हमारे सामने अक्सर ऐसे किस्से आ ही जाते हैं, जिसमें एक शख़्स अपनी मंजिल को पाने की खातिर विभिन्न प्रकार की योजनाओं का प्रबंध करता है। वह एक लक्ष्य के लिए अलग-अलग रास्तों का चुनाव करता है और यह सिद्ध करता है कि यह आवश्यक नहीं एक मंजिल को पाने के लिए एक ही रास्ते का विकल्प हो।
मुकाम को पाने की जद्दोजहद और रास्ते पर संभल के चलने की कोशिशें, कोई भी कहानी इन्हीं दो आधारों से पूरी होती है। प्रत्येक सफ़र मंजिल और रास्ते के ताने-बाने से बुनी जाती है। पृथ्वी पर मौजूद प्रत्येक जीव का अपना एक सफ़र निश्चित तौर पर होता है। जिसमें ऐसे कई ऐसे रास्ते होते हैं, जो विभिन्न प्रकार के विकल्पों के रूप में चुने जाते हैं। ज़िंदगी छोटे-छोटे पड़ावों को पार करते हुए गुजरती है। हमारे जीवन में ऐसे कई दौर आते हैं, जहां पर हम एक ध्येय का चुनाव करते हैं तथा उस ध्येय को पाने के लिए कई बार कुछ न कुछ योजना बनाते हैं और उसी राह पर आगे की ओर अग्रसर होते हैं। यह प्रत्येक जीवन की कहानी है। कुछ लोग पहले रास्ते से ही मंजिल पा जाते हैं, कुछ थोड़ा रास्ता बदलने के बाद मंजिल के करीब पहुंचते हैं और कुछ लोग कई रास्तों के बाद भी मंजिल के करीब नहीं पहुंच पाते। हम यह कह सकते हैं कि एक मंजिल तक पहुंचने के लिए हम अनेक रास्तों से गुजरते हैं, या एक मंजिल के कई रास्ते होते हैं। कई कहानियों से होते हुए एक कहानी बनती है। एक मंजिल के रास्ते की अनेक कहानियां होती हैं।
हम अगर अपना ही उदाहरण लें तो हम पहले अपना एक ध्येय सुनिश्चित करते हैं, फिर उस ध्येय को पूरा करने के लिए एक निश्चित रास्ते का चुनाव करते हैं और उस रास्ते पर किस प्रकार चलना है इसकी योजना बनाते हैं। कभी-कभी रास्ते पर चलते वक्त हम अपने बनाते गए योजनाओं पर सशंकित होने लगते हैं और फिर लक्ष्य की प्राप्ति के लिए दूसरे रास्ते की ओर चलने की योजना बनाने लगते हैं और ऐसे ही न जाने कितने रास्तों का चुनाव एक मंजिल तक पहुंचने के लिए किया जाता है।
हम कई बार बीच रास्ते किसी और मोड़ पर केवल इसलिए मुड़ जाते हैं, क्योंकि हम यह नहीं समझ पाते कि इस डगर पर किस तरीके से चलना है और सफ़र के मध्य मिलने वाले उबड़-खाबड़ रास्तों पर किस प्रकार स्वयं को संभालना है। स्वयं पर विश्वास ना होने के कारण हम इस परिस्थिति से घबराकर किसी अन्य रास्ते की ओर बढ़ जाते हैं।
जिस लक्ष्य का हमने चुनाव किया होता है, हम उस डगर पर चलने वाले पहले व्यक्ति नहीं होते हैं। कुछ लोग शायद इस सफ़र का चुनाव भी इसीलिए करते हैं, क्योंकि वह किसी किसी सफल व्यक्ति को देखकर प्रेरित हुए रहते हैं। इसलिए हम उसी राह पर चलना उचित समझते हैं, जिस पर चलकर वह शख़्स कामयाब हुआ रहता है। यहां पर समझने वाली बात यह होती है कि सबका सामर्थ्य एक जैसा नहीं होता है। इसलिए किसी को देखकर हम उस राह पर तो चल देते हैं, परन्तु थोड़ा समय नष्ट करने के बाद हमारे भीतर यह चेतना उदित होती है कि हम इस तरह से यह कार्य नहीं कर पाएंगे और हम अपना रास्ता बदल देते हैं।
हमारे सामने अक्सर ऐसे किस्से आ ही जाते हैं, जिसमें एक शख़्स अपनी मंजिल को पाने की खातिर विभिन्न प्रकार की योजनाओं का प्रबंध करता है। वह एक लक्ष्य के लिए अलग-अलग रास्तों का चुनाव करता है और सिद्ध करता है कि यह आवश्यक नहीं एक मंजिल को पाने के लिए सिर्फ एक ही रास्ते का विकल्प हो।