दीपावली, जिसे आम बोलचाल की भाषा में दीवाली भी कहा जाता है, एक ऐसा उत्सव है जिसका हर भारतीय घर में बेसब्री से इंतजार रहता है। दिवाली को, हम "बुराई पर अच्छाई की जीत" और "गलत पर सही की जीत" का जश्न की तरह सेलिब्रेट करते हैं।
यह त्योहार भारत के कई समूहों राज्यों में बड़े जोर शोर से मनाया जाता है, और इसकी पारंपरिक गतिविधियों में परिवार के साथ समय बिताना, पूजा करना , गीत उत्सव में शामिल होना और अपनी तात्कालिक चिंताओं को भूलकर अपने क्षितिज का विस्तार करना शामिल है।
दीपक जलाए जाते हैं, मिठाइयाँ बनाई जाती हैं, एक-दूसरे को दी जाती हैं और आनंद लिया जाता है, उपहार दिए और प्राप्त किए जाते हैं, इस उतसव के समय का आनंद लिया जाता है और रिश्तों को और मज़बूत किया जाता है।
हालाँकि, पिछले कुछ वर्षों में, यह खुशी का दिन सामान्य जीवन के स्वीकृत मानदंडों पर एक बड़ा बोझ बन गया है। हम्मरे घरों के लोग बुजुर्ग और जिन्हें अस्थमा है, वे पटाखों की गैस और विषाक्त पदार्थों के प्रतिकूल प्रभाव के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।
साथ ही छोटे बच्चों को इसके संपर्क में नहीं आना चाहिए। हाल के दिनों में दिल्ली और इस जैसे शहरों में बद से बदतर हो रहे हवा के स्तर , बढ़ते प्रदूषण से लोगों का साँस लेना दूभर होता जा रह है।
इस दीवाली के उत्सव को हम ज्यादा यादगार बना सके है जहाँ जहरीले रंग न हो और खतरनाक पटाखों से किसी की सांस न उखड़े। इस सब को छोड़कर हम उन तरीकों को अपना सकते हैं जो पर्यावरण के लिए हानिकारक न हो।
इस ब्लॉगपोस्ट में कुछ तरीके हैं जिनसे आप जान सकेंगे कि पर्यावरण-अनुकूल दिवाली eco-friendly diwali को जिम्मेदार तरीके से कैसे मनाया जाए ।
"थिंक विथ नीस" अपने सभी पाठको को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें देता है ।
"हैप्पी दीपावली "
दिवाली हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहार है। यह रोशनी, खुशी और समृद्धि का प्रतीक है। लेकिन दिवाली पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचा सकती है। पटाखे जलाने, घरों को रोशन करने और मिठाई बनाने से प्रदूषण बढ़ जाता है।
हमें इस त्योहार को इस तरह से मनाना चाहिए कि पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे। इको फ्रेंडली और सस्टेनेबल दिवाली मनाने के कई तरीके हैं। हम इन तरीकों को अपनाकर पर्यावरण को बचाने में योगदान दे सकते हैं और अपने त्योहार का भी पूरा आनंद ले सकते हैं ।
दिवाली हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहार है। यह रोशनी, खुशी और समृद्धि का प्रतीक है। लेकिन दिवाली पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचा सकती है। पटाखे जलाने से हवा और ध्वनि प्रदूषण बढ़ता है। इससे सांस लेने में तकलीफ, हृदय रोग और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए, दिवाली पर पटाखे न जलाएं।
पटाखे जलाने से बड़ी मात्रा में कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी गैसें निकलती हैं। ये गैसें वायु प्रदूषण का कारण बनती हैं।
पटाखे जलाने से ध्वनि प्रदूषण भी होता है। यह ध्वनि प्रदूषण जानवरों और मनुष्यों दोनों के लिए हानिकारक होता है।
पटाखे जलाने से कई तरह के रसायन निकलते हैं, जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं।
अपने आसपास के लोगों को भी पटाखे न जलाने के लिए प्रेरित करें।
पटाखे जलाने से होने वाले नुकसान के बारे में लोगों को जागरूक करें।
पटाखे जलाने पर प्रतिबंध लगाने के लिए सरकार से अनुरोध करें।
दिवाली पर पटाखे न जलाकर हम एक स्वच्छ और स्वस्थ पर्यावरण clean and healthy environment बनाने में योगदान दे सकते हैं। यह हमारे त्योहार को और भी अधिक खुशहाल बना देगा।
एक अध्ययन के अनुसार, दिवाली के दौरान भारत में वायु प्रदूषण का स्तर 50% तक बढ़ जाता है।
पटाखे जलाने से होने वाले ध्वनि प्रदूषण के कारण लोगों को सुनने में परेशानी हो सकती है।
पटाखे जलाने से निकलने वाले रसायन जानवरों के लिए भी हानिकारक होते हैं।
दिवाली हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहार है। यह रोशनी, खुशी और समृद्धि का प्रतीक है। लेकिन दिवाली पर घरों को रोशन करने के लिए इस्तेमाल होने वाले पारंपरिक लाइट्स से हवा और ध्वनि प्रदूषण बढ़ता है। इसलिए, दिवाली पर घरों को रोशन करने के लिए एलईडी लाइट्स का इस्तेमाल करना चाहिए।
कम बिजली की खपत करती हैं। एलईडी लाइट्स पारंपरिक लाइट्स की तुलना में 90% तक कम बिजली की खपत करती हैं। इससे बिजली की बचत होती है और पर्यावरण को भी फायदा होता है।
लंबे समय तक चलती हैं। एलईडी लाइट्स का जीवनकाल पारंपरिक लाइट्स की तुलना में 25 गुना तक अधिक होता है। इससे लाइट्स की खरीद और बदलने में होने वाले खर्च में भी कमी आती है।
पर्यावरण के अनुकूल हैं। एलईडी लाइट्स से कोई हानिकारक गैसें या धूल-मिट्टी नहीं निकलती हैं। इससे वायु और ध्वनि प्रदूषण नहीं होता है।
एलईडी लाइट्स का इस्तेमाल करके घरों को रोशन करें।
एलईडी लाइट्स को आवश्यकतानुसार ही जलाएं।
एलईडी लाइट्स को बंद करके जाने से पहले उन्हें उतार दें।
एलईडी लाइट्स का इस्तेमाल करके हम दिवाली पर पर्यावरण को बचाने में योगदान दे सकते हैं। यह एक छोटा सा बदलाव है, लेकिन इसका बड़ा असर पड़ सकता है।
एक अध्ययन के अनुसार, दिवाली के दौरान भारत में बिजली की खपत 20% तक बढ़ जाती है।
एलईडी लाइट्स का इस्तेमाल करके दिवाली के दौरान होने वाले वायु प्रदूषण को कम किया जा सकता है।
दिवाली हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहार है। यह रोशनी, खुशी और समृद्धि का प्रतीक है। लेकिन दिवाली पर घरों को रोशन करने के लिए इस्तेमाल होने वाले पारंपरिक दीयों से भी प्रदूषण होता है। इन दीयों से निकलने वाली धुएं और राख से वायु प्रदूषण होता है। इसलिए, दिवाली पर घरों को रोशन करने के लिए मिट्टी के दीयों का इस्तेमाल करना चाहिए।
पर्यावरण के अनुकूल होते हैं। मिट्टी के दीयों से कोई हानिकारक गैसें या धूल-मिट्टी नहीं निकलती हैं। इससे वायु प्रदूषण नहीं होता है।
सस्ते होते हैं। मिट्टी के दीये बनाने की लागत काफी कम होती है। इससे दीयों की कीमत भी कम होती है।
सुरक्षित होते हैं। मिट्टी के दीये जलाने से कोई नुकसान नहीं होता है।
मिट्टी के दीयों को खरीदने के बजाय घर पर ही बनाएं।
मिट्टी के दीयों को आवश्यकतानुसार ही जलाएं।
मिट्टी के दीयों का इस्तेमाल करके हम दिवाली पर पर्यावरण को बचाने में योगदान दे सकते हैं। यह एक छोटा सा बदलाव है, लेकिन इसका बड़ा असर पड़ सकता है।
एक अध्ययन के अनुसार, दिवाली के दौरान भारत में वायु प्रदूषण air pollution in india का स्तर 50% तक बढ़ जाता है।
मिट्टी के दीयों का इस्तेमाल करके दिवाली के दौरान होने वाले वायु प्रदूषण को 90% तक कम किया जा सकता है।
मिट्टी के दीये बनाने के लिए केवल मिट्टी, पानी और तेल की आवश्यकता होती है। मिट्टी को पानी में मिलाकर उसका घोल बनाया जाता है। फिर इस घोल को दीये के आकार में बनाया जाता है। दीये के ऊपर एक छेद बनाया जाता है, जिससे तेल डाला जा सके। दीये के सूख जाने के बाद, उसमें तेल डालकर उसे जलाया जा सकता है।
मिट्टी के दीये जलाने से होने वाले फायदों के अलावा, इन दीयों की कुछ अन्य विशेषताएं भी हैं। मिट्टी के दीये:
आग को धीमा करते हैं। इससे तेल की बचत होती है और दीया देर तक जलता है।
घर को सुगंधित करते हैं। कुछ मिट्टी के दीयों में सुगंधित तेल डाला जाता है, जो घर में सुगंध फैलाता है।
दिवाली पर मिट्टी के दीयों का इस्तेमाल करके हम अपने त्योहार को और भी अधिक खास बना सकते हैं। यह एक ऐसा बदलाव है, जो पर्यावरण और हमारे स्वास्थ्य दोनों के लिए फायदेमंद है।
दिवाली हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहार है। यह रोशनी, खुशी और समृद्धि का प्रतीक है। लेकिन दिवाली पर घरों को सजाने के लिए इस्तेमाल होने वाले कृत्रिम फूलों से पर्यावरण को नुकसान होता है। इन फूलों को बनाने के लिए प्लास्टिक, पेपर और अन्य हानिकारक रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए, दिवाली पर घरों को सजाने के लिए फूलों का इस्तेमाल करना चाहिए।
पर्यावरण के अनुकूल होते हैं। फूलों को बनाने के लिए किसी भी तरह के हानिकारक रसायनों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।
सुंदर और आकर्षक होते हैं। फूलों से सजावट करने से घरों को एक खूबसूरत और आकर्षक लुक मिलता है।
सुगंध फैलाते हैं। फूलों से एक सुखद और मनमोहक सुगंध फैलती है।
घर के प्रवेश द्वार पर फूलों की माला या तोरण लगाएं।
खिड़कियों और दरवाजों पर फूलों के गुलदस्ते या हार लगाएं।
दीवारों पर फूलों की पेंटिंग या वॉलपेपर लगाएं।
मेज पर फूलों की फूलदानी रखें।
फूलों से सजावट करके हम दिवाली पर पर्यावरण को बचाने में योगदान दे सकते हैं। यह एक छोटा सा बदलाव है, लेकिन इसका बड़ा असर पड़ सकता है।
एक अध्ययन के अनुसार, दिवाली के दौरान भारत में प्लास्टिक कचरे का उत्पादन 25% तक बढ़ जाता है।
फूलों से सजावट करके दिवाली के दौरान होने वाले प्लास्टिक कचरे को कम किया जा सकता है।
फूलों से सजावट करने के लिए आप विभिन्न प्रकार के फूलों का इस्तेमाल कर सकते हैं। कुछ लोकप्रिय फूलों में गुलाब, गेंदा, कमल, मोगरा, और रजनीगंधा शामिल हैं। आप अपने घर की सजावट के अनुसार फूलों का चुनाव कर सकते हैं।
फूलों से सजावट करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। सबसे पहले, फूलों को ताजा और स्वच्छ होना चाहिए। दूसरा, फूलों को ढीला-ढाला रखना चाहिए, ताकि वे जल्दी मुरझा न जाएं। तीसरा, फूलों को सूरज की रोशनी से बचाना चाहिए, ताकि वे जल्दी न झड़ जाएं।
दिवाली पर फूलों से सजावट करके हम अपने त्योहार को एक और अधिक खूबसूरत और पर्यावरण के अनुकूल बना सकते हैं।
दिवाली हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहार है। यह रोशनी, खुशी और समृद्धि का प्रतीक है। दिवाली पर रंगोली बनाना एक पारंपरिक रिवाज है। रंगोली से घर को सजाया जाता है और इसे शुभ माना जाता है। लेकिन दिवाली पर इस्तेमाल होने वाले पारंपरिक रंगों से पर्यावरण को नुकसान होता है। इन रंगों में हानिकारक रसायन होते हैं, जो पानी और मिट्टी को प्रदूषित करते हैं। इसलिए, दिवाली पर नेचुरल रंगोली के रंगों का इस्तेमाल करना चाहिए।
पर्यावरण के अनुकूल होते हैं। इन रंगों में किसी भी तरह के हानिकारक रसायन नहीं होते हैं।
सुरक्षित होते हैं। इन रंगों से किसी तरह का नुकसान नहीं होता है।
सुंदर होते हैं। इन रंगों से बनी रंगोली आकर्षक और सुंदर होती है।
दिवाली पर नेचुरल रंगोली के रंगों का इस्तेमाल करने के लिए कुछ आसान तरीके निम्नलिखित हैं:
घर पर ही रंगोली के रंग बनाएं। इसके लिए आप विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक पदार्थों का इस्तेमाल कर सकते हैं। जैसे कि, हल्दी, हल्दी, बेसन, चावल का आटा, और सब्जियों के छिलके।
बाजार से नेचुरल रंगोली के रंग खरीदें। बाजार में कई कंपनियां नेचुरल रंगोली के रंग बेचती हैं।
हल्दी से पीला रंग: हल्दी को पानी में मिलाकर उसका पेस्ट बना लें। फिर इस पेस्ट को सूखाकर इसका पाउडर बना लें। इस पाउडर को पानी में मिलाकर रंगोली बना सकते हैं।
बेसन से सफेद रंग: बेसन को पानी में मिलाकर उसका पेस्ट बना लें। फिर इस पेस्ट को सूखाकर इसका पाउडर बना लें। इस पाउडर को पानी में मिलाकर रंगोली बना सकते हैं।
चावल के आटे से लाल रंग: चावल के आटे को पानी में मिलाकर उसका पेस्ट बना लें। फिर इस पेस्ट को सूखाकर इसका पाउडर बना लें। इस पाउडर को पानी में मिलाकर रंगोली बना सकते हैं।
सब्जियों के छिलकों से रंग: सब्जियों के छिलकों को पानी में उबाल लें। फिर इस पानी को छानकर इसका इस्तेमाल रंगोली बनाने के लिए कर सकते हैं।
दिवाली पर नेचुरल रंगोली के रंगों का इस्तेमाल करके हम अपने त्योहार को एक और अधिक खूबसूरत और पर्यावरण के अनुकूल बना सकते हैं।
दिवाली हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहार है। यह रोशनी, खुशी और समृद्धि का प्रतीक है। दिवाली पर गिफ्ट देना एक पारंपरिक रिवाज है। लेकिन दिवाली पर दिए जाने वाले पारंपरिक गिफ्ट्स से पर्यावरण को नुकसान होता है। इन गिफ्ट्स में प्लास्टिक, कागज और अन्य हानिकारक पदार्थ होते हैं, जो प्रदूषण का कारण बनते हैं। इसलिए, दिवाली पर ग्रीन गिफ्ट्स देने चाहिए।
ग्रीन गिफ्ट्स पर्यावरण के अनुकूल होते हैं। इन गिफ्ट्स को बनाने में किसी भी तरह के हानिकारक पदार्थों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। ये गिफ्ट्स पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं।
पर्यावरण के अनुकूल होते हैं। इन गिफ्ट्स को बनाने में किसी भी तरह के हानिकारक पदार्थों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।
सुरक्षित होते हैं। इन गिफ्ट्स से किसी तरह का नुकसान नहीं होता है।
सुंदर होते हैं। ग्रीन गिफ्ट्स भी आकर्षक और सुंदर होते हैं।
अपने हाथों से ग्रीन गिफ्ट्स बनाएं। इसके लिए आप विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक पदार्थों का इस्तेमाल कर सकते हैं। जैसे कि, फूल, पत्ते, बीज, और लकड़ी।
बाजार से ग्रीन गिफ्ट्स खरीदें। बाजार में कई कंपनियां ग्रीन गिफ्ट्स बेचती हैं।
फूलों का गुलदस्ता
ताजे फल
पेड़-पौधे
पर्यावरण के अनुकूल उपहार
पर्यावरण संरक्षण के लिए किए गए कार्यों का समर्थन
दिवाली पर ग्रीन गिफ्ट्स देकर हम अपने प्रियजनों को खुशी दे सकते हैं और साथ ही पर्यावरण की रक्षा protect the environment भी कर सकते हैं।