यदि आप science से जुड़े हैं तो आप सभी ने रमन इफ़ेक्ट का नाम तो सुना ही होगा और अगर science के विद्यार्थी नहीं भी हैं तो भी आपके ज्ञान के अनुभव आधार पर CV रमन CV Raman जी के बारें में तो सुना ही होगा जिनकी याद में सम्पूर्ण भारत 28 फरवरी को नेशनल साइंस डे मनाते हैं। आइये आज इसी पर हम विस्तार से चर्चा करेंगे और जानेंगे CV रमन तथा उनके आविष्कार को। क्रमश एक-एक कर जानेंगे सारे तथ्यों को।
जब से मनुष्यों ने स्वयं को पशु-पक्षिओं से अलग पहचान बनाई तब से ही प्रत्येक आदमी कुछ न कुछ आविष्कार invention करता ही रहा है कोई ठीक-ठीक ये तो नहीं बता सकता कि विज्ञान का उदय कब से हुआ। जैसे-जैसे पुराने साक्ष्य मिलते हैं हम उसी तरह अनुमान लगाते हैं कि हाँ शायद यहाँ से ही या इसी सदी से विज्ञान का उदय रहा होगा। आज हम तमाम छोटी बड़ी ऐसी चीजों से जुड़े हैं जो ये बताती हैं कि आज का विज्ञान अपनी उस सीमा तक जा पंहुचा जहाँ की उम्मीद शायद ही किसी ने की हो। आज हम सुई से लेकर हवाई जहाज needle to airplane तक को बना पाए हैं तो उसके पीछे विज्ञान का ही कमाल है। आदिम मनुष्य primitive man शायद ही इस बात का ख्याल कर पाये होंगे कि उनके द्वारा बनाया गया पहला हथियार first weapon (जोकि कुल्हाड़ी थी) भी विज्ञान का ही एक भाग है या यूँ कहें कि वह विज्ञान की शुरुआत थी फिर तो धीरे आज हम जिस युग में जी रहे हैं उसे बड़ी आसानी से वैज्ञानिक युग scientific age कहा जा सकता है।
अगर हम बात करें भारतीय विज्ञान और वैज्ञानिकों Indian science and scientists,की तो हमारे देश ने भी इसमें बहुत बड़ा योगदान दिया है जिसको पूरी दुनिया सलाम करती है। भारत में समय-समय पर नए-नए आविष्कार होते रहे हैं। भारतीय वैज्ञानिकों ने विषम परिस्थिति में भी खुद के हुनर को भुनाने की कोशिश की और पूरी दुनिया को अपने अविष्कारों से चौंकाया भी है जिसमें कई अविष्कार शामिल हैं जैसे कि आर्यभट्ट Aryabhata, का शून्य का अविष्कार जिस पर एक भारतीय सिनेमा में गाना भी बना कि जब ज़ीरो दिया मेरे भारत ने दुनिया को तब गिनती आयी, तारों की भाषा भारत ने दुनिया को पहले सिखलायी और भी कई उदाहण हो सकते हैं। यदि आप science से जुड़े हैं तो आप सभी ने रमन इफ़ेक्ट का नाम तो सुना ही होगा और अगर science के विद्यार्थी नहीं भी हैं तो भी आपके ज्ञान के अनुभव आधार पर CV रमन CV Raman जी के बारें में तो सुना ही होगा जिनकी याद में सम्पूर्ण भारत 28 फरवरी को नेशनल साइंस डे मनाते हैं। आइये आज इसी पर हम विस्तार से चर्चा करेंगे और जानेंगे CV रमन तथा उनके आविष्कार को। क्रमश एक-एक कर जानेंगे सारे तथ्यों को।
एक सवाल जो सभी के ज़हन में आता है कि हम किसी भी क्षेत्र का स्पेशल डे क्यों मानते हैं? या यूँ कहें कि दिवस को मनाने का विशेष उद्देश्य क्या है तो हम आपको बताना चाहेंगे कि स्पेशल डेज मानने का प्रमुख उद्द्श्य यह होता है कि उस क्षेत्र के लोगों को प्रोत्साहन दिया जा सके उनके कामों को सराहा जा सके या उसकी फील्ड से जुड़े तजुर्बों, अविष्कारों, आदि का बखान किया जा सके। इसमें एक बात जोड़ी जा सकती है की ऐसे दिवस ज्यादातर किसी महान शख्सियत की याद में सेलेब्रेट किये जाते हैं। भारत में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस प्रत्येक वर्ष 28 फरवरी को देश के विकास में वैज्ञानिकों के योगदान को चिह्नित करने उनकी समस्याओं को समझने और हौसला अफ़ज़ाई हेतु मनाया जाता है। आज ही के दिन 1928 में, भारत के भौतिक वैज्ञानिक चंद्रशेखर वेंकट रमन Chandrasekhara Venkata Ramana ने स्पेक्ट्रोस्कोपी spectroscopy के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण खोज की, जिसे बाद में उनके नाम पर रखा गया, जिसको हम सभी रमन प्रभाव या Raman Effect के नाम से जानते हैं। इसलिए हर साल national साइंस day मनाया जाता है।
पहली बार सन 1986 में, राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार परिषद National Council for Science and Technology Communication ने सरकार से संपर्क किया और 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में नामित करने का आग्रह किया। इसके बाद सरकार ने एनसीएसटीसी के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया और 1987 में देश में पहली बार इस दिवस को मनाया गया।
हर साल नई थीम रखने का उद्द्श्य होता है ताकि लोगों तक ये सदेश पहुँच सके कि इस बार इस क्षेत्र में किस तरह का सुधार बदलाव या परिवर्तन देखने को मिलेगा। साथ ही साथ ये भी ध्यान में रखा जाता है कि विशेष विषय से जोड़ कर थीम को decide किया जाए। इस बार इस वर्ष के राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की थीम 'सतत भविष्य के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी में एकीकृत दृष्टिकोण' 'Integrated Approach in Science and Technology for a Sustainable Future' रखी गई है। समाज के एक अलग पहलू को उजागर करने के लिए हर साल का विषय बदलता रहता है। 2021 में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की थीम 'द फ्यूचर ऑफ एसटीआई' 'The Future of STI' थी।
विश्व के महान वैज्ञानिकों में गिने जाने वाले सर चन्द्रशेखर वेंकटरामन का जन्म 7 November 1888 ई. में तमिलनाडु Tamil Nadu के तिरुचिरापल्ली नामक एक स्थान में हुआ था। इनके पिता का नाम चन्द्रशेखर अय्यर था जोकि एस. पी. जी. कॉलेज में भौतिकी के प्राध्यापक थे। इनकी माता का नाम पार्वती अम्मल था जोकि एक सुसंस्कृत परिवार की महिला थीं। सन् 1892 ई. मे इनके पिता चन्द्रशेखर अय्यर विशाखापटनम के श्रीमती ए. वी.एन. कॉलेज में भौतिकी और गणित के प्राध्यापक रहे तथा जब इनके पिता की मृत्यु हुई उस वक़्त ये महज़ चार वर्ष के ही थे। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा विशाखापटनम में ही हुई। वहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य और विद्धानों की संगति ने इनको बहुत अधिक प्रभावित किया। रमन ने विश्वविद्यालय में सर्वाधिक अंक अर्जित किए और इन्होंने आईएएस की परीक्षा में भी प्रथम स्थान प्राप्त किया था। 6 मई 1907 को कृष्णस्वामी अय्यर की सुपुत्री त्रिलोकसुंदरी से रमन का विवाह हुआ। 82 वर्ष का जीवन काल जीने वाले cv रमन की मृत्यु 1970 में हो गयी।
CV रमन ने अपनी गवर्मेंट सर्विस जल्द ही छोड़ दी, उन्हें 1917 में कलकत्ता विश्वविद्यालय में फिजिक्स का प्रथम पालित प्रोफेसर नियुक्त किया गया था। जब वे कलकत्ता विश्वविद्यालय में टीचिंग कर रहे थे, तब इन्होंने कलकत्ता में इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस Indian Association for the Cultivation of Science (IACS) में अपना रिसर्च भी जारी रखा बाद में वह एसोसिएशन में प्रख्यात स्कॉलर बन गए। IACS में, रमन ने एक ग्राउंड ब्रेकिंग एक्सपेरिमेंट किया जिसने उन्हें 28 फरवरी 1928 में फिजिक्स में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्होंने प्रकाश के प्रकीर्णन को देखकर प्रकाश के क्वांटम नेचर के एविडेंस की खोज की, एक ऐसा इफेक्ट जिसे रमन इफेक्ट के रूप में भी नाम दे दिया गया। इस दिन को भारत में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस National Science Day के रूप में मनाया जाता है।
एटोमिक न्यूक्लियस और प्रोटॉन के खोजकर्ता डॉ अर्नेस्ट रदरफोर्ड Dr. Ernest Rutherford ने 1929 में रॉयल सोसाइटी के अपने अध्यक्षीय भाषण में रमन की स्पेक्ट्रोस्कोपी का उल्लेख किया। रमन को सोसाइटी के द्वारा एकनॉलेज्ड किया गया और उन्हें नाइटहुड भी प्रदान किया गया। रमन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पहले एशियाई और व्यक्ति थे। 1932 में रमन और सूरी भगवंतम ने क्वांटम फोटॉन स्पिन quantum photon spin की खोज की। इस खोज ने प्रकाश की क्वांटम प्रकृति को और सिद्ध कर दिया। रमन न केवल प्रकाश के विशेषज्ञ थे बल्कि उन्होंने ध्वनिकी acoustics के साथ भी प्रयोग किया। तबला और मृदंगम जैसे भारतीय ढोल की ध्वनि की हार्मोनिक प्रकृति की जांच करने वाले रमन पहले व्यक्ति थे। उनकी पहली पुण्यतिथि पर भारतीय डाक सेवा Indian post service ने सर सी वी रमन की एक स्मारक डाक टिकट प्रकाशित की थी जिसमें उनकी स्पेक्ट्रोस्कोपी और बैकग्राउंड में एक हीरा था। उन्हें 1954 में भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था।