एसईओ SEO यानि सर्च इंजन ऑप्टिमाइज़ेशन एक ऐसा प्रोसेस (process) है जिससे हम वेबसाइट या ब्लॉग के कंटेंट को ऑप्टिमाइज़ (optimize) करके सर्च इंजन में टॉप पर ला सकते हैं, ताकि हमें ज्यादा से ज्यादा विज़िटर्स visitors मिल सके। किसी ब्लॉग या वेबसाइट को गूगल के सर्च इंजन रिजल्ट पेज या SERP (Search Engine Result Page) में पहले पेज में लाने के लिए कई सारी चीजों का ध्यान रखना पड़ता है। आज इस आर्टिकल में हम इसी बारे में बात करेंगे कि कैसे एक इफेक्टिव एसईओ स्ट्रेटेजी बनाये जो कि आपकी वेबसाइट या ब्लॉग की रैंकिंग बढ़ाने में मदद करे।
हर ब्लॉगर यही चाहता है की उसका ब्लॉग (blog) गूगल के पहले पेज पर दिखाई दे। ऐसा इसलिए क्योंकि ज्यादातर लोग गूगल के पहले पेज पर आने वाली वेबसाइट पर ही विजिट visit करना पसंद करते हैं। एक रिसर्च के अनुसार, लगभग 94% क्लिक्स गूगल के पहले पेज पर ही आते हैं। यही कारण है कि हर बिज़नेस की भी यही कोशिश होती है की वह सर्च इंजन रिजल्ट पेज (Search Engine Results Pages) में पहले पेज पर आये ताकि वह अपने प्रतिस्पर्धियों से आगे निकल सके।
यदि आप ब्लॉगिंग (blogging) करते हैं तो आपको यह जरुर पता होगा की इन्टरनेट (Internet) पर हर रोज लाखों की संख्या में ब्लॉग पब्लिश किये जाते हैं, लेकिन उनमें से केवल कुछ ही पोस्ट सर्च इंजन पर पहले पेज पर रैंक कर पाते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि गूगल जैसे सर्च इंजन का अल्गोरिथम (Google algorithm) रैंकिंग से पहले कई सारी चीजों की जांच करता है और उसके बाद ही ये निर्णय लेता है की कौन सा पोस्ट किस कीवर्ड पर रैंक करेगा और कौन से पेज पर दिखाई देगा। गूगल (Google) की हमेशा यही कोशिश होती है की वह क्वालिटी कंटेंट (quality content) को पहले पेज पर दिखाए, इसके लिए कई सारे रैंकिंग फैक्टर्स (ranking factors) यानि नियम तय किये गये हैं। सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन (Search Engine Optimization) के जरिये हम इन्हीं नियमो का पालन कर पाते हैं।
Search Engine Optimization मुख्य रूप से 3 प्रकार से किया जाता है:
ऑन-पेज एसईओ (On-Page SEO) में वेबसाइट या ब्लॉग के कंटेंट को ऑप्टिमाइज़ किया जाता है। यह एक साधारण तरीका है, जिससे हम अपने ब्लॉग को ऑप्टिमाइज़ करते हैं। इसके लिए हमें मुख्य रूप से 3 काम करने होते हैं: कीवर्ड रिसर्च, कंटेंट बनाना और कीवर्ड ऑप्टिमाइजेशन (Keyword Research, Content Create, Keyword Optimization). जब भी हम कोई आर्टिकल लिखते हैं तो उससे पहले हम ऐसे कीवर्ड्स को ढूढ़ना चाहिए जिसे गूगल पर ज्यादा सर्च किया गया हो। ताकि आप अपने आर्टिकल को भी रैंक कर सके। ऐसा करना जरुरी है क्योंकि यदि आप बिना कीवर्ड रिसर्च के आर्टिकल लिखेंगे तो उसके रैंक होने के उम्मीद बहुत कम होती है।
कीवर्ड रिसर्च (Keyword research) के लिए कई सारे टूल्स (tools) हैं जिनका आप उपयोग कर सकते है। जैसे: Google Keyword Planner और Ahref, SEMrush, Ubersuggest आदि। इन कीवर्ड सर्च टूल्स (tools) की मदद से किसी भी कीवर्ड (keyword) की ट्रैफिक और प्रतिस्पर्धा (competition) देखी जा सकती है। हांलाकि, ये टूल्स भी 100% सटीक (accurate) तो नही होते लेकिन इससे अंदाजा जरुर लगाया जा सकता है।
इसमें हम कुछ ऐसे एसईओ टेक्निक्स (SEO techniques) का उपयोग किया जाता है, जो की हमारे वेबसाइट की रैंकिंग को बढ़ाने के लिए बाहर से सपोर्ट करता है। ऑफ-पेज एसईओ (off-page SEO) में हमे वेबसाइट के अंदर कोई बदलाव नही करने होते हैं। ऑफ-पेज एसईओ करने से हमारी वेबसाइट website की अथॉरिटी (authority) और रेपुटेशन (reputation) बढ़ती है। off-page SEO करने के भी कुछ तरीके होते हैं, जैसे:
यदि आपकी वेबसाइट दिखने में अच्छी है और आपका कंटेंट भी अच्छा है, इसके बावजूद भी आपको अपनी साईट को ऑप्टिमाइज़ optimize करने की जरुरत पड़ सकती है। टेक्निकल एसईओ में वेबसाइट के बैकेंड (backend) पर काम करते हैं, और यूजर एक्सपीरियंस (user experience) (UX) को इम्प्रूव करने की कोशिश करते हैं।
इसके लिए हमें कुछ चीजों पर ध्यान देना पड़ता है जैसे-
आपके ब्लॉग/वेबसाइट की लोडिंग स्पीड अच्छी होनी चाहिए, नही तो यूजर आपकी साईट बंद करके कहीं और चला जाएगा और इससे गूगल को नेगेटिव सिगनल (negative signal) मिलेगा जिससे आपकी साइट की रैंकिंग डाउन (ranking down) भी हो सकती है। आप गूगल पेजस्पीड इनसाइट्स (Google PageSpeed Insights) से साइट की स्पीड चेक कर सकते हैं।
आपका आर्टिकल मोबाइल पर भी अच्छे से दिखाई दें, इसके लिए आपको रेस्पॉन्सिव वेबसाइट थीम (responsive website theme) का उपयोग करना चाहिए।
यह एक प्रकार का सुरक्षित प्रोटोकॉल (secured protocol) है। HTTP पर जो वेबसाइट चलती है वो ज्यादा सुरक्षित नही होती है।
आगे इस आर्टिकल में आपको 10 सबसे महत्वपूर्ण SEO Plans के बारे में जानकरी प्राप्त होगी, जिनके जरिये आपको अपनी साइट रैंकिंग में मदद अवश्य मिलेगी।
चलिए शुरू करते हैं:
पेज स्पीड एसीओ का एक अहम पहलु है। गूगल रैंकिंग में पेज स्पीड कम होना एक बुरा प्रभाव डाल सकता है। यदि किसी भी साइट को लोड होने में ज्यादा समय लगता है तो विज़िटर्स इंतज़ार किये बिना दूसरी साइट पर चले जाते हैं। जिससे गूगल को नेगेटिव सिग्नल मिलता है और साइट की वैल्यू डाउन हो जाती है। ऐसे में हमे इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हमारे पेज का लोडिंग टाइम कम रहे इसके लिए यदि किसी भी चीज़ को साइट से हटाना पड़े तो हटा दीजिये। लोग स्लो साइट्स को अविश्वसनीय साइट मानते हैं। एक रिसर्च के अनुसार, 40 प्रतिशत लोग 3 सेकंड से ज्यादा समय में लोड लेने वाली वेबसाइट को छोड़कर दूसरी वेबसाइट पर चले जाते हैं।
कुछ लोग सोचते हैं कि दूसरे वेबसाइट की लिंक को अपने आर्टिकल में जोड़ना बुरा है क्योंकि यह लोगों को आपके पृष्ठ से हटा देता है। लेकिन, ऐसा नहीं है। लिंक बिल्डिंग (Link building) स्मार्ट सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन स्ट्रैटेजी (smart search engine optimization strategy) का एक मूलभूत हिस्सा है। इसलिए आपको कई उच्च-गुणवत्ता वाली साइटों और स्रोतों से जुड़ना चाहिए।
हाल ही में, मैंने देखा है कि ज्यादातर ब्लॉगर और कंटेंट क्रिएटर SEO के पुराने तरीकों पर वापस जा रहे हैं, जहां सर्च रिजल्ट पर आने के लिए सिर्फ कीवर्ड पर कर रहे है, क्वालिटी कंटेंट पर नहीं। यदि आप भी इसी नीति पर काम कर रहे हैं तो अपनी आपको इसे बदलने की आवश्यकता है। आपके आर्टिकल को मनुष्य पढ़ते हैं और से सीखते हैं तो आप ध्यान रखे कि आपकी लिखी गयी बातें इंसानों को समझ में आएं। वास्तविक मनुष्यों से पहले सर्च इंजन को प्राथमिकता न दें।
जब आप लिख रहे हों तो भूल जाइए कि Google और अन्य सर्च इंजन मौजूद हैं। और, ऐसा कंटेंट लिखिए जो किसी की मदद करे। इस तकनीक को SEO कॉपी राइटिंग के नाम से जाना जाता है।
इनबाउंड लिंक सर्च इंजन रैंकिंग में काफी हद तक मदद करत हैं। जब आप dofollow और nofollow Link को मिलाते हैं, तो आपको एक नेचुरल लिंक प्रोफ़ाइल मिलती है जिसे Google भी पुरस्कृत करेगा। यह कंटेंट मार्केटिंग का एक तरीका है जो उच्च गुणवत्ता वाला अच्छा कंटेंट होने पर ही काम करता है। यदि आपका कंटेंट अच्छा होगा तो लोग आपके आर्टिकल का लिंक अपने साइट पर जरूर शामिल करेंगे। इसके लिए केवल एक, दो घंटे नहीं बल्कि कई दिन लग सकते हैं।
अपने खोज इंजन ऑप्टिमाइज़ेशन लक्ष्यों (search engine optimization goals) को स्पष्ट रूप से परिभाषित करने के बाद, आपको यह ट्रैक करने के लिए सॉफ़्टवेयर की आवश्यकता है कि क्या काम कर रहा है और क्या नहीं। इसके लिए Google Analytics, Google Search Console और अन्य निजी वेब विश्लेषण सॉफ़्टवेयर समाधान (private web analytics software solutions) आपकी सफलता को ट्रैक करने में आपकी सहायता कर सकते हैं।
यह सबसे महत्वपूर्ण एसईओ टिप्स में से एक जिसे अधिकांश लोग अनदेखा कर देते हैं।
मेटा डिस्क्रिप्शन पहला स्टेप है जिसे लोग तब देखते हैं जब Google आपके पृष्ठ को उपयोगकर्ताओं के खोजने के समय प्रस्तुत करता है। आमतौर पर, सर्च इंजन को डुप्लिकेट कंटेंट पसंद नहीं होता है। हां, ऐसे समय होते हैं जब किसी अन्य साइट से एक पैराग्राफ या वाक्य का हवाला देने की आवश्यकता होती है तो उसके स्रोत को भी उसी के साथ लिंक करें। लेकिन अगर केवल डुप्लिकेट कंटेंट प्रकाशित करते हैं तो आपको सफलता मिलना लगभग असम्भव है। उसी तरह, डुप्लिकेट मेटा डिस्क्रिप्शन भी आपको परेशानी में डाल सकते हैं। एक अच्छा और ओरिजिनल मेटा डिस्क्रिप्शन आवश्यक होता है।
यदि उपयोगकर्ता आपके URL को पढ़ या समझ नहीं सकते हैं, तो खोज इंजन भी भ्रमित हो सकते हैं। भले ही यूआरएल लम्बा हो, लेकिन उपयोगकर्ताओं और सर्च इंजन दोनों के लिए इसे समझना आसान होना चाहिए। यूआरएल में शब्दों और डैश के अलावा किसी संख्या का उपयोग न करें। https://www.entrepreneur.com/article/87837 इस तरह के पेज यूआरएल बनाने से बचें।
सोशल मीडिया (Social media) एसईओ रणनीति का एक अभिन्न अंग है, इसीलिए सोशल सिग्नल्स महत्वपूर्ण हैं। यह सच है कि Google ने अपने रैंकिंग एल्गोरिथम फैक्टर्स में सोशल सिग्नल्स को नहीं जोड़ा है, लेकिन मैंने व्यक्तिगत रूप से देखा है कि सोशल सिग्नल्स खोज इंजन रैंकिंग को प्रभावित करते हैं।
कई केस स्टडी ने भी सर्च इंजन रैंकिंग पर सोशल शेयर, लाइक, ट्वीट और पिन के प्रभाव को साबित किया है।
अतः सोशल मीडिया का इस्तेमाल करके भी आप अपनी वेबसाइट पर ट्रैफिक बढ़ा सकते हैं।
उपयोगी सामग्री बनाएं जो आपके सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर साझा करने योग्य हो।
अपनी पोस्ट में शेयर बटन जोड़ें, जो लोगों को सामने से दिख सकें।
लोगों को आपके आर्टिकल साझा करने के लिए प्रोत्साहित करें।
अधिक शेयर प्राप्त करने के लिए सोशल मीडिया प्रतियोगिता होस्ट करें।
इमेज, सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन (search engine optimization) में महत्वपूर्ण हैं। Google ने अपने सर्च रिजल्ट्स का एक संपूर्ण भाग इमेज को समर्पित किया है। जब उपयोगकर्ता किसी विशेष छवि की तलाश में होते हैं, तो वे कैसे उस तस्वीर को गूगल में खोजते हैं?
उत्तर है, कीवर्ड के जरिये। इसीलिए, आपको इमेज के नाम और साथ वाले टेक्स्ट (जैसे कैप्शन) में सही कीवर्ड का उपयोग करना चाहिए।
एक डोमेन या वेब पेज का नाम भी एसईओ टिप्स में से एक है जिसे आपको ध्यान में रखना चाहिए। वास्तव में, यह आपके पेज की रैंकिंग के लिए महत्वपूर्ण है। इसलिए अपने डोमेन नाम को लगातार न बदलें। किसी एक को चुनें और उसके साथ बने रहें, जब तक कि बदलने का कोई बहुत अच्छा कारण न हो।
मुझे उम्मीद है कि आपको ये Best Seo Practices टिप्स मददगार लगे होंगे। यदि आप ऊपर दिए गए सुझावों का पालन करते हैं, तो आप उच्च रैंकिंग और अधिक ट्रैफ़िक प्राप्त कर सकेंगे।
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