बच्चों का तनाव हो जाएगा छूमंतर

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13 Nov 2021
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परिवार को यह समझने की कोशिश करनी चाहिए कि दिक्कत Problem क्या है और उस दिक्कत की वजह Reason क्या है? जिसके बाद छोटे-छोटे उपाय Solution कर, बच्चे को सामान्य अवस्था में खुश Happy करने की कोशिश करनी चाहिए।

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आजकल की रफ्तार भरी ज़िन्दगी में केवल युवा और बड़े बुजुर्ग ही चिंता में नहीं डूबे हैं, बल्कि छोटे बच्चे भी चिंता का शिकार हो रहे हैं। चिंता और तनाव बड़ों से लेकर बच्चों तक को परेशान कर रही है। किसी ना किसी रूप में बच्चे भी तनाव का शिकार होते जा रहे हैं। कोरोना काल के बाद तो यह स्थिति और भी बदलती जा रही है। बच्चे घर में रहकर पिछले 2 सालों से पढ़ाई कर रहे हैं। स्कूल जाना मुश्किल हो गया है, अब धीरे-धीरे स्थितियां सुधर तो रही हैं, लेकिन बच्चों का तनाव में रहना कई कारणों से बना हुआ है। इस तनाव से निकालने के लिए परिवार की जिम्मेदारी बड़ी अहम है। बच्चों को तनाव मुक्त जीवन देने के लिए सभी परिवार और अभिभावक कोशिश करते हैं। बच्चों के लिए तनाव प्रबंधन Stress Management, परिवार की जिम्मेदारी Family Responsibility है। परिवार को यह समझने की कोशिश करनी चाहिए कि दिक्कत Problem क्या है और उस दिक्कत की वजह Reason क्या है? जिसके बाद छोटे-छोटे उपाय Solution कर, बच्चे को सामान्य अवस्था में खुश Happy करने की कोशिश करनी चाहिए।

बच्चे क्यों हो रहे तनाव का शिकार

आज के दौर में तकनीक का बोलबाला है। आजकल बच्चे इस तकनीक से आगे तो बढ़ रहे हैं, लेकिन तकनीक ने बच्चों को तनाव Stress में भी डालना शुरू कर दिया है। बच्चों का ज्यादा टीवी देखना, लैपटॉप पर समय बिताना और अपने माता-पिता का मोबाइल इस्तेमाल करना, उनके लिए सिर दर्द और तनाव का एक बड़ा कारण बन गया है। पहले बच्चे स्कूल में जाकर खेला-कूदा करते थे, लेकिन आज वे घर पर रह रहे हैं। सभी चीजें घर में होने के चलते उनका तनाव बढ़ रहा है। फिलहाल स्थितियां सुधर रही हैं और कुछ बच्चे स्कूल जाना शुरू कर चुके हैं। 

स्कूल जाने और वहां पर कुछ गतिविधियां करने से भी कई बार तनाव बढ़ता है। कई बार हार-जीत का असर होना भी उन पर तनाव पैदा करता है। तनाव परीक्षा को लेकर भी होता है और परीक्षा में फेल-पास होने को लेकर भी होता है। 

कई बार आसपास के माहौल को देखकर और दूसरे बच्चे के रहन-सहन Life-Style को लेकर भी बच्चे तनाव में आ जाते हैं। इसके अलावा कई बार घर का माहौल Family/Home Environment और आसपास का माहौल Surrounding Environment नकारात्मक Negative हो तो बच्चों में तनाव बढ़ने लगता है।

बच्चों में कैसे मिलते हैं तनाव के संकेत Stress Symptom

क्योंकि छोटे बच्चे ज्यादातर अपनी दिक्कतों को माता-पिता या अभिभावक को साझा नहीं कर पाते, इसलिए आपको यह समझने की जरूरत है कि क्या आपके बच्चे तनाव के कुछ संकेत दे रहे हैं। हम आपको बताते हैं कि तनाव होने पर बच्चे किस तरह के संकेत देते हैं।

सर दर्द होना Headache, व्यवहार में बदलाव होना Change in Behavior, चिड़चिड़ापन होना Irritability, नींद आने में दिक्कत Sleep Disorder, पल-पल में मनोदशा बदलना Mood Swings, किसी भी काम में मन ना लगना Disinterest in any Work, पढ़ाई के प्रदर्शन में कमी आना Weak Performance in Study, काम को करने के लिए प्रेरणा की कमी होना Less Motivation in Work, आदि, इन संकेतों के अलावा आपके बच्चे कोई और संकेत भी दे सकते हैं। आपको आंकलन करना होगा कि आपके बच्चे किस तरह का व्यवहार कर रहे हैं।

माता-पिता, अभिभावक ऐसे करें बच्चों की मदद 

सबसे पहले तो माता-पिता Parents को यह समझने की जरूरत है कि क्या उनका बच्चा तनाव में है। अगर उन्हें यह महसूस होता है तो उन्हें उनसे बात करने की जरूरत है। शायद पहली बार में आपके बच्चे आपको जवाब ना दें, लेकिन आपको कई बार प्यार से उनसे यह जान लेने की जरूरत होगी कि वह किस बात से परेशान है। क्योंकि बच्चे तनाव जैसी चीजों के बारे में नहीं जानते, इसलिए वे इसे नहीं समझ पाते। आपको समझना होगा और जानना होगा, उसके बाद ही आगे उन्हें सुधार की तरफ ले जाना होगा।

बच्चों को ऐसी आजादी दें

 बच्चे कई बार अपनी पूरी बात बताने से हिचकिचाते हैं। उन्हें आपको ऐसा माहौल देना होगा कि वे आपसे हर बात साझा करें। जब बच्चे आपसे बात करेंगे और आपको अपनी परेशानियों को बताएंगे, तो आप उन्हें अच्छे से हल कर पाएंगे। अगर उन्हें आप इस तरह की आजादी देंगे कि वह आपके सामने सब कुछ स्पष्ट कर सकें, तो आप एक अच्छा समाधान निकाल सकते हैं।

सुझाव देने से पहले बच्चों की बात जरूर सुने

कई बार हम बच्चों की परेशानियों को सुधारने के चक्कर में उनकी बात सुनना भूल जाते हैं और बच्चे अगली बार से अपनी पूरी बात हमें बताना बंद कर देते हैं। इसलिए जब भी आपको बच्चे कुछ परेशानियां बताएं, तो उन्हें सीधा सुझाव ना दें उनकी समस्या का हल सुझाव नहीं है। उन्हें अपने विचारों की अभिव्यक्ति करने दें, उसके बाद ही उन्हें सुझाव दें, कई बार तो वे अपनी बात कह कर ही अच्छा महसूस करेंगे और उन्हें किसी सुझाव की जरूरत भी नहीं पड़ेगी।

किसी गतिविधि के साथ बात करना बेहतर होगा

कई आंकड़ों में पाया गया है कि बच्चों के साथ जब आप खेल-खेल में बात करते हैं, तो वे अच्छी तरह आप से घुलमिल जाते हैं। उदाहरण के रूप में समझे तो अगर आप उन्हें उनके किसी पसंदीदा खेल के दौरान बात कहने का मौका देंगे, तो वे आपसे ज्यादा आराम से बात कर पाएंगे।

खेल-खेल में सिखाएं योग और प्राणायाम

बच्चों को सुनने समझने के साथ-साथ आप खेल-खेल में उन्हें प्राणायाम भी सिखा सकते हैं, यानी कि सांस लेने की प्रक्रिया, अगर आप धीरे-धीरे बच्चों को गहरी सांस लेने और छोड़ने जैसी गतिविधियां सिखाएंगे, तो बच्चे इन आदतों से तनाव से मुक्त हो पाएंगे। इसके अलावा आप उनके साथ अगर योग और प्राणायाम करेंगे, तो उन्हें ज्यादा अच्छा महसूस होगा। उन्हें धीरे-धीरे सिखाएं और उनके साथ इस प्रक्रिया को करें, जिससे बच्चों में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा और आप उनके साथ अच्छा समय भी बीता पाएंगे।

बच्चों के लिए मजेदार और मस्ती भरी गतिविधियां भी करें

बच्चों को ऐसा माहौल दें, जहां उन्हें मजेदार और मस्ती भरी गतिविधियां करने का मौका मिले। इन गतिविधियों में उनके पसंदीदा खेल, उनकी पसंदीदा किताबें या फिर अन्य कोई भी चीज शामिल करें, जो वे पसंद करते हों, ऐसी गतिविधियों को करके उन्हें तनाव मुक्त जरूर कर पाएंगे।

इन सब बातों के साथ-साथ अपने घर का माहौल हमेशा सकारात्मक रखें। क्योंकि घर के माहौल से काफी फर्क पड़ता है। एक बड़ी बात यह भी है कि आप खुद भी इतना खुश रहे कि आपके बच्चे पर इस बात का असर हो। कई बार माता-पिता या अभिभावकों के नकारात्मक रहने का असर भी बच्चों पर बुरा होता है। उम्मीद करते हैं कि यह लेख आप और आपके बच्चों को खुश रहने की राह पर जरूर ले जाएगा।

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