देश में स्टार्टअप की संख्या अब हर साल बढ़ रही है। इस दिशा में निरंतर सरकारी प्रयासों के परिणामस्वरूप वित्त वर्ष 2016-17 में मान्यता प्राप्त स्टार्टअप की संख्या 726 से बढ़कर वित्त वर्ष 2021-22 (14 मार्च 2022 तक) में 65,861 हो गई है। ये पूरे देश के लिए एक बहुत ही अच्छा संकेत है। माना कि स्टार्टअप में जोखिम ज्यादा होता है, लेकिन यदि एक बार आइडिया काम कर जाए तो वही आइडिया सफलता की नई कहानियां लिखकर इतिहास भी रच देता है। स्टार्टअप शुरू करने से पहले जो सबसे अहम चीज होती है वो है इसके लिए फंड को जुटाना। स्टार्टअप के लिए फंडिंग प्राप्त करने के बहुत सारे तरीके हैं जिनकी आपको जानकारी होना बहुत आवश्यक है। तो आज इस आर्टिकल के माध्यम से आप जान पायेंगे कि स्टार्ट-अप के लिए फण्ड कैसे जुटा सकते How to raise funds for start-up हैं और फंड जुटाने के क्या-क्या तरीके हैं।
स्टार्टअप शुरू करने से पहले बहुत सारी बातों को ध्यान में रखना होता है और आने वाली समस्याओं की पहचान करनी होती है। जिनमें सबसे पहले समस्या आती है फंडिंग को जुटाने की। क्योंकि लोग बिज़नेस शुरू तो करते हैं लेकिन अधिकतर बिज़नेस, फंड न होने के कारण बंद हो जाते हैं और उनका बिज़नेस business करने का सपना अधूरा रह जाता है। किसी भी स्टार्टअप को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए पूंजी एक आवश्यक तत्व है, बिना पर्याप्त पूंजी के स्टार्टअप को बढ़ाने में समस्या आती है। कोई भी स्टार्ट्अप या बिज़नेस स्टार्ट करना और सबसे बड़ी बात इसके लिए फंड जुटाना fund raising इतना आसान नहीं है लेकिन यदि आप समझदारी से काम लेते हैं और फंडिंग प्राप्त करने के तरीके के बारे में जानकारी रखते हैं तो फिर आप अपने स्टार्ट्अप startup के सपने को पूरा कर सकते हैं और इसे बहुत आगे तक ले जा सकते हैं। मतलब आपको बस स्टार्ट-अप शुरू करने के लिए एक शानदार आइडिया की जरुरत है बाकी स्टार्टअप के लिए फंडिंग प्राप्त करने के बहुत सारे तरीके हैं तो चलिए जानते हैं उन फंड सोर्स fund Source के बारे में जहाँ से आप बिज़नेस स्टार्टअप के लिए फंडिंग जुटा सकते हैं और स्टार्टअप को आसानी से आगे बढ़ा सकते हैं।
ये सवाल हर किसी के दिमाग में आता है कि स्टार्टअप को या कंपनी को अपनी शुरुआती पूँजी या पैसे कैसे मिलते हैं? क्योंकि शुरूआत कर रही नई कंपनी के पास कोई सुरक्षा पूँजी या पिछली पूँजी नहीं होती जिस पर वह निर्भर रह सके। ये बात सच भी है कि एक स्टार्टअप्स के लिए पैसा जुटाना बहुत ही कठिन काम होता है। बिज़नेस फंडिंग और किसी व्यवसाय के लिए फंडिंग के अन्य विकल्पों को समझने के लिए, सबसे पहले हम किसी व्यवसाय के जीवन चक्र के बारे में जानते हैं। दरअसल किसी व्यवसाय की लाइफ-साइकल या जीवन चक्र एक निश्चित समय में व्यवसाय में हुए सभी परिवर्तनों या प्रगति की एक श्रृंखला है। कोई भी व्यवसाय, उद्योग और लगभग सभी तरह की कंपनियों को अपने जीवन चक्र के दौरान इन निम्न पाँच अलग-अलग चरणों से होकर गुजरना पड़ता है-
लॉन्च स्टेज या इसे स्टार्टअप स्टेज के रूप में भी जाना जाता है। लॉन्च स्टेज का मतलब है जब कोई कंपनी या व्यवसाय अपना बिज़नेस शुरू करने के लिए सभी कानूनी औपचारिकता या जो भी कंडीशन होती हैं एक स्टार्टअप को करने के लिए उन्हें पूरी कर लेता है। इस स्टेज में कंपनी के प्रोमोटर शुरुआत में इतना पैसा लगाते हैं कि कंपनी अपने पैरों पर खड़ी हो जाए या अपना बिजनेस शुरू कर सके। दरअसल इस स्टेज में कंपनी के प्रोडक्ट या सर्विसेज़ की बिक्री बहुत कम होती है और दूसरी तरफ कंपनी के आय स्रोत भी कम होते हैं, यही वजह है कि लॉन्च स्टेज को अधिकतर लोग सबसे जोखिम और मुश्किल भरा चरण मानते हैं।
जब कोई बिज़नेस लॉन्च स्टेज या अपने जोखिम-भरे स्टेज को पार कर लेता है, तो तब वह बिजनेस अपने ग्रोथ स्टेज यानी विकास के चरण में एंट्री ले लेता है। अब इस स्टेज में बिज़नेस की सर्विसेज़ या प्रोडक्ट्स की बिक्री शुरू होती है और धीरे धीरे कंपनी की मार्केट में अपनी खुद की पहचान, प्रतिष्ठा और विश्वसनीयता बनने लगती है और ग्राहकों का दिल जीतने में वह धीरे धीरे कामयाब होती है। फिर अब जैसे ही कंपनी की बिक्री बढ़ती है, तो कंपनी के पास एक स्थिर आय भी आने लग जाती है और इसके साथ ही बिक्री और उसका भुगतान मिलने के बीच का समय भी कम होता जाता है। फिर बिज़नेस को मुनाफ़ा होने लगता है। अब इसके बाद कंपनी का उद्देश्य, मार्केटिंग और अपने प्रोडक्ट्स के उत्पादन में बढ़ोतरी के द्वारा अपना राजस्व बढ़ाना होता है।
शेक-आउट स्टेज यानि जब कोई बिज़नेस विकास के कई स्तरों को पार कर लेता है, तो तब वह शेक-आउट स्टेज पर पहुंच जाता है। इस स्टेज पर बिजनेस काफी आगे बढ़ चुका होता है। यहां, बिज़नेस की बिक्री तो ऊंचाई छू रही होती है, लेकिन उसकी बिक्री और राजस्व की विकास की दर कम होने लगती है। ऐसा बाजार की संतृप्ति या नए प्रतियोगियों की एंट्री के कारण से हो सकता है। हम कह सकते हैं कि शेक-आउट स्टेज में, बिज़नेस से जुड़ी लागत और खर्च काफी हद तक बढ़ जाता है और इन्हीं खर्चों की वजह से उसका राजस्व या मुनाफा कम हो जाता है। मुनाफ़े बढ़ाने के लिए, आमतौर पर बिज़नेस के खर्च में कटौती की जाती है।
इसके बाद जो स्टेज आती है वो होती है मैच्योरिटी स्टेज। मैच्योरिटी स्टेज यानि जब बिक्री, राजस्व और मुनाफ़ा धीरे-धीरे एक निर्धारित रेशियो में मिलने लगे, तो तब बिज़नेस मैच्योरिटी स्टेज पर आ जाता है। जब बिज़नेस इस स्टेज पर आते हैं, तो वह अपने बिजनेस को और अधिक बढ़ाने की कोशिश करते हैं इसके लिए वह नयी टेक्नोलॉजी के साथ अपनी दूसरी अन्य कई ब्रांच खोलने में इन्वेस्ट करना शुरू कर देते हैं। अपने व्यवसाय में विविधता लाते हैं, और नए और उभरते बाजारों में अपने पैर पसारने की कोशिश करते है। मार्केट में अपने बिजनेस को बढ़ाने के साथ ही कंपनी की ग्रोथ काफी अच्छी होने लगती है।
डिकलाइन स्टेज में, बिज़नेस की बिक्री और राजस्व दोनों कम होने लगता है। इस स्टेज से यदि कोई बिज़नेस इस स्टेज से बाहर निकलना चाहता है तो उसे बहुत ज्यादा पैसे लगाने की ज़रूरत पड़ेगी, जो इस स्टेज में हर किसी के लिए संभव नहीं होता है। डिकलाइन स्टेज में कई बार दूसरे सफल व्यवसायों के साथ विलय करना पड़ जाता है या अपने काम को बंद करना पड़ जाता है।
बूटस्ट्रैपिंग का अर्थ है खुद से ही फंड की व्यवस्था करना। मतलब शुरुआत में कोई भी आपके स्टार्टअप में पैसे नहीं लगाएगा इसलिए शुरुआत में आपको अपने आप पैसों की व्यवस्था करनी होगी और कम से कम आपको इतने पैसों की व्यवस्था करनी होगी कि आप पहले खुद से अपने स्टार्टअप की शुरुआत कर सकें। भले ही बाद में आपको फंडिंग मिल जाये। मतलब आप अपने स्टार्टअप को तब तक आसानी से चला सकें जब तक आप कहीं से फंडिंग को नहीं जुटा पाते। इसका अर्थ है कि जब आप बिज़नेस स्टार्ट करते हैं तो आपके पास एक ऐसा ज़रिया ज़रूर होना चाहिए जहाँ से आप आसानी से बिना व्याज के पूंजी की व्यवस्था कर सके। इस फण्ड के द्वारा आप अपना ही पैसा बिज़नेस में लगाते हैं। क्योकि जब तक आप अपना पैसा बिज़नेस में नही लगाते तब तक कोई दूसरा आपके बिज़नेस में क्यों पैसा लगाएगा। यह मुख्य रूप से आपकी बचत हो सकती है या आपके दोस्त, जान पहचान वाले, रिश्तेदार, आदि जहाँ से आपको आसानी से बिना व्याज के फंड की व्यवस्था हो जाये। काफी ऐसे बिजनेसमैन हुए हैं जिन्होंने बूटस्ट्रैपिंग के द्वारा ही एक बहुत बड़े स्तर पर विशाल बिज़नेस खड़ा किया है।
Crowdfunding एक ऐसा तरीका है जिसके ज़रिए व्यवसायिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए कई इन्वेस्टर्स से छोटी-छोटी रकम जुटाई जाती है। यह ऐसा मंच है जो आम लोगों के सपने पूरे करने में सहायता करता है। जो लोग ऐसी कंपनी को फंड देने के इच्छुक होते है उनसे फंड एकत्रित करके बिज़नेस को विकसित किया जाता है। इसके बदले में आपको भी इनको कुछ देना होता है जैसे किसी प्रोडक्ट पर स्पेशल डिस्काउंट आदि। यहां आप अपना प्रोजेक्ट लिस्ट करते हैं और आपको कितने पैसों की जरूरत है वह बताना होता है। क्राउडफंडिंग से स्टार्टअप और पहली बार बिज़नेस करने वाले लोगों के लिए फंड इकट्ठा करने में मदद मिलती है। जिस व्यक्ति को आपका प्रोजेक्ट पसंद आएगा वह आपको पैसे देता है। साथ ही आपको यह बताना होगा कि आप फंड कैसे और कहां इस्तेमाल करेंगे इसकी पूरी जानकारी देनी होती है। क्राउडफंडिंग के लिए सोशल नेटवर्किंग साइट्स और वेब आधारित प्लेटफार्म्स का इस्तेमाल किया जाता है। भारत के प्रमुख क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म में केटो, किकस्टार्टर, कैटापूल्ट, फंडेबल, फ्यूलएड्रीम, विशबेरी, इंडिगोगो, मिलाप, Keto, Kickstarter, Catapult, Fundable, Fueladream, Wishberry, Indiegogo, Milap आदि शामिल हैं।
इन्क्यूबेटर व एक्सेलेरेटर प्रोग्राम बिज़नेस के लिए फंड जुटाने के कारगार तरीकों में से एक है। इन प्रोग्राम के द्वारा हर साल बहुत सारे स्टार्टअप को सहायता दी जाती है इसलिए आप इसके जरिए भी फंड जुटा सकते हैं। सरकार की स्टार्टअप पॉलिसी में इनक्यूबेटरस की भूमिका महत्वपूर्ण होती है और वे स्टार्टअप्स को मान्यता प्रदान करने, उनके लिए दिशा निर्देश निर्माण एवं वित्तीय सहयोग प्रदान करने में भूमिका में अदा करते हैं। ये इन्क्यूबेटर्स आपके प्रोडक्ट को तैयार करने में और एक्सेलेरेटर्स बिज़नेस की स्पीड को बढ़ाने में मदद करते हैं। इनक्यूबेटर स्टार्टअप्स को सहयोग तो देते ही हैं साथ ही किसी भी प्रकार की कोई समस्या होने पर उसका निदान भी करते हैं।
Angel Investor, वो लोग होते हैं जो किसी व्यवसाय या स्टार्ट-अप के शुरुआती समय में उसमें निवेश करते हैं और उसके बदले उसमें कुछ हिस्सेदारी लेते हैं। किसी भी स्टार्टअप में फंडिंग लेने का मुख्य स्त्रोत एंजल इन्वेस्टर्स होते हैं। वैसे तो पूंजी एकत्रित करने के बहुत सारे साधन हैं लेकिन स्टार्टअप के शुरुआती दिनों में एंजेल इन्वेस्टर्स एक बहुत बड़ा वरदान साबित होता है। एंजेल के नाम से ही आप समझ सकते हैं कि ये किसी फ़रिश्ते की तरह होते हैं जो हमारा साथ देते हैं। एक स्टार्टअप का विश्वास अपने एंजल पर होता है। एंजेल इन्वेस्टर्स ऐसे व्यक्तियों या कंपनियों को कहते हैं, जिनके पास बहुत पैसे हो और वे किसी बिज़नेस या स्टार्टअप में इन्वेस्ट करना चाहते हों। वे अपने पैसे को निवेश करने के लिए अच्छे विकल्प और स्टार्टअप की तलाश में रहते है। एंजल इन्वेस्टर्स को आकर्षित करने के लिए आपको अपने बिज़नेस की पूरी प्लानिंग उन्हें बतानी होती है और साथ ही एक शानदार पिच देनी होती है। एक-दूसरे के ऑफर्स से संतुष्ट होने के बाद ही कोई डील साइन की जाती है। भारत में भी हैदराबाद एंजेल्स, इंडियन एंजेल्स नेटवर्क, मुंबई एंजेल्स Hyderabad Angels, Indian Angels Network, Mumbai Angels जैसे कई ऐसे इन्वेस्टर्स हैं जो छोटे-बड़े स्टार्टअप को अच्छी फंडिंग देते हैं और एक स्टार्ट-अप को आगे बढ़ाने में मदद करते हैं। स्टार्टअप करने वाले फंडिंग हासिल करने के लिए इनसे संपर्क कर सकते हैं।
यदि आपके पास एक व्यवसाय शुरू करने का कोई अच्छा आईडिया है जो रोजगार पैदा कर सके तो आप स्टार्टअप इंडिया ऋण के लिए आवेदन कर सकते हैं। दरअसल यह कार्यक्रम प्रधान मंत्री मोदी PM Modi द्वारा एंटरप्रेन्योर की मदद के लिए शुरू किया गया है। आप भी इस योजना का लाभ उठाकर अपने बिज़नेस के लिए फण्ड इक्कठा कर सकते हैं। इस योजना का मुख्य उद्देश स्टार्टअप करने वाले करने वाले युवाओ की शुरुआत को मजबूत बनाकर स्टार्टअप युवाओ को बैंक के माध्यम से फण्ड उपलब्ध कराना है। यह पहली बार 15 अगस्त, 2015 को भारतीय युवाओं को कारोबार की दिशा में कदम बढ़ाने के लिए शुरू की गई थी।
Society Scheme आपसी ग्रुप द्वारा चलाई जाने वाली एक योजना है, इसमें आपसी लोग पैसा इक्कठा करके जिस भी व्यक्ति को जरुरत होती है उसे दे देते हैं। फिर ज़रूरतमंद व्यक्ति इन पैसों से कोई भी स्टार्टअप कर सकता है और इसके बाद वह व्यक्ति धीरे धीरे महीने के हिसाब से थोड़ा-थोड़ा कर के पैसे वापस लौटा देता है। इससे ये लाभ होता है कि आपको जरुरत के समय पैसे मिल जाते हैं और सबसे बड़ी बात आपको इसमें अधिक व्याज नहीं देना पड़ता।
बैंकों द्वारा लोन हासिल करना स्टार्टअप उद्यमों की पहली प्राथमिकता मानी जाती है। मतलब जब भी फंडिंग लेने की बात आती है तो सबसे मुख्य नाम लोन का ही आता है। बैंकों द्वारा धन प्राप्त करना अधिक सुविधाजनक और विश्वसनीय होता है। कई स्टार्टअप अपना बिज़नेस विकसित करने के लिए धन निजी स्रोतों या वित्तीय संस्थानों जैसे कि माइक्रो फाइनेन्स हाउस या वाणिज्यिक बैंकों से प्राप्त करते हैं। इसमें व्याज दर अधिक होती है और स्टार्टअप को मूल राशि और अर्जित ब्याज का भुगतान तय समय पर करना होता है। क्योंकि आपकी कोई फाइनेंशियल हिस्ट्री या कोई क्रेडिट स्कोर नहीं है तो आपके लिए निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंको द्वारा लोन लेना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। इसके लिए आप गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) और माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूशन Micro Finance Institution (MFIs) से बिना किसी फाइनेंशियल हिस्ट्री या क्रेडिट स्कोर के अपनी आवश्यकताओं के आधार पर अपने स्टार्टअप के लिए बिज़नेस लोन हासिल कर सकते हैं।
ये क्रेडिट भी सामान्य ऋण की तरह ही होता है। स्टार्टअप के लिए फण्ड जुटाने का यह भी एक तरीका है। इसमें बैंको या वित्तीय संस्थानों banks or financial institutions द्वारा कंपनियों या सरकारी संस्थानों को ऋण दिया जाता है। मतलब Line of credit एक प्रकार फण्ड होता है। कई उद्योगों द्वारा इसे आयात (Export) निर्यात (Import) में और किसी अन्य देश में बिज़नेस स्टार्ट करने के लिए लिया जाता है। एक बार राशि स्वीकृत हो जाने पर स्वीकृत राशि में से आप जितनी भी चाहे उतनी राशि निकाल सकते हैं।
प्रधान मंत्री मुद्रा योजना Pradhan Mantri MUDRA Yojana (PMMY) के तहत, भारत सरकार ने देश के छोटे कारोबारियों की मदद करने के लिए मुद्रा लोन की व्यवस्था की है। जिससे पूँजी सम्बन्धी खर्च के साथ-साथ संचालन सम्बन्धी खर्च उठाने में भी मदद मिल सके। यानि मुद्रा लोन के माध्यम से भी फण्ड एकत्रित किया जा सकता है। इस लोन के माध्यम से अधिक-से-अधिक 10 लाख रुपये तक का लोन लिया जा सकता है। मुद्रा लोन, कई कारणों से लिए जा सकते हैं, जैसे, रोज़गार पैदा करने के लिए या इनकम जनरेट करने के लिए। मुद्रा लोन तीन प्रकार के होते हैं - तरुण, किशोर, और शिशु।
शिशु: इस योजना के तहत 50,000 रुपये तक का लोन दिया जाता है।
किशोर: इस योजना के तहत 50,000 रुपये से अधिक और 5 लाख रुपये से कम का लोन दिया जाता है।
तरुण: इस योजना के तहत 5 लाख रुपये से अधिक और 10 लाख रुपये से कम का लोन दिया जाता है।
बस यदि आपके पास कोई बिज़नेस आईडिया है लेकिन फण्ड की कमी है तो आप इस योजना का लाभ ले सकते है।
स्टार्टअप के लिए वेंचर कैपिटल शुरुआती चरण में धन जुटाने का सबसे लोकप्रिय तरीका है। जो लोग इस तरह की कंपनी में पैसा लगाते हैं, उन्हें वेंचर कैपिटलिस्ट venture capitalist कहा जाता है। वेंचर कैपिटलिस्ट्स इक्विटी यानि हिस्सा लेकर आपके बिज़नेस में पैसा लगाते हैं। ये आईपीओ जारी होने या एक्विजिशन के बाद ही बिज़नेस से हटते हैं। वेंचर कैपिटलिस्ट स्टार्टअप को केवल आर्थिक रूप से सहारा नहीं देते हैं, बल्कि महत्वपूर्ण मामलों में स्टार्टअप का मार्गदर्शन भी करते हैं। वेंचर कैपिटलिस्ट्स समय-समय पर ये भी देखते हैं कि आपका स्टार्टअप सही दिशा में आगे बढ़ रहा है या नहीं। कुल मिलाकर आप वेंचर कैपिटल की मदद से अपने स्टार्टअप के लिए फंड जुटा सकते हैं।
भारत सरकार द्वारा भी समय समय पर कई योजनाएं शुरू की गईं हैं। इनका मुख्य उद्देश्य स्टार्टअप उद्यमों, SMEs, MSMEs को लोन देना है। इन योजनाओं के जरिए आप आसानी से अपने स्टार्टअप के लिए फंड जुटा सकते हैं। सरकार द्वारा शुरू की गई लोन योजनाओं में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) के तहत आने वाला मुद्रा लोन जिसके बारे में ऊपर बता दिया गया है, इसके अलावा स्टार्टअप इंडिया, अटल इनोवेशन मिशन, सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए क्रेडित गारंटी फंड ट्रस्ट (CGTMSE), स्टैंड-अप इंडिया, मेक इन इंडिया, ट्रेड-रिलेटिड एंटरप्रेन्योरशिप असिस्टेंस एंड डेवलपमेंट (THREAD) आदि शामिल हैं। आप सरकारी योजनाओं का भी लाभ उठा कर अपने स्टार्टअप को एक दिशा देकर आगे बढ़ा सकते हैं।
यदि आपका अच्छा क्रेडिट स्कोर नहीं है तो आप आप पीयर-टू-पीयर लेंडिंग (Peer to Peer Lending) के जरिए भी अपने स्टार्टअप के लिए लोन जुटा सकते हैं। क्योंकि बैंक और वित्तीय संस्थानों से लोन के लिए फाइनेंशियल हिस्ट्री के साथ-साथ अच्छा क्रेडिट स्कोर होना जरुरी है। पीयर-टू-पीटर लेंडिंग को P2P जाता है। दरअसल पीयर-टू-पीयर लेंडिंग स्टार्टअप उद्यमों के लिए एक तरह का लोन है, जबकि उधारदाताओं के लिए एक प्रकार का इन्वेस्टमेंट। इसमें उधारदाता, उधारकर्ताओं को इन्वेस्टमेंट के रूप में पैसे उधार देते हैं। इसमें दिए जाने वाले लोन की ब्याज दरें बैंक, NBFCs और MFIs की तुलना में अधिक होती है इसलिए उधारदाताओं को इसमें प्रॉफिट मिलता है।
Seed Funding मतलब बीज की तरह सबसे छोटी और सबसे पहली फ़ंडिंग। यही वो फ़ंडिंग है जिसके कारण आपका स्टार्टअप आगे बढ़ता है। ये शुरुआती धन राशि होती है। इसमें आपका जानकार, कोई परिवार वाला या कोई दोस्त पैसे नहीं देता है बल्कि पैसे देने वाला कोई अनजान व्यक्ति होता है। जो सीड फ़ंडिंग कर रहा है, उसका विश्वास आप पर नहीं बल्कि आपके प्रोडक्ट पर और आपके स्टार्टअप पर होता है। सीड फ़ंडिंग, सबसे ज़्यादा ज़रूरत के वक़्त मिले पैसे होते हैं। इसलिए इनका महत्व भी ज्यादा होता है क्योंकि जब तक आपको अच्छी ख़ासी फ़ंडिंग नहीं मिल जाती तब तक आप इनसे शुरुआत कर सकते हैं। इसमें फ़ंडिंग करने वाला कोई अनजान होता है जो आपके आइडिया में इन्वेस्ट करता है इसलिए इसमें इंवेस्टर को आपके स्टार्टअप का एक हिस्सा मिलता है। यानि जो इंवेस्टर आपकी कंपनी में जितनी शुरुआत में पैसे लगाता है उसे आपके स्टार्टअप का उतना बड़ा हिस्सा मिलता है।
एक कंपनी जब पहली बार अपने इक्विटी शेयरों को बिक्री के लिए जारी कर, सीधे जनता से पूँजी जुटाती है तो कंपनी के फंडिंग के इस तरीके को ‘इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO)’ Initial Public Offering के रूप में जाना जाता है। IPO के ज़रिये पैसे जुटाने के लिए एक कंपनी को अच्छी तरह से स्थापित होना जरुरी है। इससे जनता को कंपनी पर भरोसा और अपना फायदा दिखता है। जब कोई कंपनी IPO के ज़रिये, अपने शेयरों की सदस्यता के लिए उन्हें लिस्ट करती है, तो डीमैट अकाउंट वाला कोई भी व्यक्ति एक निश्चित कीमत देकर शेयर्स को खरीद सकता है। इस IPO से कंपनी को जो फंडिंग मिलती है, उसका इस्तेमाल अपने बिज़नेस को आगे बढ़ाने के लिए किया जाता है।
स्टार्टअप के लिए सबसे ज्यादा जरूरत होती है फंड की। क्योंकि किसी भी बिजनेस को शुरू करने के लिए फंड चाहिए होता है। आप फंडिंग स्टार्टअप गेटवैंटेज Funding Startup GetVantage के जरिए आप आसानी से फंड हासिल कर सकते हैं। ये स्टार्टअप रेवेन्यू पर आधारित फंडिंग करता है। फंडिंग करने वाले स्टार्टअप गेटवैंटेज से फंडिंग लेने का ये फायदा ये होगा कि आपको कोई इक्विटी नहीं देनी होगी। साथ ही दूसरा फायदा ये होगा कि जो फंड आपने लिया है, उसे आप हर महीने फ्लेक्सिबल तरीके से वापस कर सकते हैं।
गेटवैंटेज से फंडिंग पाने के लिए आपको सबसे पहले इनकी वेबसाइट पर जाना होगा फिर वहां पर आपको Join Us का बटन मिलेगा। इसके बाद बटन दबाते ही आपके सामने एक पेज खुलेगा, जहां पर आपकी ई-मेल आईडी मांगी जाएगी। आपको अपनी ई-मेल आईडी डालनी होगी। फिर आपके पास एक ओटीपी आएगा, जिसे पेज पर आपको डालना होगा। फिर इसके बाद आपको अपना नाम, मोबाइल नंबर, अपना पद, अपने बिजनेस का नाम, वेबसाइट का लिंक, बिजनेस की कैटेगरी, सब कैटेगरी आदि चुनना होगा। फिर अगले पेज पर आपको बताना होगा कि आपकी सेल्स कितनी है, आपका डिजिटल मार्केटिंग का बजट कितना है, हर महीने कितनी ग्रोथ है और आपका बिजनेस कितना मुनाफे वाला है आदि। इसके बाद कंपनी की इन्वेस्टमेंट टीम आपसे कांटेक्ट करेगी। इसके बाद 48 घंटे के अंदर फंडिंग का ऑफर आ जाएगा और 5 दिनों में पैसे भी भेज दिए जाएंगे।
अब तक करीब 7000 बिजनेस इस प्लेटफॉर्म पर फंडिंग के लिए अप्लाई कर चुके हैं और 350 से भी ज्यादा बिजनेस को फंडिंग की जा चुकी है। गेटवैंटेज आने वाले 5 सालों में हिंदुस्तान के हजारों फाउंडर्स और बिजनेस को फंडिंग मुहैया कराना चाहती है। वह तमाम फाउंडर्स को ना सिर्फ कैपिटल सपोर्ट देना चाहते हैं, बल्कि कई तरह से उनकी मदद करना चाहते हैं। आप गेटवैंटेज के द्वारा 5 लाख रुपये से लेकर 10 करोड़ रुपये तक की फंडिंग हासिल कर सकते हैं। स्टार्टअप्स को सिर्फ कंपनी की वेबसाइट पर जाकर अपने मार्केटप्लेट, मार्केटिंग और रेवेन्यू अकाउंट को उनके डैशबोर्ड से कनेक्ट करना होगा।
आपको बता दें कि गेटवैंटेज सिर्फ फंड नहीं देता बल्कि मदद भी करता है यानि आपको पैसों के साथ-साथ मदद भी मिल जाती है। यदि कंपनी को लगता है कि किसी बिजनेस की कमाई ज्यादा नहीं हो पा रही है या बिजनेस अच्छा नहीं चल रहा है तो उन्हें बिजनेस को कैसे सही से आगे बढ़ाया जाये इसके तरीके भी बताये जाते हैं। नेटवर्किंग के लेवल पर मदद की जाती है। साथ ही दो ब्रांड्स को कोलैबोरेट भी कराया जाता है जिससे दोनों एक दूसरे के ग्राहकों से फायदा कमा सकें। साथ ही कंपनी ने एक अलग प्लेटफॉर्म भी बनाया है, जहां पर बिजनेस के मालिक कई फाउंडर्स से चैट कर सकते हैं। इससे ये फायदा होता है कि इन फाउंडर्स से चैट करके वह उनसे एडवाइस ले सकते हैं। फाउंडर्स से वह जान सकते हैं कि बिजनेस की ग्रोथ के लिए क्या कदम उठाने चाहिए और इसके लिए फाउंडर्स को या किसी भी बिजनेस के ओनर को कोई पैसा नहीं देना होता है। इन तरीकों से बिजनेस की कमाई बढ़ जाती है, जिससे गेटवैंटेज को भी फायदा होता है। गेटवैंटेज से काफी लोग बिजनेस फंड लेते हैं।
कहते हैं कुछ लोगों में पैदाइशी बिज़नेस के गुण होते हैं, तो कुछ लोगों को काफ़ी मेहनत-मश़क्क़त करनी पड़ती है, बिज़नेस की बात करें तो कुछ लोग, कुछ ही समय में बिज़नेस को बुलंदियों पर ले जाते हैं और मार्केट में अपना एक नाम बना लेते हैं। वहीं कुछ लोग काफी मेहनत करने पर भी कुछ हासिल नहीं कर पाते हैं और हार मान जाते हैं। क्योंकि बिज़नेस करना एक कला है, जो बहुत कम लोगों को आती है, लेकिन आप भी चाहें तो बिज़नेस के लिए आपका स्टार्ट अप प्लान कैसा हो चलिए जानते हैं।
इसके लिए आप जो भी इंडस्ट्री चुनें या जो भी बिज़नेस शुरू करें उसके बारे में अच्छे-से सोच-विचार कर लें। फिर उसके बारे में सारी जानकारी जुटा लें यानि उस बिज़नेस के बारे में रिसर्च करें। आप उस काम को अच्छे से सीख लें। अपने बिज़नेस प्लान को लिखने की आदत डालें क्योंकि ऐसा करने से आप सभी चीज़ों के बारे में जान सकते हैं। बिज़नेस प्लान में जरुरी सारी बातें लिखें जैसे कब आपको क्या करना है, कैसे करना है, कहां करना है, कितने समय में करना है आदि। ख़ुद को स्थापित करने के लिए आपको अपने बिज़नेस को एक नए रूप में पेश करना होगा क्योंकि मार्केट में कॉम्पटीशन बहुत अधिक है। सबसे पहले बिज़नेस शुरू करने के लिए आपको उसे रजिस्टर करना होगा। उस क्षेत्र से जुड़े एक्सपर्ट्स और प्रोफेशनल्स की मदद लें। बिज़नेस से जुड़े सभी टैक्स, रेवेन्यू आदि की जानकारी इकट्ठा कर लें और समय-समय पर सभी टैक्सेस भरते रहें। हम सब ये भलीभांति जानते हैं कि आज के इस डिजिटल के दौर में जब तक कोई बिज़नेस ऑनलाइन नहीं होगा तो उसकी उतनी डिमांड नहीं होगी। इसलिए चाहे आपका बिज़नेस छोटा हो या बड़ा उसकी वेबसाइट और सोशल पेज ज़रूर बनाएं। इससे आपके बिजनेस का विस्तार होगा।