार की स्थिति के बारे में जानता हो और उसे पता हो की म्यूच्यूअल फंड (mutual fund) कैसे काम करता है। अगर निवेशक को इन बातों की समझ नहीं होगी तो direct invest करने में गलतियों की संभावना रहती है। अधिक मुनाफा पाने के लिए डायरेक्ट निवेश अच्छा विकल्प है परंतु बिना इसे अच्छी तरह समझे इसमें इन्वेस्ट करना बेवकूफी भरा हो सकता है।
भारत के अलग-अलग म्युचुअल फंड हाउस कई स्कीमों की पेशकश करते हैं। निवेशकों के द्वारा एक सही स्कीम का चयन करना आसान बात नहीं है। अधिकतर निवेशक भविष्य के प्रदर्शन को ध्यान में न रखते हुए पिछले प्रदर्शन को देखकर स्कीम का चुनाव कर लेते है। इस तरह से वह संभावित रिटर्न (potential return) पाने से वंचित हो जाते हैं जिसे किसी दूसरे स्कीम (schemes) में निवेश करके प्राप्त कर सकते थे इसलिए इस बात का खासतौर पर ख्याल रखना चाहिये कि आप बेहतरीन रिटर्न (excellent returns) वाले म्यूच्यूअल फण्ड मे निवेश करे ताकि उसका फायदा आपको मिले।
म्यूचुअल फंड में विविधीकरण (Diversification) से फायदा तो होता है, लेकिन कई बार इससे आपको नुकसान (loss) भी उठाना पड़ सकता है। जब किसी स्टॉक (stock) का दाम दोगुना हो जाता है तब भी आपके म्यूच्यूअल फंड (mutual fund) में निवेश की कीमत दोगुनी नहीं होती है, क्योंकि आपका निवेश फंड मैनेजर के द्वारा अलग-अलग शेयर में लगाया जाता है और जिस भी स्टॉक का दाम दोगुना होता है वह आपके म्यूचुअल फंड (mutual fund) के निवेश का एक छोटा सा हिस्सा होता है जिसे आप बदल नहीं सकते है।
हालांकि, म्यूचुअल फंड को एक बुरा निवेश माना जाता है, जब निवेशक कुछ नकारात्मक कारकों को महत्वपूर्ण मानते हैं, जैसे कि फंड द्वारा लगाए गए उच्च व्यय अनुपात, विभिन्न छिपे हुए फ्रंट-एंड और बैक-एंड लोड शुल्क, निवेश निर्णयों पर नियंत्रण की कमी, और पतला रिटर्न।
SIP का नुकसान होता है
लेकिन जैसे-जैसे बाजार गिरता रहता है और आप अपनी औसत लागत में गिरावट जारी रखते हैं। आप कम कीमत पर अधिक यूनिट खरीदेंगे। एसआईपी का प्राथमिक लाभ म्यूचुअल फंड खरीदने की औसत लागत को कम करना है। गिरती बाजार की स्थिति या अस्थिर बाजारों में एसआईपी अच्छा काम करते हैं।
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