आशा पारेख- मशहूर अदाकारा से दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड तक का सफर

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28 Sep 2022
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मनोरंजन जगत की मशहूर एक्ट्रेस आशा पारेख को को दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से सम्मान‍ित किया गया है। उन्हें फिल्म जगत का यह सबसे बड़ा सम्मान 30 सितंबर को नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स में दिया जाएगा। इसका ऐलान केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने किया है। फिल्म जगत में उनके उत्कृष्ट योगदान की वजह से ही उन्हें इस अवॉर्ड से नवाजा गया है। दादा साहब फाल्के पुरस्कार Dada Saheb Phalke Award प्रतिवर्ष दादा साहब फाल्के (Dadasaheb Phalke) के नाम पर दिया जाता है। आशा पारेख ने 60 और 70 के दशक में बॉलीवुड पर राज किया और कई यादगार फिल्में कीं। अपने लंबे फिल्मी करिअर में आशा पारेख कई पुरस्कार प्राप्त कर चुकी हैं। आशा पारेख Asha Parekh ने अपने फिल्मी करियर में बहुत सी बेहतरीन फिल्में की हैं, उनकी फिल्में जब प्यार किसी से होता है, तीसरी मंज़िल, लव इन टोक्यो, दो बदन, उपकार, कन्यादान, आन मिलो सजना, कटी पतंग, समाधि और मैं तुलसी तेरे आँगन की, आदि ने लोगों के दिलों में आज भी बसी हैं। आशा पारेख ने बॉलीवुड को एक नए आयाम दिया है और हिन्दी सिनेमा में उनका अतुलनीय योगदान हमेशा याद किया जायेगा। अपने समय में फिल्मी पर्दे पर राज करने वाली आशा पारेख सबसे अधिक भुगतान पाने वाली अभिनेत्री थीं। उन्हें कई पुरस्कारों से नवाजा गया है। उन्हें सिनेमा के क्षेत्र में योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा 1992 में, पद्म श्री से भी सम्मानित किया गया था।

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हिन्दी सिनेमा जगत में कई एक्ट्रेस आयी और गयी लेकिन कुछ की छाप आज भी हमारे दिलो दिमाग में है। उनकी बेहतरीन अदाकारी को हम कभी भुला नहीं सकते हैं। इन्ही में से एक हैं दिग्गज अभिनेत्री आशा पारेख Veteran actress Asha Parekh, जिनकी दिलकश अदाएं आज भी हमारे जेहन में बसी हैं। दिलकश और बेहद सफल अभिनेत्री आशा पारेख ने अपने फ़िल्म करियर में एक से एक यादगार फ़िल्म की हैं। यूं तो आशा पारेख ने एक्टिंग से रिटायरमेंट ले लिया है। लेकिन 60 और 70 के दशक में आशा पारेख का नाम तब की बेहतरीन अभिनेत्रियों में लिया जाता था। गुजरे जमाने की मशहूर अभिनेत्री आशा पारेख को साल 2022 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार Dada Saheb Phalke Award से सम्मानित किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर Union Minister Anurag Thakur ने इस बात का एलान किया है। आशा पारेख को फिल्म जगत के इस सबसे बड़े सम्मान को 30 सितंबर को होने वाले नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स National Film Awards में दिया जाएगा। बता दें कि 1992 में, आशा पारेख को सिनेमा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। तो चलिए आज इस लेख में हम मशहूर अदाकारा आशा पारेख के अभिनय से लेकर दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड तक के उनके सफर के बारे में जानते हैं। 

आशा पारेख का जीवन परिचय Asha Parekh Biography

गुजरात Gujarat में 2 अक्तूबर 1942 को जन्मी आशा पारेख के पिता बच्चूभाई पारेख एक हिन्दू गुजराती परिवार से थे। वहीं उनकी माँ सुधा उर्फ़ सलमा एक मुसलमान परिवार से थीं। बचपन में ही आशा पारेख ने क्लासिकल डांस सीखना शुरू कर दिया था। वह एक प्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री famous film actress ही नहीं, बल्कि निर्माता-निर्देशक के साथ कुशल भारतीय शास्त्रीय नृत्यांगना Indian classical dancer भी हैं। उन्होंने संवेदनशील अभिनय के रूप में अपनी पहचान बनाई। आशा पारेख आजीवन अविवाहित रहीं हैं। करोड़ों लोगों के दिलों पर राज करने वाली और पर्दे पर अपनी खूबसूरती से लाखों दिलों को चुराने वालीं आशा पारेख को शादी के लिए कई लोगों से आफर मिला लेकिन इसके बावजूद भी उन्होंने शादी नहीं की। आशा पारेख असल जिंदगी में बिल्कुल अकेली हैं जिसका उन्हें बिल्कुल भी अफसोस नहीं है। आशा पारेख को दादा साहब फाल्के पुरस्कार मिलने से उनके अभिनय कौशल और उनके फिल्मों में किए गए योगदान को भी एक बड़ा प्रमाण मिल गया है। 68वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह के 30 सितंबर के आयोजन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, President Draupadi Murmu आशा पारेख को इस सम्मान से नवाजेंगी। यह एक ऐसा पुरस्कार जिसे पाने का सपना फिल्मों से जुड़ा बड़े से बड़ा इंसान भी देखता है। 

मात्र 10 की उम्र में की करियर की शुरुआत

आशा पारेख ने हिंदी सिनेमा जगत पर राज किया है। जब भी हिंदी फिल्मों के इतिहास में सबसे बेहतरीन अदाकारा का नाम लिया जायेगा तो उनमें आशा पारेख का नाम जरूर होगा। क्योंकि उन्हें एक बहुत ही प्रभावशाली अभिनेत्री के रूप में माना जाता है। आशा पारेख ने 60 और 70 के दशक में बॉलीवुड पर राज किया और उनके करियर ने उस वक्त आसमान की ऊंचाइयों को छुआ है। आशा पारेख की करियर की शुरुआत की बात करें तो उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक बाल कलाकार के रूप में की थी वो भी मात्र 10 साल की उम्र में फिल्म 'मां '(1952) में। इसके बाद अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए आशा पारेख ने बस कुछ फिल्मों के बाद फिल्मों से ब्रेक लिया और बाद में लीड एक्ट्रेस के रूप में वापस आयी। उनकी पहली फिल्म थी 'दिल देके देखो' इस फिल्म को नासिर हुसैन Nasir Hussain ने डायरेक्ट किया था और उनके साथ इसमें शम्मी कपूर Shammi Kapoor थे। शम्मी कपूर के साथ भी आशा पारेख की जोड़ी काफ़ी पसंद की गई। यह फ़िल्म जब 1959 में प्रदर्शित हुई तो हिट हो गई। बस इसी के साथ फ़िल्म क्षितिज पर एक नई अभिनेत्री आशा पारेख का नाम सबकी जुबां पर आ गया। 

22 साल बाद किसी महिला को मिला दादा साहब फाल्के पुरस्कार

आशा पारेख का जन्मदिन 2 अक्टूबर को है और जन्म दिन से ठीक पहले दादा साहब फाल्के पुरस्कार मिलना वास्तव में उनके लिए एक बहुत ही अनमोल तोहफा है। दादा साहब फाल्के Dada Saheb Phalke को 'भारतीय सिनेमा के पिता' Father of Indian Cinema के रूप में जाना जाता है। पिछले साल इस अवॉर्ड से रजनीकांत Rajinikanth को सम्मानित किया गया था। फिल्म जगत के इस सबसे बड़े सम्मान से नवाजा जाना एक बहुत बड़ी बात है और इससे भी बड़ी बात ये है कि 22 साल में ये पहली बार हुआ है, जब किसी महिला को दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया हो। यानि 22 साल बाद किसी महिला को दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड मिला है। आखिरी बार साल 2000 में सिंगर आशा भोसले Singer Asha Bhosle को ये अवॉर्ड दिया गया था, जिसके बाद आशा पारेख ये सम्मान जीतने वाली महिला हैं। क्योंकि फाल्के पुरस्कार पर अधिकतर पुरुषों का वर्चस्व रहा है। पिछले साल, 2019 के लिए रजनीकांत को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। आशा पारेख को यह सम्मान मिलना हम सबके लिए बेहद गर्व की बात है। बता दें कि साल 1969 में देविका रानी Devika Rani ये अवॉर्ड हासिल करने वाली पहली एक्ट्रेस थीं। दादा साहब फाल्के से पहले आशा पारेख 1992 में पद्मश्री Padma Shri से भी सम्मानित हो चुकी हैं। 

आशा पारेख की हिट फिल्में Asha Parekh Hit Movies

हिंदी सिनेमा के रुपहले पर्दे पर अपने अभिनय से पिछली सदी के सातवें और आठवें दशक में लोकप्रियता का परचम लहराने वाली सुप्रसिद्ध अभिनेत्री आशा पारेख को वर्ष 2020 के प्रतिष्ठित दादा साहब फाल्के पुरस्कार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु 30 सितंबर को भारतीय सिनेमा का यह सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार प्रदान करेंगी। आशा पारेख ने कई हिट फिल्में दी हैं। आशा पारेख ने 1952 में बाल कलाकार के रूप में शुरुआत की और उनकी अंतिम फिल्म 1999 में आई 'सर आँखों पर'। यानि उनका लगभग फिल्म करियर में 47 साल का योगदान रहा। एक नायिका के रूप में वह 1959 में आईं। आशा पारेख ने अपने करियर में करीब 95 फिल्में की हैं और उनमें से अधिकतर फिल्में काफी हिट रही हैं। आशा पारेख की प्रमुख फिल्मों में मेरी सूरत तेरी आँखें, घराना, भरोसा, मेरे सनम, ज्वाला, राखी और हथकड़ी, हीरा, रानी और लाल पारी, ज़ख्मी, बिन फेरे हम तेरे, सौ दिन सास के, कालिया, लावा, बंटवारा,हमारा खानदान और प्रोफेसर की पड़ोसन जैसी फिल्में हैं। 

इसके अलावा 'जब प्यार किसी से होता है' (1961), 'फिर वही दिल लाया हूं' (1963), 'तीसरी मंजिल' (1966), 'बहारों के सपने' (1967), 'प्यार का मौसम' (1969), और 'कारवां' (1971). राज खोसला की 'दो बदन' (1966), 'चिराग' (1969) और 'मैं तुलसी तेरे आंगन की' (1978) और शक्ति सामंत की 'कटी पतंग' जैसी हिट फिल्मों में अच्छे प्रदर्शन के लिए उन्हें जाना जाता है। 

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अन्य भाषाओं की फिल्‍मों और टीवी जगत में भी किया काम 

हिंदी फिल्मों के अलावा आशा पारेख ने गुजराती, पंजाबी और कन्नड में भी कुछ फिल्मों में भी काम किया है। वह भारतीय सेंसर बोर्ड की अध्‍यक्ष Chairman Of The Censor Board of India रह चुकी हैं। उन्‍होंने सिने आर्टिस्‍ट एसोसिएशन की अध्‍यक्ष के रूप में 1994 से 2000 तक काम किया। उनके करियर को देखते हुए 1992 में पद्मश्री पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया गया। साथ ही उन्होंने टेलीविजन का माध्यम अपनाया और अपनी खुद की प्रोडक्शन कंपनी शुरू की। आशा पारेख ने 1990 के दशक में गुजराती सीरियल 'ज्योति' gujarati serial Jyoti बनाकर सीरियल निर्माण की दुनिया में भी क़दम रखा और 'पलाश के फूल', 'बाजे पायल', 'कोरा कागज' और 'दाल में काला' 'Palash Ke Phool', 'Baje Payal', 'Kora Paper' and 'Daal Mein Kaala'आदि शोज का निर्माण किया। 

समाज सेवा में भी अपना योगदान दिया 

आशा पारेख को नृत्य से भी बेहद प्यार था। फिल्मों में तो वह डांस के लिए तो मशहूर थी लेकिन मंच पर भी वह डांस शो करती रहती थी। यही वजह है कि डांस को बढ़ावा देने के लिए आशा पारेख ने मालाबार हिल, मुंबई में 'गुरुकुल' Gurukul के नाम से अपना एक डांस स्कूल dance school भी खोला था। इसके साथ ही दिग्गज अभिनेत्री आशा पारेख ने समाज सेवा Social service में भी अपना योगदान दिया है। मुंबई में आशा पारेख के योगदान से 'आशा पारेख हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर' भी चल रहा है। हालांकि अब अनुदान आदि ना मिलने के कारण वह अस्पताल सही से चल नहीं पा रहा है। साथ ही मुंबई फिल्म उद्योग की संस्था 'सिंटा' Cine And TV Artistes' Association CINTAA के साथ जुड़कर भी उन्होंने अपना सहयोग दिया है। 

लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड

आशा पारेख ने बॉलीवुड की करीब 95 फिल्मों में काम किया है। साल 1999 में आई फिल्म 'सर आंखों पर' वे आखिरी बार नजर आई थीं। आशा को 11 बार लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड Lifetime Achievement Award से सम्मानित किया जा चुका है। पारेख को 2002 में फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवाॅर्ड मिला। इसके अलावा भी उन्हें कई लाइफटाइम अचीवमेंट अवाॅर्ड मिले: 2004 में कलाकर अवाॅर्ड; 2006 में अंतर्राष्ट्रीय भारतीय फिल्म अकादमी पुरस्कार; 2007 में पुणे अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह पुरस्कार; और 2007 में लॉन्ग आइलैंड, न्यूयॉर्क में नौवां वार्षिक बॉलीवुड पुरस्कार। साल 1992 में इससे पहले सिनेमा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा देश के प्रतिष्ठित सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। आशा पारेख को फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री Federation of Indian Chambers of Commerce and Industry (FICCI) ने लिविंग लीजेंड अवॉर्ड से सम्‍मानित किया था। आशा पारेख भारत के केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सेंसर बोर्ड) की भी 1998 से 2001 तक पहली महिला अध्यक्ष रही हैं। आशा पारेख अपने जमाने की सबसे महंगी एक्ट्रेस रहीं। उन्होंने कई हिट फिल्में दीं, जिस वजह से उन्हें 'हिट गर्ल' भी कहा जाता है। आशा पारेख वर्तमान में डांस एकेडमी 'कारा भवन' चला रही हैं। 

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