संचार, बातचीत और रणनीतियाँ

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31 Jul 2021
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बढ़ते व्यापार जगत में क्या है, जो सबसे ज्यादा आवश्यक है? क्या है जिसकी आवश्यकता हर छोटी या बड़ी कम्पनी में पड़ती है? किस तरह से आपके कार्य, आपका व्यापार, आपकी विचार की हुई रणनीतियाँ कार्यरत रहेंगी।

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बढ़ते व्यापार जगत में क्या है, जो सबसे ज्यादा आवश्यक है? क्या है, जिसकी आवश्यकता हर छोटी या बड़ी कम्पनी में पड़ती है? किस तरह से आपके कार्य, आपका व्यापार, आपकी विचार की हुई रणनीतियाँ कार्यरत रहेंगी। उसके लिए आपकी नज़र में क्या आवश्यक है? आपका उत्तर आएगा सही ढंग से बात करना अपने विचार अपनी कंपनी को दे पाना, नए-नए आइडिया आपके द्वारा देते रहना एक आवश्यक पहलू है परन्तु इससे भी जरुरी है संचार की रणनीति, कम्युनिकेशन स्ट्रैटजी पर काम करना उसको सीखना। जिससे कंपनी, व्यवसाय, या कोई भी निजी कार्य करना थोड़ा आसान हो जाता है।

आज के समय में वही व्यवसाय ज्यादा अच्छे से कार्य कर रहे हैं, जो अपने कर्मचारियों के साथ ताल-मेल बनाकर चलते हैं। उनकी समस्याओं को समझने का प्रयास करते हैं तथा कार्य की एक रणनीति बनाकर उसको शुरू करते हैं। बहुत सारे उदाहरणों को आप अपने आसपास देख सकते हैं। यदि बहुत छोटे स्तर पर बात करें तो व्यवसायिक अपने मजदूरों या कर्मचारियों से दिन में दो बार बात करते हैं या उनसे कम्युनिकेट करते हैं और उनकी छोटी-छोटी समस्याओं को हल करने की कोशिश करते हैं, तो ये दोनों के लिए अच्छा संकेत है। इससे होता ये है की कर्मचारी के बीच एक धनात्मक ऊर्जा कार्य करती है। इससे लोग दिन भर तरो-ताजा और अपने कार्य को रूचि पूर्ण करने में ध्यान लगाते हैं। यही प्रक्रिया बड़े-बड़े व्यवसायों में भी काम करती है, जो व्यवसायों को और ऊपर ले जाने की पहल करती है।

अब प्रश्न ये उठता है की संचार या कम्युनिकेशन के कितने प्रकार हो सकते हैं? संचार रणनीतियाँ मौखिक, अशाब्दिक या दृश्य हो सकती हैं। 

मौखिक संचार के लिए रणनीतियाँ

मुद्दे पर ध्यान दें, व्यक्ति पर नहीं- आप जिससे भी कम्युनिकेट कर रहे हैं उसके विचारों से आपका ताल-मेल होना चाहिए, न कि इस बात से फर्क पड़ना चाहिए की वह व्यक्ति कैसा है। क्योंकि दुनिया में हर प्रकार के व्यक्ति हैं, अलग कद-काठी और अलग शारीरिक बनावट, अलग चेहरा हो सकता है। इसलिए कंपनी को प्रत्येक कर्मचारी से मुद्दे से जुड़ी बात करना चाहिए।

जोड़-तोड़ के बजाय वास्तविक बनें- आपने अक्सर देखा होगा कि लोग इधर-उधर की बात करते हैं। जहाँ जिस मुद्दे की जरूरत भी नहीं उसपर भी कितनी बार चर्चा करते रहते हैं। हमारी कोशिश ये होनी चाहिए की चर्चा में ज्यादातर वास्तविकता होनी चाहिए जो किसी न किसी उद्देश्य की प्राप्ति करा सके।

अलग रहने के बजाय सहानुभूति रखें- हमें अक्सर बात-चीत रणनीति के दौरान सहनभूति का भी ख्याल रखना चाहिए। ऐसा करने से आप ऐसा माहौल रचित कर पाएंगे जो नौकरशाही को बढ़ावा नहीं देगा। प्रत्येक व्यक्ति का मानसिक संतुलन भी बरक़रार रहेगा।

दूसरों के प्रति लचीला व्यवहार रखना- कम्युनिकेशन करते समय हमें ये भी ध्यान रखना चाहिए कि हमारी बातों में लचीलापन होना चाहिए। बहुत अधिक कठोरता जहाँ होती है, वहाँ लोग बात करना पसंद नहीं करते। आपसे बचते हैं, आपसे सलह लेने से बचते हैं और आपकी इस कठोरता का मन ही मन विरोध करते हैं।

अपने आप को और अपने स्वयं के अनुभवों को महत्व दें- जब भी हम बात करें तो हमें स्वयं की बातों को भी महत्व देना चाहिए कि हमारा और हमारी बातों का कितना महत्व है, ठीक वैसे ही जैसे दूसरों का अपना महत्व है। क्योंकि अनुभव अक्सर काम ही आता है। 

सही सवाल और सटीक उत्तर देना- हमारी यही कोशिश रहनी चाहिए की हम सही प्रश्न पूँछें या रखें जो हमारे मुद्दे के इर्द-गिर्द रहना चाहिए व्यर्थ के ऊल-जुलूल सवालों से बचें। साथ ही साथ उतना ही जरुरी है प्रश्न का सटीक उत्तर जिससे मुद्दा आपके आसपास रहे, न की आपके उत्तर मुद्दे में भटकाव पैदा करें। आपका उत्तर संगठन को मजबूती दे आपके मुद्दे को जटिल बनाने की बजाय सरल कर सके। 

खुली बैठक करें- खुली बैठकों के माध्यम से अपने जुनून के माध्यम से आप अपनी टीम को कैसा महसूस कराते हैं, यह बताना आसान है। कोविड के दौर में जिस तरह से लोग ऑनलाइन मीटिंग्स रखते हैं। फिर भी अगर संभव हो सके तो खुले मंच की बैठक करें।

ईमेल- ईमेल एक बहुत अच्छा माध्यम है, कंपनी और कर्मचारी के बीच तालमेल बनाये रखने के लिए आप इसक प्रयोग कर सकते हैं। इसको एक कम्युनिकेशन टूल की तरह प्रयोग में लाएं।

 

अपनी बात एक एक करके रखें ऐसा न हो सब बोल रहे हैं, तो बात का वजन खत्म हो जाता है। ऐसी नासमझी से बचें ,ऐसा न करें।

ग्रहणशील वातावरण बनाएं- आपके ऑफिस का वातावरण सीखने वाला होना चाहिए, जहाँ कर्मचारी नया सीख सकें, अनुभव को साझा कर सकें और सुगमता तथा ऊर्जा से भर कर कार्य सकें। इन सब प्रक्रियाओं का ध्यान रखते हुए रणनीति बनाएं। 

आत्मविश्वास और गंभीरता प्रदर्शित करें- आपके कार्य में गंभीरता होनी चाहिए। ये आपके कार्य और आपकी व्यक्तिगत स्थिति को आत्मविश्वास से भर देने के लिए काफी है।

सरल शब्दों का प्रयोग करें- चर्चा करते समय या कम्युनिकेशन करते समय आपका ध्यान इस बात पर भी रहना चाहिए कि आप अपने शब्दों में कितनी सरलता रखते हैं। ऐसा न हो आप की बात औरों को समझ ही नहीं आ रही हो और आप अपनी बातों से मुद्दे को खत्म भी करने कगार पर हो। 

कार्यस्थल संचार के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखें

आपके भीतर विनम्रता, शिष्टाचार और दया बनी रहनी चाहिए:- ऐसा नहीं की आप गुस्से में या उग्रता में आ जाएँ जो कम्पनी और कर्मचारी के बीच का ताल मेल ही खत्म कर दे। यदि आपके भीतर इन चीजों की कमी है तो, उसपर अभ्यास करें।

विनयपूर्वक सुनो- सुनने की कला को विकसित करें। अच्छा सुनने वाला ही अच्छा बोल सकता है ठीक वैसे ही जैसे अच्छा समझने वाला अच्छा कर लेता है। शालीन बनें विनयपूर्वक सुने और रणनीतियाँ बनाएं।

नकारात्मकता से बचें- कोई यदि नकारात्मक भाव आपके ज़हन में उड़ेल रहा है, तो उससे बचें उसको टोकें, उसको रोकें और उसको भी धनात्मक पहलुओं की तरफ धकेले क्योंकि ऐसा ताल-मेल बिठाना बहुत जरुरी है।

अधिक आलोचना न करें- अधिक आलोचना आदमी के भीतर कार्य करने की क्षमता को धीमा कर देती है। कुशल व्यक्ति भी अधिक आलोचनाओं के चलते  क्षीर्ण महसूस करता है और वह कार्यों में निपुर्ण होने की बजाय अकुशलता का अनुभव करने लगता है।

अन्य बातों को ध्यान में रखें जैसे कि लोगों के साथ समान व्यवहार करें, जैसा आप स्वयं के साथ चाहते हैं। अपनी बात के साथ साथ दूसरों की राय को महत्व दें।

निष्कर्ष- जैसा आपने जानाकि कम्युनिकेशन की आवश्यकता क्यों होती है। किसी कम्पनी में या किसी व्यवसाय में बिना इसके उज्जवल भविष्य कामना करना कठिन है। संचार का माध्यम व्यवसाय को सुगम,सरल और भविष्यवादी बनता है।

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