आज इस बात से हर कोई वाकिफ है कि वाणिज्यिक बैंक अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। यानि वाणिज्यिक बैंक राष्ट्रीय और वैश्विक दोनों स्तरों पर अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वाणिज्यिक बैंक ऋण के निर्माण में भूमिका निभाते हैं, जिससे उत्पादन, रोजगार और उपभोक्ता खर्च में वृद्धि होती है, जिससे अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है। वाणिज्यिक बैंक विश्वसनीय और आर्थिक विकास के साथ साथ सामाजिक-आर्थिक प्रगति में भी योगदान देते हैं। व्यापारिक बैंक वह संस्था होती है जो लाभ कमाने के उद्देश्य से लोगों के डिपॉज़िट को स्वीकार करते है तथा लोगों को जब ऋण की आवश्यकता होने पर उन्हें उधार भी देते हैं यानि लोगों को निवेश या व्यवसाय के लिए ऋण loan वितरित करते हैं।
किसी भी राष्ट्र की अर्थ-व्यवस्था economy में बैंकिंग व्यवस्था का अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान होता है। बैंक देश के आर्थिक-विकास के महत्वपूर्ण उपकरण होते हैं और बैंक पूँजी-निर्माण की गति को बढाने में योगदान देते हैं। वह संस्था जो मुद्रा के लेन-देन currency transactions को सरल बनाती है उसे हम बैंक के नाम से जानते हैं। विकास कार्यों में भी बैंकों की भागीदारी अत्यन्त महत्वपूर्ण होती जा रही है। देश के आर्थिक विकास के साथ साथ सामाजिक-आर्थिक प्रगति के कार्यक्रमों में बैंकों की भागीदारी बढती जा रही है। बैंक कई प्रकार के होते हैं जैसे वाणिज्यिक बैंक, स्मॉल फाइनेंस बैंक, पेमेंट्स बैंक और सहकारी बैंक, लेकिन आज हम अर्थव्यवस्था के लिए सबसे महत्वपूर्ण वाणिज्यिक बैंकों commercial banks के बारे में जानेंगे। वाणिज्य बैंक (कॉमर्शियल बैंक) वो बैंक हैं जो धन जमा करने, व्यवसाय के लिये ऋण देने जैसी सेवाएँ प्रदान करते हैं। इन्हें वाणिज्यिक बैंक, व्यावसायिक बैंक या व्यापारिक बैंक कई नामों से जाना जाता है। चलिए वाणिज्यिक बैंकों के बारे में विस्तारपूर्वक जानते हैं कि वाणिज्यिक बैंक क्या है और इनका क्या महत्व है।
वाणिज्यिक या व्यापारिक बैंक वित्तीय संस्थान होते हैं जो जनता से जमा Deposit स्वीकार करते हैं और लाभ कमाने के लिए लोगों को निवेश या व्यवसाय के लिए ऋण वितरित करते हैं। इसे हम इस तरह से भी समझ सकते हैं कि व्यापारिक बैंक एक Financial Institution वित्तीय संस्थान है जो Money धन तथा Credit क्रेडिट में व्यापार करती है। वाणिज्यिक बैंक न केवल धन को लोगों से Deposit डिपॉजिट के रूप में स्वीकार करती है बल्कि आवश्यकता पड़ने पर Entrepreneurs and associates उद्यमी और एसोसिएट्स को उधार भी देती है और महत्वपूर्ण कार्य Credit Creation क्रेडिट निर्माण के रूप में कार्य करती है। वाणिज्यिक बैंक जैसे-पंजाब नेशनल बैंक, भारतीय स्टेट बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक, सिटी बैंक इंडिया Punjab National Bank, State Bank of India, Kotak Mahindra Bank, ICICI Bank, HDFC Bank, Citibank India आदि हैं। वाणिज्यिक बैंक अर्थव्यवस्था के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। बैंक अर्थव्यवस्था में पूंजी और तरलता बनाते हैं। बैंक अब देश के आर्थिक विकास के साथ-साथ सामाजिक परिवर्तन (Social Change) के महत्वपूर्ण माध्यम बन गये हैं। 1969 में 14 प्रमुख व्यापारिक बैंकों के राष्ट्रीयकरण के पश्चात् बैंकों के भौगोलिक एवं कार्यात्मक क्षितिज (Geographical and Functional Horizon) का विस्तार हुआ है और साथ ही कई क्रान्तिकारी अवधारणात्मक (Conceptual) परिवर्तन भी हुए हैं। वाणिज्यिक बैंक कई प्रकार के शुल्कों और ऋणों जैसे ऑटो लोन, व्यवसाय लोन और व्यक्तिगत लोन Auto Loan, Business Loan & Personal Loan से ब्याज आय से पैसा कमाते हैं। वाणिज्यिक बैंक कई प्रकार के होते हैं - सार्वजनिक या राष्ट्रीयकृत बैंक, प्राइवेट बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (आरआरबी) Public or nationalized banks, private banks, regional rural banks (RRBs) और foreign banks विदेशी बैंक। हमारी Economy इकोनॉमी में कमर्शियल बैंक, व्यापारिक बैंक या वाणिज्यिक बैंक का बहुत बड़ा हाथ है |
Commercial Bank के कार्य निम्न हैं -
बैंक का सबसे महत्वपूर्ण कार्य पब्लिक से विभिन्न प्रकार की जमा योजनाओं के माध्यम से जमाएँ या डिपॉज़िट स्वीकार करना है यानि बैंक का एक महत्वपूर्ण कार्य लोगों का अतिरिक्त धन जमा के रूप में प्राप्त करना है। बैंक जनता से जमा के रूप में ऋण लेता है और जमा किये जाने पर धन, ब्याज सहित लौटाने की जिम्मेदारी बैंक की होती है।
यह भी बैंक का महत्वपूर्ण कार्य है। वास्तव में जमा Deposits प्राप्त करना और ऋण Loans प्रदान करना, ये दोनों कार्य ही अत्यंत महत्वपूर्ण हैं और इन्हीं दोनों कार्यों पर वर्तमान का सम्पूर्ण ढाँचा खड़ा हुआ है और हर कार्य इन्ही दोनों कार्यों पर निर्भर करता है। Bank जितना रुपया जमा के रूप में प्राप्त करते हैं उसका अधिकांश भाग ज़रूरतमंद लोगों जैसे व्यावसायियों, व्यापारियों, किसानों आदि को ऋण के रूप में दे देते हैं। इन ऋणों पर बैंक Interest वसूल करती है कि जिससे बैंक के खर्च तथा जमाकर्ताओं को दिया जाने वाला Interest आसानी से निकल आये। कॉमर्शियल बैंक उत्पादक कार्यों और उपभोक्ता वस्तुओं के लिए ऋण देते हैं। इन ऋणों की ब्याज दर ऊंची होती है और इसी ब्याज से बैंक का खर्चा चलता है।
बैंकों के अभिकर्ता सम्बन्धी कार्य Agency Functions निम्नलिखित हैं
बैंक द्वारा अपने ग्राहकों की ओर से लाभांश, ब्याज interest, कमीशन आदि की वसूली की जाती है।
बैंक कम ब्याज पर एक स्थान से दूसरे स्थान पर रकम भेजता है और इसके बदले में थोड़ा सा शुल्क लेता है ।
अपने ग्राहकों की ओर से बैंक बीमा कम्पनियों को प्रीमियम तथा अन्य दायित्व का भुगतान करते हैं।
ग्राहकों के आदेश पर बैंक ग्राहकों के शेयर, सरकारी एवं गैर सरकारी सिक्योरिटी आदि का क्रय-विक्रय करते हैं ।
बैंक भुगतान से संबंधित जैसे - चंदे, बीमा की किश्त, कर, ब्याज, ऋण loan की किश्तें आदि का क्रय-विक्रय बैंक करते हैं ।
बैंक ग्राहकों के खाते में जमा किये गये चैक का संग्रह कर उनके खाते में रकम जमा करते हैं ।
व्यापारिक बैंक का एक प्रमुख कार्य क्रेडिट निर्माण Credit Creation है। बैंक व्यक्तिगत क्रेडिट की सुविधाएं (Facility of Personal Credit) भी देते हैं। और इसी के आधार पर अग्रिम लोन भी देते हैं। कुल मिलाकर बैंक अर्थ-व्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
अन्य कार्य जैसे विदेशी विनिमय का क्रय-विक्रय (Purchase and Sale of Foreign Exchange), बैंक ग्राहकों की आर्थिक स्थिति से परिचित होता है इसलिए Credit Report क्रेडिट रिपोर्ट सम्बन्धी सूचनाएँ देना। व्यापारिक बैंक अपने ग्राहकों को अनेक प्रकार की आवश्यक सूचनाएँ भी देता है। वह इन सूचनाओं के आधार पर ग्राहकों से विभिन्न कार्य करने के लिए सलाह भी देता है। इसके अलावा मूल्यवान वस्तुओं की सुरक्षा (Custody of Valuables) जैसे अपने ग्राहकों को लॉकर सम्बन्धी सुविधायें locker facilities प्रदान करना। इन लॉकरों में ग्राहक बहुमूल्य प्रपत्र, गहने, आभूषण, कागज, कम्पनियों के शेयर आदि रख सकते हैं और इसके लिये बैंक कमीशन भी लेते हैं। बैंक अपने ग्राहकों को धन विनियोग करने तथा और अन्य वित्तीय मामलों में परामर्श भी देते हैं।
Bank पाँच प्रकार के Account में लोगों की इच्छानुसार निक्षेप जमाएँ (Deposits) प्राप्त करते हैं और निम्न खातों पर रकम जमा कराने की सुविधा देते हैं।
इस अकाउंट में जमा करने वाला जब चाहे तब रूपये जमा कर सकता है और निकाल सकता है। प्राय: बैंक इस प्रकार के अकाउंट में जमा धनराशि पर Interest ब्याज नहीं देती है, क्योंकि उसे जमा कर्ता की माँग को पूरा करने के लिए सदैव अपने पास नकद कोष तैयार रखना पड़ता है। यह अकाउंट प्राय: उद्योगपतियों, व्यापारियों एवं अन्य उद्यमियों द्वारा खोला जाता है।
यह अकाउंट प्राय: कम आय वाले व्यक्तियों द्वारा खोला जाता है। इस अकाउंट में से जमा कर्ता सप्ताह में एक या दो बार ही रुपया निकाल सकता है, किंतु जमा कितनी बार भी कर सकता है। रुपया निकालने के लिए जमा कर्ता को Cheque चैक की सुविधा भी दी जाती है। इस प्रकार का खाता छोटी बचत करने वालों के लिए बढ़िया होता है। इन खातों में जमा रकम पर ब्याज दिया जाता है।
स्थायी जमा खाते में एक निश्चित अवधि जो कम से कम 3 माह एवं ज्यादा से ज्यादा 21 वर्ष या अधिक के लिये धनराशि जमा की जाती है। जिस निश्चित अवधि के लिए धनराशि या रुपया जमा कराया गया है उस निश्चित अवधि के समाप्त होने से पहले रुपया नहीं निकाला जा सकता है और इस अकाउंट में Interest ब्याज की दर अन्य अकाउंट की अपेक्षा ऊँची होती है। जमाकर्ता जमा राशि गिरवी रखकर बैंक से ऋण ले सकता है। इस अकाउंट में वे लोग अपना रुपया जमा करते है जिनके पास कुछ निश्चित रुपया होता है।
कुछ बैंक द्वारा जमा कर्ता कस्टमर को घर ले जाने के लिए Saving Box गुल्लक दे जाते हैं। यह savings बचत को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से किया जाता है। इसका यह फायदा होता है कि वे अपनी छोटी-छोटी बचतों को जमा करते रहते हैं। इन गुल्लकों की चाबी बैंक अपने पास रख लेती है। फिर एक निश्चित समय के बाद गुल्लक को बैंक में जाकर खोला जाता है और उससे प्राप्त रकम को जमा कर्ता के अकाउंट में जमा कर दिया जाता है। बैंक में इस जमाराशि पर ब्याज दिया जाता है और इस प्रकार के अकाउंट पर ब्याज Interest की दर बहुत कम होती है।
इनके अलावा वर्तमान में Depositors जमाकर्ता द्वारा कई नये-नये प्रकार के अकाउंट में भी Deposit किया जाने लगा है, जैसे-अनिश्चितकालीन जमा खाता, वार्षिकी या निवृत्ति योजनाएँ, प्रतिदिन बचत जमा खाता, आवर्ती जमा खाता,मासिक जमा योजनाएँ आदि।
ये तो हम सबको पता है कि राष्ट्र की अर्थ-व्यवस्था में बैंकिंग व्यवस्था का अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान होता है। अब बैंकों के परम्परागत स्वरूप में भारी बदलाव आया है। अब वो समय नहीं रहा कि जब बैंक मात्र जमाएँ स्वीकार करने वाली तथा ऋण देने वाली, बडे शहरों एवं व्यापारिक केन्द्रों में, न्यूनतम जोखिम पर अधिकतम लाभ करने वाली संस्थायें थीं। अब बैंको के सम्बन्ध में क्रान्तिकारी कन्सेप्टुअल (Conceptual) परिवर्तन हुए हैं। बैंक अब देश के आर्थिक विकास के उत्प्रेरक के साथ-साथ सामाजिक परिवर्तन (Social Change) के महत्वपूर्ण साधन बन गये हैं। आज बैंकों के हित ग्राही केवल बड़े उद्योगपति या व्यापारी ही नहीं हैं। आज बैंक बेरोजगार युवकों, छोटे-छोटे व्यापारियों, छोटी-छोटी औद्योगिक व्यापारिक इकाइयों, बुनकरों, कारीगरों, छोटे-छोटे कृषकों, शारीरिक रूप से अपंग व्यक्तियों आदि के लिए भी जीवन यापन करने के लिए प्रमुख और अत्यंत महत्वपूर्ण साधन बनकर उभरे हैं। वाणिज्यिक बैंकों के महत्व में यह तथ्य शामिल है कि वे एक विश्वसनीय और सुरक्षित स्थान के रूप में काम करते हैं। बैंक ऋण के माध्यम से अर्थव्यवस्था को तरलता प्रदान करते हैं, जो अर्थव्यवस्था में विकास को गति देता है। बैंक सबसे महत्वपूर्ण संस्थान होते हैं जो किसी राष्ट्र के समग्र आर्थिक विकास को विनियमित करने में मदद करते हैं।
पहले जब बैंकों के बारे में लोगों को जानकारी नहीं थी तब बचतों को सोने-चाँदी या आभूषणों के रूप में अथवा सिक्कों को जमीन में रखा जाता था और लोगों की यह बचत असुरक्षित और बेकार पडी रहती थी।अब बैंक जनता की बचतों को निक्षेपों या जमाओं डिपाजिट के रूप में प्राप्त कर उसे व्यावसायिक क्रेडिट commercial credit के रूप में उत्पादक-कार्यों productive activities में प्रवाहित करते है। यानि किसी भी देश का विकास, पूँजी-निर्माण की दर पर निर्भर करता है।
व्यापारिक बैंक क्रेडिट का सृजन करते हैं तथा देश का केन्द्रीय बैंक क्रेडिट का नियन्त्रण करता है। साख (क्रेडिट) की माँग तथा उपलब्ध साख की मात्रा के मध्य सन्तुलन होना आवश्यक है। वर्तमान समय में अधिकांश व्यावसायिक क्रियायें साख के माध्यम से ही होती है। बैंक साख या क्रेडिट का सृजन करते है। बैंक जनता की बचतों (Savings) को ब्याज, सुरक्षा एवं अन्य सेवाओं का आकर्षण देकर जमाओं (Deposits) के रूप में प्राप्त करके प्राप्त कोषों को ऋणों एवं अग्रिमों (Loans and Advances) के रूप में उधार देते हैं।
देश के आर्थिक विकास में बैंक महत्वपूर्ण योगदान देते है जैसे-
विकास कार्यों में बैंक अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं। उद्योग, व्यापार, कृषि, वाणिज्य आदि के लिए संस्थागत वित्त (Institutional Finance) की व्यवस्था के लिए अनेक विशिष्ट बैंकों की स्थापना की गई है, जैसे- कृषि एवं ग्रामीण विकास का राष्ट्रीय बैंक (NABARD), औद्योगिक विकास बैंक (IDBI), आयात-निर्यात बैंक (EXIM), भूमि विकास बैंक (LDB), क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (RRB), आवास बैंक, औद्योगिक पुनर्निर्माण बैंक (IRCI) लघु उद्योग विकास बैंक आदि। बैंक आज सामाजिक-आर्थिक प्रगति के उत्प्रेरक भी हैं।
आज के समय में बैंकिंग नीतियों एवं कार्यक्रमों को देश की आर्थिक-सामाजिक गतिविधियों से जोड़ दिया गया है। गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों में सहयोग, प्रधानमंत्री जन-धन योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, दुर्घटना बीमा योजना Pradhan Mantri Jan-Dhan Yojana, Pradhan Mantri Suraksha Bima Yojana, Accident Insurance Scheme आदि अनेक योजनाओं ने बैंकों को जन-जन में लोकप्रिय बना दिया है। इसके अलावा कृषि, उद्योग आदि के लिए ऋण का प्रावधान।
एक स्थान से दूसरे स्थान में धन के हस्तान्तरण (Remittance) की सुविधाएँ देना। ग्राहकों की कीमती चीज़ों को लॉकर्स (Lockers) में सुरक्षित रखना। साथ ही विदेशी विनिमय की व्यवस्था करना। ग्राहकों के द्वारा लिखे गये चैकों का भुगतान तथा उनके देय-बिलों का भुगतान करना। प्रन्यासी, निष्पादक आदि (Trustees, Executors ) के रूप में कार्य करना। इसके अलावा ग्राहकों के लिए Collection of Cheques, Bills चैक, विपत्रों आदि का संग्रहण।
वाणिज्यिक बैंकों का एक और महत्व यह है कि वे अपने द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं के माध्यम से लोगों और उनके धन दोनों को सुरक्षित रखते हैं। बैंक अर्थव्यवस्था के विकास development of economy में भूमिका निभाते हैं। वे विभिन्न उपभोक्ताओं और व्यवसायों की सहायता करते हैं, उन वस्तुओं की खरीद करते हैं जिन्हें वे बैंकों से वित्तीय सहायता के बिना नहीं खरीद पाएंगे। इसमें कारों, घरों और अधिक पूंजी गहन वस्तुओं जैसे मशीनरी या विनिर्माण संयंत्रों की खरीद शामिल है। बैंक अपने ग्राहकों के लिए लंबी अवधि की वित्तीय योजनाओं की व्यवस्था के माध्यम से पैसा चुकाना आसान बनाते हैं। इससे उधारकर्ताओं को पैसे चुकाने में आसानी होती है। बैंको का सरकार के लिए भी महत्व अधिक है। सार्वजनिक आय (Income), व्यय (Expenditure) तथा ऋण (Public Debt) सम्बन्धी समस्त सरकारी काम बैंकों के माध्यम से ही किए जाते हैं।
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