कपास की खेती, सुरक्षित व्यवसाय देती

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09 Sep 2021
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भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां पर खेती के माध्यम से ही सबसे अधिक लोगों की जीविका चलती है। हमारे इतिहास ने भी कपास को कपड़े का मुख्य स्रोत माना है। गांधी जी ने भी खादी के कपड़ों के इस्तेमाल पर ही जोर दिया, क्योंकि इससे व्यक्ति अपने लिए व्यवसाय का जरिया खोल सकता है, साथ में भारत में कपड़ों के बढ़ते मूल्य को भी नियंत्रित कर सकता है। भारत में कपास की बढ़ती मांग कई रोजगार के अवसर प्रदान कर रही है।    

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व्यक्ति की जरूरतें कहां खत्म होती हैं। व्यक्ति की जरूरत ही नये संसाधनों का निर्माण कराती हैं या फिर पुराने संसाधनों में संसोधन करती हैं। व्यक्ति की कुछ सामान्य जरूरतें होती हैं, जिसे हमें पूरा करना ही होता है। बात खाने की हो, घर में रहने की या कपड़े पहनने की हम इन तीनों में किसी को भी नजरअंदाज नहीं कर सकते। हां यह है कि हम इनमें भी कई तरह की विविधताएं ढूंढते हैं। परन्तु इन जरूरतों को पूरा करने के लिए जिन प्राथमिक वस्तुओं की आवश्यकता होती है, हम उसे अनदेखा नहीं कर सकते। यही कारण है कि इन वस्तुओं की कीमत और मांग बाजार में कभी कम नहीं होती। हमें अपने शरीर पर पहनने के लिए कपड़ों की आवश्यकता होती है, यद्यपि हम उसमें भी इस बात का ध्यान देते हैं कि कपड़ें बदलते मौसम के अनुसार आरामदायक हों। कुछ कपड़ों के गुण प्रत्येक मौसम के लिए आरामदायक होता है। इसी गुण के कारण भारत में सूती कपड़े बनने में इस्तेमाल होने वाले कच्चे पदार्थ के पौधों की बहुत मांग है। भारत में इनकी खपत बहुत ज्यादा है। केवल देश में ही नहीं, देश के बाहर भी सूती कपड़ों को बनाने वाली सामग्री का निर्यात किया जाता है। भारत में कपास के पौधों की खेती व्यवयाय का अच्छा माध्यम है। इसके माध्यम से एक सामान्य किसान से लेकर बड़ा औद्योगिक भी अच्छा व्यवसाय कर सकता है।

जलवायु परिवर्तन के आधार पर होती है खेती

कपास भारत में तीन भागों में विभाजित फसल में से खरीफ फसल की श्रेणी में आता है। कपास एक खरीफ फसल है, जो अप्रैल-मई से दिसम्बर-जनवरी के बीच में पैदा किया जाता है। कुल 6-8 महीनें में इसकी फसल तैयार होती है। कपास की खासियत यह है कि, यह जलवायु के आधार पर विभिन्न जगहों पर विभिन्न-विभिन्न समय के हिसाब से पैदा की जाती है। तीन तरह के कपास होने के कारण कोई भी व्यक्ति जो इस क्षेत्र में व्यवसाय करना चाहता है। अपनी सुविधा अनुसार उस कपास की खेती कर सकता है।

लॉंग स्टेपल है सबसे अच्छा कपास

व्यवसाय में मुनाफे के हिसाब से लॉँग स्टेपल के नाम से जाना जाने वाला कपास बाजार में सबसे ज्यादा बिकता है। लंबे रेशे, महीन और चमकीला होने के कारण सबसे अच्छी गुणवत्ता के आधार पर इस कपास की ज्यादा मांग रहती है। भारत में सबसे अधिक लाँग स्टेपल कपास का इस्तेमाल किया जाता है। इसके बाद मध्यम प्रधान कपास कुल 44 प्रतिशत की खपत लिए रहता है। लॉँग-स्टेपल के बाद यह सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। इसके बाद सबसे कम गुणवत्ता रखने वाला शॉर्ट स्टेपल भी कपास का एक रूप है। इसका कुल 6 प्रतिशत ही उत्पादन किया जाता है।

मिट्टी का तापमान ध्यान में रखना अति आवश्यक

कपास के खेती की एक प्रकिया होती है, जिसे प्रत्येक व्यवसायी को ध्यान में रखना चाहिए। खेती के लिए मिट्टी के तापमान को ध्यान में रखना अति आवश्यक है, क्योंकि इसी से कपास के ज्यादा उपज का निर्धारण होता है। कपास की खेती के लिए रोपण को सावधानी से करना एक जिम्मेदारी का काम है। इसके लिए हैरो, कल्टीवेटर, लैंड लेवलर जैसे उपरकणों का इस्तेमाल उपयोगी होगा। इसके बाद पौधों के अंकुरित होने और पौधे से कपास निकलने के समय थोड़ी सावधानी बरतनी होती है, जिससे कि फसल को ज्यादा नुकसान ना हो। आपको बता दें कि पौधे के परिपक्व हो जाने के बाद पौधे से अलग करने पर केवल कपास ही उपयोगी नहीं होता, इसमें से निकले वाला बीज भी कई कामों में इस्तेमाल में लिया जाता है। उसके बीज से लिकलने वाले तेल, आटे, हल्स और अन्य चीजों का भी अच्छा व्यवसाय किया जा सकता है।

भारत की मिट्टी कपास की खेती के लिए उपजाऊ

भारत में कपास की खेती का व्यवसाय करना इसलिए भी आसान है, क्योंकि यहां पर कपास की खेती के लिए मजदूर आसानी से मिल जाते हैं, कपास में लगने वाले कीड़ों को मारने के लिए कीटनाशक आसानी से उपलब्ध है। पौधों के वृद्धि के लिए जरूरी उर्वरक भारत में उचित दाम पर आसानी से मिल जाते हैं। देश में कपास की खेती के सरल होने का सबसे बड़ा कारण है, भारत में उपस्थित गंगा-डेल्टा क्षेत्र, जो कपास की खेती के लिए मिट्टी को उपजाऊ बनाती है।

आर्थिक रूप से फायदेमंद कपास की खेती

कपास भारत के कृषि और औद्योगिक क्षेत्र में आर्थिक रूप से अहम किरदार निभाता है। पूरे विश्व में सबसे अधिक कपड़े में कपास का ही इस्तेमाल किया जाता है, जिसके कारण इसका व्यवसाय करना फायदे का सौदा साबित हो सकता है। भारत में लगभग 6 करोड़ किसानों की ज़िन्दगी कपास की खेती पर निर्भर करती है। इसके उपज से कपड़े बनने की प्रक्रिया तक के माध्यम से करीब 40-50 करोड़ लोगों को रोजगार का जरिया मिलता है। भारत ने वर्ष 2030 तक देश को पूरे विश्व में सबसे अधिक कपास उत्पादन करने वाला देश के रूप में स्थापित करने का लक्ष्य रखा है। बदलते समय में देश इस क्षेत्र में अनियमित बदलाव देखने वाला है, जिसका जरिया हम जैसे, अपना व्यवसाय शुरू करने वाले व्यक्ति बन सकते हैं।

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