हर वर्ष 18 अप्रैल के दिन विश्व विरासत दिवस दुनिया भर में मनाया जाता हैं। दुनियां के विभिन्न देशों में ऐतिहासिक सांस्कृतिक महत्व के स्थल को भावी पीढ़ी के लिए बचाकर रखने के लिए इन्हें विश्व विरासत स्थल की सूची में रखा जाता हैं और यूनेस्को द्वारा ऐसे ही प्राकृतिक, ऐतिहासिक, धार्मिक स्थलों को चिन्हित कर हेरिटेज साईट की लिस्ट में शामिल किया जाता हैं। इस दिन को मनाने का उद्देश्य यह है कि लोगों को इन धरोहरों के संरक्षण तथा महत्व के प्रति जागरूक कराया जाए और दुनियां के विभिन्न देशों में स्थित ऐसे स्थलों की जानकारी देकर उन्हें विरासत के प्रति आकर्षित किया जा सके। इन विरासतों के स्वर्णिम इतिहास और निर्माण को बचाने के लिए विश्व विरासत दिवस या विश्व धरोहर दिवस मनाया जाता है। विश्व विरासत के स्थल किसी भी राष्ट्र की सभ्यता और उसकी प्राचीन संस्कृति के महत्त्वपूर्ण परिचायक माने जाते हैं।
कहते हैं कि किसी भी राष्ट्र का इतिहास, उसके वर्तमान और भविष्य की नींव होता है। जिस देश का इतिहास जितना महान और गौरवमयी होगा, वैश्विक स्तर पर उसका स्थान उतना ही ऊँचा माना जाएगा। हम मानते हैं कि बीता हुआ कल कभी वापस नहीं आता, लेकिन उस काल में बनीं इमारतें और लिखे गए साहित्य उन्हें हमेशा सजीव बनाए रखते हैं। प्रत्येक नागरिक को अपने देश की विरासत स्थलियों पर गर्व होना चाहिए तथा उनके संरक्षण के लिए आगे बढ़ना चाहिए। 'संयुक्त राष्ट्र' की संस्था यूनेस्को UNESCO ने इसी विरासत को अनमोल मानते हुए और लोगों में इन्हें सुरक्षित और सम्भाल कर रखने के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से ही विश्व विरासत दिवस World Heritage Day को मनाने का निर्णय लिया और तब से 'वर्ल्ड हेरिटेज डे' प्रतिवर्ष 18 अप्रैल को मनाया जाता है। इसके साथ ही इस दिन को मनाने का उद्देश्य युवा पीढ़ियों को अपनी विरासत को आगे बढ़ाने और अपनी संस्कृति को संरक्षित करने के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश देना है। क्योंकि ये विरासत के स्थल संसार के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। हमारे पूर्वजों ने हमें एक समृद्ध सांस्कृतिक अतीत के रूप में एक विरासत सौंपी है और इन विश्व विरासत धरोहर को बचाये रखना हमारा कर्त्तव्य है। बस इसी प्राचीन विरासत को संरक्षित करने के महत्व के बारे में लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए 18 अप्रैल को 'विश्व विरासत दिवस' (World Heritage Day) मनाया जाता है। चलिए विश्व विरासत दिवस या विश्व धरोहर दिवस के बारे में विस्तार से जानते हैं।
पहला 'विश्व विरासत दिवस' 18 अप्रैल, 1982 को 'इंटरनेशनल काउंसिल ऑन मोनुमेंट्स एंड साइट्स' International Council on Monuments and Sites (ICOMOS) द्वारा मनाया गया था। दरअसल संयुक्त राष्ट्र के सामने 1972 ई. में स्वीडन Sweden की राजधानी स्टॉकहोम stockholm में एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान To protect world famous buildings and natural sites विश्व प्रसिद्ध इमारतों और प्राकृतिक स्थलों की रक्षा के लिए प्रस्ताव पारित हुआ। फिर विश्व के लगभग सभी देशों ने मिलकर ऐतिहासिक और प्राकृतिक धरोहरों को बचाने के बारे में सोचा और फिर इस तरह "यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज सेंटर" अस्तित्व में आया। तब इस दिन 18 अप्रैल को "विश्व स्मारक और पुरातत्व स्थल दिवस" World Monuments and Archaeological Sites Day के रूप में मनाया जाता था। लेकिन यूनेस्को ने वर्ष 1983 ई. से इसे मान्यता प्रदान की और इस दिवस को "विश्व विरासत दिवस" World Heritage Day के रूप में बदल दिया। तब से हर साल 18 अप्रैल को 'वर्ल्ड हेरिटेज डे' के रूप में जाना जाता है और स्मारकों और स्थलों की रक्षा के लिए मनाया जाता है।
वर्तमान में 1,154 विश्व धरोहर स्थल हैं, जो आज तक 897 सांस्कृतिक, 218 प्राकृतिक और 39 मिश्रित स्मारकों में विभाजित हैं। 58 विश्व धरोहर स्थलों के साथ इटली शीर्ष पर है, उसके बाद चीन है। यूनेस्को ने 32 सांस्कृतिक स्थलों, सात प्राकृतिक स्थलों और एक मिश्रित स्थल के साथ भारत में 40 विश्व धरोहर स्थलों को नामित किया है।
हमारे पूर्वजों और पुराने समय की यादों को संजोकर रखने वाले इन कृतिओं की कीमत को ध्यान में रखकर ही संयुक्त राष्ट्र की संस्था युनेस्को (UNESCO) ने वर्ष 1983 से हर साल 18 अप्रैल को विश्व विरासत दिवस मनाने की शुरुआत की थी। हम कह सकते हैं कि युनेस्को (United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization) ने हमारे पूर्वजों की दी हुई विरासत को अनमोल मानते हुए इस दिवस को विश्व विरासत दिवस में बदल दिया। इस दिन का अंतिम उद्देश्य प्राकृतिक, स्वदेशी और ऐतिहासिक विरासत सहित सभी प्रकार की विरासत को बढ़ावा देना है, जो सभी मानव समाज की भलाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य पूरे विश्व में मानव सभ्यता से जुड़े ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों के संरक्षण के प्रति जागरूकता लाना है। सांस्कृतिक विरासत के बारे में जागरूकता को बढ़ाने के साथ ही और लोगों को विरासत और विरासत स्थलों को संरक्षित करने के लिए सुरक्षात्मक उपाय करने के लिए प्रोत्साहित करना है। विश्व विरासत दिवस यानि वर्ल्ड हेरिटेज डे, स्मारकों और ऐतिहासिक स्थलों और उनके साथ जुड़े समृद्ध विरासत को संरक्षित करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त दिन है। दुनिया में बहुत सारे अद्भुत निर्माण विरासत हैं जो समय के साथ जर्जर होते जा रहे हैं इसलिए इनके स्वर्णिम इतिहास और निर्माण को बचाने के लिए विश्व विरासत दिवस मनाने का महत्व है। दुनियाभर में कई सारी विश्व धरोहरें हैं, जो प्रसिद्द हैं।
सम्पूर्ण विश्व में मानव इतिहास से जुड़े समस्त इतिहास, संस्कृति एवं प्रकृति से जुड़े स्थलों का संरक्षण करना Preserving sites related to history, culture and nature और लोगों में इसके प्रति जागरूकता Awareness उत्पन्न करना और इसकी विशेषताएं लोगो को बताकर प्रोत्साहित करना जरुरी है। यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थलों की तीन सूचियों में शामिल किया गया है जो इस प्रकार है-
इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य इन तीनो श्रेणियों की विरासत को अगली पीढ़ी के लिए संरक्षित करना तथा उसके प्रासंगिक प्रयासों को दुनिया के समक्ष रखना है। कहते हैं जो राष्ट्र अपनी विरासत की निशानिओं को संभाल कर नहीं रख पाता, उसकी अस्मिता और पहचान एक दिन नष्ट हो जाती है। हमें भी अपनी सांस्कृतिक विरासत और भारतीय अस्मिता के इन प्रतीकों को संजोकर रखना होगा। भारत सहित कई देश इस दिन अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विविधता को उल्लास के साथ मनाता है। प्राचीन ऐतिहासिक स्मारक एक जीवित आश्चर्य हैं और एक जीता जागता उदाहरण भी, जो इतिहास के बारे में बताते हैं इसलिए इन संपत्तियों की रक्षा करना अत्यंत आवश्यक है। सामुदायिक भागीदारी और वैश्विक जागरूकता Community participation and global awareness से हम इन धरोहर स्थलों को बचा सकते हैं और दुनिया भर में इन समृद्ध और विविध संस्कृति को संरक्षित करके वर्ल्ड हेरिटेज डे को मनाने के उद्देश्य को पूरा कर सकते हैं।
यानि विरासत के तौर पर इन स्थलों को कहीं पुस्तकों में तो कहीं इमारतों के रुप में संजो कर रखा गया है। हमारे पूर्वजों ने हमारे लिए निशानी के तौर पर तमाम तरह के मकबरे, मस्जिद, मंदिर और अन्य चीजों को संजोये रखा है इसलिए हम इस अतीत के इतिहास को विश्व विरासत स्थल के तौर पर संरक्षण करते हैं जिससे हम उन्हें आने वाले समय में याद रख सकें। कई बार अतीत की यादों को या फिर इन इतिहास की विरासतों को, कभी प्राकृतिक रूप से तो कभी खुद इंसानो के द्वारा बहुत नुकसान हुआ है। हम लोगों ने भी इन सहेज कर रखी गई यादों को पहले बहुत नजरअंदाज किया है जिसका हश्र यह हुआ कि हमारी अनमोल विरासत हमसे दूर बहुत दूर होती चली जा रही थी लेकिन अब हमने विश्व विरासत दिवस के रूप में लोगों को जागरूक कर अपनी विरासत को संभालने की दिशा में कार्य करना शुरु कर दिया है और इनके संरक्षण में भागीदार बन रहे हैं। कुल मिलाकर हम कह सकते हैं कि विश्व विरासत दिवस 2022 का महत्व raises global awareness वैश्विक जागरूकता को बढ़ाता है। दूसरा विरासत और मूल्यों के संरक्षण को बढ़ावा देता है। इसका लक्ष्य लोगों को सांस्कृतिक मूल्यों के कल्याण में मदद के लिए हाथ बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करना या प्रभावित करना है। इसके अलावा यह धन और दान जुटाता है। क्योंकि विश्व विरासत दिवस के वैश्विक आयोजन के दौरान काफी मात्रा में धन जुटाया जाता है, जिसका उपयोग संस्कृति, विरासत और विरासत स्थानों को बनाए रखने और उनकी सुरक्षा में मदद के लिए किया जाता है।
विश्व विरासत दिवस, जिसे स्मारकों और स्थलों के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में भी जाना जाता है, हर साल इसे एक अलग थीम Theme के साथ मनाया जाता है। विश्व विरासत दिवस की थीम, जिसे स्मारकों और स्थलों के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में भी जाना जाता है। इस बार 2022 की थीम "विरासत और जलवायु" "Heritage and Climate" होगी। इस साल के विश्व विरासत दिवस का विषय विरासत को बढ़ावा देना है और साथ ही दीर्घकालिक प्रबंधन में जलवायु रणनीति के महत्व पर जोर देना है। वर्ल्ड हेरिटेज डे 2022, हेरिटेज संरक्षण अनुसंधान और अभ्यास की पूरी क्षमता को बढ़ावा देने के लिए रणनीतिकारों को एक मंच पर आकर अपने विचार साझा करने और भविष्य के लिए रणनीति बनाने का अवसर प्रदान कर रहा है ताकि जलवायु रणनीति के द्वारा कम कार्बन उत्सर्जन कर सतत विकास के लक्ष्य sustainable development goals की तरफ कदम बढ़ सकें। चलिए अब विश्व विरासत दिवस कैसे मनाएं ये भी जान लेते हैं।
इस विश्व विरासत दिवस पर प्रत्येक देश में कई कार्यक्रम होते हैं। इस दिन बहस और चर्चाएं आयोजित की जाती हैं और झांकियों के लिए प्रदर्शन भी लगाए जाते हैं। इस दिन इन सांस्कृतिक संपत्तियों को संरक्षित करने के महत्व को उजागर करने के उद्देश्य से विश्व विरासत स्थलों और स्मारकों के दौरे की योजना बनाई जाती है। लोगों को इन साइटों पर जाने के लिए आमंत्रित किया जाता है। इन धरोहर स्थलों पर व्यापक मीडिया कवरेज भी की जाती है जो इन प्रभावशाली विरासत और संस्कृति की पहचान इन स्मारकों पर प्रकाश डालती है। इसके साथ ही साक्षात्कार और सम्मेलन भी हर जगह आयोजित किए जाते हैं। यह दिन वास्तव में देश के हर संबंधित नागरिक के लिए अपने देश की महान सांस्कृतिक संपत्ति पर गर्व महसूस करने और विरासत को बढ़ावा देने, उस पर वैश्विक ध्यान आकर्षित करने का दिन है। पूरे विश्व में मानव सभ्यता से जुड़े ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों के संरक्षण के प्रति जागरूकता लाना बेहद जरूरी है इसलिए भी ये दिन बहुत खास होता है। क्योंकि ये धरोहर स्थल हमारी कला और संस्कृति की समृद्धि The richness of arts and culture को दर्शाते हैं।
इन दिन को मनाने के लिए अपने घर के आसपास के किसी पुरातत्व स्थल, किसी भवन या किसी धरोहर स्थल पर अपने परिवार और अपने बच्चों के साथ जरूर जाएं और वहां पर घूमें। अपने बच्चों को इतिहास के बारे में बताएं और किसी स्थल, किले, मकबरे या जगह पर ले जाकर वहां के बारे में जानकारी दें। क्योंकि आने वाली पीढ़ी तभी इन अनमोल धरोहर स्थलों के बारे में और विश्व विरासत दिवस के बारे में समझ पाएगी। इसका फायदा ये होगा कि बच्चे संस्कृति और इतिहास से परिचित हो सकेंगे और उनका संरक्षण कर पाएंगे। अक्सर हम एक तरफ तो इन पुराने इमारतों को बचाने की बात करते हैं तो वहीं दूसरी तरफ हम उन्हीं इमारतों के ऊपर नाम लिखकर या उन्हें नुकसान पहुंचाकर गंदा भी करते हैं। पुरातत्व स्थलों पर कोई गंदगी न फैलायें इसके लिए इस दिन लोगों में जागरुकता फैलानी चाहिए ताकि कोई भी ऐसा ना करें। बस अब जरुरत है कि हम सबको मिलकर अपने पूर्वजों की दी हुई अनमोल वस्तु को खराब होने से बचाने की और उन्हें संजो कर रखने की।
अगर पूरे विश्व की बात करें तो पूरे विश्व में कई सारी विश्व धरोहरें हैं, जो दुनियाभर में प्रसिद्द हैं। वर्तमान में 1,154 विश्व धरोहर स्थल हैं, जो आज तक 897 सांस्कृतिक, 218 प्राकृतिक और 39 मिश्रित स्मारकों में विभाजित हैं। यदि हम सिर्फ भारतीय विश्व धरोहरों की बात करें तो भारत में वर्तमान में 40 विश्व धरोहरे हैं और यूनेस्को ने भारत में कुल 40 विश्व धरोहरें घोषित की हैं। इनमें सात प्राकृतिक, 32 सांस्कृतिक और एक मिश्रित स्थल हैं। यूनेस्को द्वारा घोषित सबसे ज्यादा विश्व विरासत महाराष्ट्र Maharashtra में है। महाराष्ट्र में पांच यूनेस्को विश्व विरासत स्थल हैं। हमारा भारत ऐतिहासिक, धार्मिक, प्राकृतिक एवं संस्कृतियों कलाकृतियों, स्मृतियों एवं स्थलों से परिपूर्ण देश हैं। भारत में कुल 40 स्थानों, शहर, इमारतों, गुफाओं आदि को यूनेस्को ने विश्व धरोहर का नाम दिया है। भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित आगरा किला Agra Fort भारत का पहला विश्व धरोहर स्थल है इसे वर्ष 1983 में भारत के पहले विश्व विरासत स्थल के रूप में शामिल किया गया। भारत के सिक्किम Sikkim राज्य में स्थित कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान Kanchenjunga National Park भारत का एकमात्र मिश्रित धरोहर स्थल है इस राष्ट्रीय उद्यान को वर्ष 2016 में विश्व विरासत स्थलों की सूची में शामिल किया गया था। विश्व में सर्वाधिक यूनेस्को विश्व विरासत स्थल इटली Italy में स्थित हैं। इटली में कुल 55 विश्व यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हैं। भारत में वर्ष 2021 में गुजरात Gujarat राज्य में स्थित सिंधु घाटी सभ्यता के प्रसिद्ध स्थल धोलावीरा dholavira को भारत का 40 वां विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है। यानि 'रामप्पा मंदिर', तेलंगाना और 'धोलावीरा', गुजरात को 2021 में यूनेस्को की विश्व विरासत स्थलों की सूची में शामिल किया गया। चलिए इस विश्व धरोहर दिवस पर भारत की सभी विश्व विरासत के बारे में जानते हैं। भारत के सभी 40 विश्व धरोहर स्थलों की सूची निम्न है।
क्र. |
विश्व धरोहर स्थल |
संबंधित राज्य/क्षेत्र |
घोषित वर्ष |
1. |
आगरा का किला |
उत्तर प्रदेश |
1983 |
2. |
ताजमहल |
उत्तर प्रदेश |
1983 |
3. |
अजंता की गुफाएं |
महाराष्ट्र |
1983 |
4. |
एलोरा की गुफाएं |
महाराष्ट्र |
1983 |
5. |
कोणार्क सूर्य मंदिर |
उड़ीसा |
1984 |
6. |
महाबलीपुरम के स्मारक |
तमिलनाडु |
1984 |
7. |
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान
|
असम |
1985 |
8. |
मानस राष्ट्रीय उद्यान
|
असम |
1985 |
9. |
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान |
राजस्थान |
1985 |
10. |
हम्पी के स्मारक समूह |
कर्नाटक |
1986 |
11. |
खजुराहो के स्मारक समूह |
मध्यप्रदेश |
1986 |
12. |
फतेहपुर सीकरी |
उत्तर प्रदेश |
1986 |
13. |
गोवा के गिरिजाघर एवं कॉन्वेंट |
गोवा |
1986 |
14. |
एलीफेंटा की गुफाएं |
महाराष्ट्र |
1987 |
15. |
सुंदरवन राष्ट्रीय उद्यान |
पश्चिम बंगाल |
1987 |
16. |
पट्टादकल के स्मारक समूह |
कर्नाटक |
1987 |
17. |
चोल मंदिर |
तमिलनाडु |
1987, 2004 |
18. |
नंदा देवी और फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान |
उत्तराखंड |
1988, 2005 |
19. |
सॉंची के बौद्ध स्तूप |
मध्यप्रदेश |
1989 |
20. |
हुमायूं का मकबरा |
दिल्ली |
1993 |
21. |
कुतुबमीनार एवं उसके स्मारक |
दिल्ली |
1993 |
22. |
भारतीय पर्वतीय रेलवे, दार्जिलिंग |
विभिन्न भारतीय राज्य |
1999, 2005, 2008 |
23. |
बोधगया का महाबोधि मंदिर |
बिहार |
2002 |
24. |
भीमबेटका की गुफाएं |
मध्यप्रदेश |
2003 |
25. |
छत्रपति शिवाजी टर्मिनस |
महाराष्ट्र |
2004 |
26. |
चंपानेर - पावागढ़ पुरातत्व उद्यान |
गुजरात |
2004 |
27. |
लाल किला |
दिल्ली |
2007 |
28. |
जंतर - मंतर, जयपुर |
राजस्थान |
2010 |
29. |
पश्चिमी घाट |
महाराष्ट्र, गोवा, तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल |
2012 |
30. |
राजस्थान के पहाड़ी दुर्ग |
राजस्थान |
2013 |
31. |
ग्रेट हिमालयन राष्ट्रीय उद्यान |
हिमालय प्रदेश |
2014 |
32. |
रानी की वाव |
गुजरात |
2014 |
33. |
नालंदा विश्वविद्यालय |
बिहार |
2016 |
34. |
कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान |
सिक्किम |
2016 |
35. |
ली. कार्बुजिए के वास्तुशिल्प |
चंडीगढ़ |
2016 |
36. |
अहमदाबाद के एतेहासिक शहर |
गुजरात |
2017 |
37. |
मुंबई के विक्टोरियन ओर आर्ट डेको एनसेंबल |
महाराष्ट्र |
2018 |
38. |
गुलाबी शहर जयपुर |
राजस्थान |
2019 |
39. |
रामप्पा मंदिर |
तेलंगाना |
2021 |
40. |
धोलावीरा |
गुजरात |
2021 |