एक अच्छी कला है, स्वयं का मित्र बनना

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03 Dec 2021
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हम अपने दैनिक कार्यों में इतना व्यस्त रहने लगे हैं कि स्वयं को वक़्त देना भूल ही गए हैं। जब कि खुद को जानना बहुत आसान और आवश्यक है। आपको आपसे बेहतर कोई नहीं जान सकता। इसलिए स्वयं की शक्तियों का अवलोकन करें। दूसरों का दोस्त बनने से पहले स्वयं के मित्र बनें। अगर आप नहीं जानते यह कैसे करना है तो यह लेख आपकी मदद कर सकता है।

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व्यक्ति रिश्तों के जाल the trap of relations से घिरा हुआ है। यूँ समझिये कि आप पूरी तरह से दूसरों में ही लिप्त involve हैं। परन्तु एक बात जो आपके ज़हन से छूट रही है वह है, स्वयं का मित्र बनना। जब आप स्वयं को ही नहीं जानते, तो आप दूसरों को किस तरह से और कितना जान सकने में सक्षम हो पाएंगे ये समझ पाना बहुत सरल है। आपने बड़े-बूढ़े लोगों को अक्सर कहते सुना ही होगा कि आप सबसे पहले स्वयं के सबसे अच्छे मित्र बनें। इससे क्या होगा ? इससे होगा ये कि आप सफलता की सीढ़ियां आराम से चढ़ते चले जायेंगे और मानवीय जीवन को या इस दुनिया को कुछ अच्छा और लाभदायक दे सकेंगे। आपका स्वयं का मित्र होना ही आपके जीवन भर के किरदार को निभाने में सरलता पैदा करता है। आइये बात करते हैं उन तथ्यों की, आपके खुद के मित्र बनने के लिए क्या है ज़रूरी -  

आप स्वयं की प्रशंसा करें

जब आप कुछ ऐसा करते हैं जिसको करने के बाद आपको गर्व का अनुभव होता है, तो इस बात को बस यही तक सीमित न रखें बल्कि इस पर थोड़ा मंथन भी करें और खुद की पीठ भी थपथपाएं। ऐसा करने से आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा और आप और बेहतर करने का प्रयास करेंगे। इसलिए खुद की प्रशंसा self motivation करते रहें और इस बेहतरीन अनुभव का आनंद लें। 

विश्वास करें कि आप मौलिक रूप से योग्य हैं belief in yourself

हम में से अधिकांश लोग अपने जीवन की तुलना व्यक्तिगत रूप से असफलताओं failures से करते हैं। हमें यह याद रखने की आवश्यकता है कि यदि हम अपने आत्म-सम्मान की तुलना बाकियों से करेंगे, तो हम हमेशा असफल व्यक्ति की तरह महसूस करेंगे। तब ऐसी स्थिति में जिन विचारों, विश्वासों और अपेक्षाओं को हम अपनी सफलता और योग्यता को मापने के लिए उपयोग कर सकते थे वे हमारे नियंत्रण से बाहर हो जाती हैं। हमेशा याद रखें विचार हमेशा उतार-चढ़ाव up and down करते रहते हैं और बदलते रहते हैं, इसलिए यदि हम असफलता को कम याद करके सफलता पर अधिक विचार करेंगे तो हमारी स्वयं से मित्रता बनी रहेगी। अगर हम खुद को असहाय पाते हैं, तब हम स्वयं से दूर होने के बहाने ढूंढने लगते हैं और हम अपने भीतर एक आत्मिक भावना निर्मित नहीं कर पाते हैं।

कभी-कभी खुद पर भी हंसें 

अपने प्रति नेक to be kind heart दिल बनें और छोटी-छोटी अजीब चीजों में हास्य खोजें, जो आप कहते हैं, सोचते हैं और करते हैं उन सभी में ख़ुशी को तलाशने का प्रयास करें, जिससे आप प्रसन्नता का अनुभव करेंगे। हमारा मानना है कि जब आप खुद को एक अध्यापक being a teacher की तरह कम आंकते हैं और स्वयं को इतनी गंभीरता से लेना बंद कर देते हैं, तो आप अपने आप को एक मित्र की भांति पूर्ण रूप से पाते हैं।

खुद की गलतियों को स्वीकारें

क्या एक अच्छा दोस्त घंटों तक आपकी आलोचना करता है? नहीं ना। एक सच्चा दोस्त आप में अच्छाई और बुराई दोनों को ही देखता है फिर भी आपको स्वीकार करता है। सच तो यही है कि सिवाए ईश्वर के दुनिया में कोई भी पूर्ण नहीं है। मनुष्य से गलतियां होना स्वाभाविक हैं। किसी भी गलती की स्वीकृति न केवल एक लाभदायक विकल्प है, बल्कि यह उन दरवाज़ों को भी खोलती है, जो आपको अपनी समस्याओं को हल करने के लिए सुझाव भी प्रदान करती है। बजाय इसके कि आप अपनी की हुई गलती में डूबे रहें।

अपने व्यक्तित्व को जानने हेतु स्वयं को समय दें

आपके जीवन की प्रेरणाएँ क्या हैं? आपको कौन सी चीजें पसंद और नापसंद हैं? आपकी सबसे बड़ी ताकत और कमजोरियाँ क्या हैं? अक्सर लोग अपने विचारों, लक्ष्यों के लिए परेशान रहते हैं, उसका एक मात्र कारण यही है कि उन्होंने स्वयं को लेकर एक मजबूत भावना विकसित करने के लिए पर्याप्त समय नहीं बिताया। आप खुद को जानने में समय व्यतीत करें, क्योंकि आपको आपसे बेहतर और कोई नहीं समझ सकता। जो भी कार्य कर रहे हैं उसको खुद के लिए करें किसी को दिखाने के लिए नहीं।

आत्म-जागरूकता पैदा करें

अपने विचारों, भावनाओं, विश्वासों, मान्यताओं, प्रेरणाओं आदि पर ध्यान देना अति आवश्यक है। इस पर ध्यान देना या पता लगाने का पहला कदम यह है कि आप अपने तरीके से क्या सोचते हैं, महसूस करते हैं और कैसा व्यवहार करते हैं, यही सब आपकी आत्म-समझ को बढ़ावा देते हैं। आप कौन हैं और आप क्या करते हैं, इसके बारे में स्वयं जागरूक हुए बिना, आप कभी भी अपने जीवन को विकसित नहीं कर सकते। इसलिए कहा जाता है कि स्वयं को महत्व दें। 

अपने आप को सहारा देना और आराम देना सीखें

एक अच्छा दोस्त जरूरत और संकट के समय में सहायक और सुकून देने वाला होता है। वह जानता है कि हमें बेहतर महसूस कराने के लिए क्या कहना है या क्या करना है। अपनी समस्याओं का डट कर सामना करना, स्वयं को मजबूत एवं विकसित करने के सबसे आवश्यक और सबसे कठिन तरीकों में से एक है। जब हम अपनी भावनात्मक जरूरतों को सुनते हैं और शर्म, क्रोध और दुख का अनुभव करने के लिए खुद को टटोलते हैं, तो हम अपने मन को स्वस्थ और शांत करने के लिए उचित कदम उठाने में अधिक सक्षम हो जाते हैं। 

ऐसी कई तरह की चीजें हैं जिनका हम हर दिन समाधान कर सकते हैं। हमें बस समय निकालने और उन्हें करने के लिए प्रयास करने की जरूरत है। ऐसा करना अपने लिए प्यार और सम्मान दर्शाता है, तथा साथ ही साथ आपको आपका एक अच्छा मित्र बनने के लिए प्रेरित भी करता है।

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