क्रिकेट का इतिहास और इसके उदय में भारत की भूमिका

Share Us

6689
क्रिकेट का इतिहास और इसके उदय में भारत की भूमिका
18 Aug 2021
9 min read

Blog Post

क्रिकेट के इतिहास को लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं। इनमें से एक के अनुसार क्रिकेट का जन्म 16वीं शताब्दी में इंग्लैंड में हुआ था। अपने शुरुआती दौर में क्रिकेट केवल बच्चों के बीच की प्रचलित था, लेकिन 17वीं शताब्दी तक इसने वयस्कों में भी एक मजबूत पकड़ बना ली थी। चूंकि इस खेल का जन्म इंग्लैंड में हुआ था, इसलिए अंग्रेजों के शासन के साथ-साथ क्रिकेट भी अन्य देशों में फैलने लगा। वर्ष 1721 में ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा भारत में क्रिकेट की एंट्री हुई।

क्रिकेट के इतिहास को लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं। इनमें से एक के अनुसार क्रिकेट का जन्म 16वीं शताब्दी में इंग्लैंड में हुआ था। अपने शुरुआती दौर में क्रिकेट केवल बच्चों के बीच की प्रचलित था, लेकिन 17वीं शताब्दी तक इसने वयस्कों में भी एक मजबूत पकड़ बना ली थी। चूंकि इस खेल का जन्म इंग्लैंड में हुआ था, इसलिए अंग्रेजों के शासन के साथ-साथ क्रिकेट भी अन्य देशों में फैलने लगा। वर्ष 1721 में ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा भारत में क्रिकेट की एंट्री हुई। धीरे-धीरे भारत में भी क्रिकेट का वर्चस्व बढ़ता गया, और भारत के लोग इसे पसंद करने लगे। रणजीत सिंह भारत के पहले क्रिकेटर थे, भारत में खेली जाने वाली मशहूर रणजी ट्रॉफी का नाम भी रणजीत सिंह पर ही रखा गया है। 

भारतीय क्रिकेट का शुरुआती दौर बिल्कुल अच्छा नहीं था, भारत को अपना पहला टेस्ट मैच जीतने के लिए 20 साल का लंबा इंतजार करना पड़ा। गुलामी के दौर से गुजर रहे भारत के पास क्रिकेट खेलने के लिए ना तो अच्छी तकनीकि थी और ना ही अच्छे संसाधन। हालांकि ये तमाम बाधाएं भारतीयों के जुनून को रोकने में असफल रहीं। वर्ष 1947 में भारत की आजादी के बाद लोग क्रिकेट से जुड़ने लगे थे। विश्व के कई देशों में क्रिकेट परवान चढ़कर बोलने लगा था, इंग्लैंड और वेस्टइंडीज जैसी टीमों का इस खेल पर आधिपत्य था, जबकि भारतीय टीम अब भी क्रिकेट में अपना स्थान बनाने को लेकर संघर्ष कर रही थी। ऐसे में समय आया 1983 वर्ल्ड कप का। भारतीय टीम ने इस वर्ल्ड कप में अपने असाधारण प्रदर्शन से सबको हैरान कर दिया, और फाइनल में वेस्टइंडीज को हराकर 1983 वर्ल्डकप जीतकर क्रिकेट की दुनिया में भूचाल पैदा कर दिया। अब हर तरफ भारतीय क्रिकेट टीम की चर्चा थी। 

1983 वर्ल्ड कप जीत के बाद भारत में क्रिकेट का ग्राफ काफी तेजी से बढ़ा, और इसके बाद भारतीय टीम में सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड, युवराज सिंह और धोनी जैसे धुरंधरों की एंट्री हो चुकी थी। अब भारतीय टीम दुनिया की किसी भी टीम को हराने का दम रखती थी। 1983 वर्ल्डकप के बाद 2007 का वर्ल्डकप भी भारत के लिए काफी अहम रहा। इसी टूर्नामेंट में युवराज सिंह ने दुनिया के महानतम गेंदबाज स्टुअर्ट ब्रॉड को छह गेंदों पर छह छक्के जड़कर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। भारत ने यह वर्ल्डकप भी अपने नाम किया। 

भारत ने एक बार फिर 2011 के वर्ल्डकप में अपने प्रदर्शन को दोहराया, और देश को एक और वर्ल्डकप जिताकर देश का मान बढ़ाया। अब क्रिकेट में विश्व पटल भारत का नाम बड़े सम्मान के साथ लिया जाने लगा। खेल के रूप में शुरू होने वाला क्रिकेट अब लोगों की भावना में बदल गया था। इस दौर के बाद भारतीय टीम ने काभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। आज के समय में भारतीय टीम क्रिकेट के तीनों प्रारूपों में श्रेष्ठतम टीमों में से एक है। भारत के क्रिकेट के प्रति अपार प्रेम को देखते हुए आईपीएल की शुरुआत की गई। इस लीग में देश-विदेश के तमाम क्रिकेट खिलाड़ी हिस्सा लेते हैं। इस लीग के जरिए देश के कई युवा खिलाड़ियों को अनुभवी खिलाड़ियों के साथ खेलने और समय बिताने का मौका मिलता है। इसे विश्व की सबसे कठिन टी20 लीग्स में गिना जाता है। भारत के कई प्रसिद्ध क्रिकेट खिलाड़ियों ने इसी लीग के जरिए चयनकर्ताओं को प्रभावित कर राष्ट्रीय टीम में जगह बनाई है। आज के समय में भारतीय टीम की बेंच स्ट्रेंथ इतनी मजबूत है कि भारतीय टीम एक साथ दो टीमों के साथ खेल सकती है। भारतीय क्रिकेट को नियंत्रित करने वाली संस्था ‘भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड’ (बीसीसीआई) विश्व के सबसे अमीर क्रिकेट बोर्डस में से एक है। बीसीसीआई ने सही तरीके से भारतीय क्रिकेट को नियंत्रित कर उसे विश्व क्रिकेट में एक अहम स्थान और पहचान दिलाने में एक अहम भूमिका निभाई है।