महिलाएं – जिन्होंने लिखी सफलता की नयी परिभाषा
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महिलाओं ने अपनी मेहनत से, संघर्ष करते हुए अपने लिए एक ऐसी दुनिया का निर्माण किया है जहां पर आज वो खुल कर अपनी सफलता की कहानियों को बयां भी कर पाती हैं तथा अन्य लोगों को यह भी बता पाती हैं कि उन्हें क्या करना चाहिए और क्या नहीं। महिलाओं के अन्दर उत्पन्न होता यह आत्मविश्वास देश को सफलता की उस बुलंदी तक लेकर जाएगा, जहां पर हर महिला एक सफल उद्यमी होगी।
महिलाएं – जिन्होंने लिखी सफलता की नयी परिभाषा
प्राचीन काल से लेकर आधुनिक समय में दुनिया ने अपने सामने कई बदलाव देखे हैं। कुदरत ने नियम ही कुछ ऐसा बनाया है कि संसार में बदलाव ही सबसे अटल है। प्राचीन काल से चली आ रही विचारधारा भी बदलते समय के साथ लोगों के मन में बदलती गई। कई पुराने नियमों का अन्त हुआ तो कुछ नए नियमों का जन्म। पुरानी विचारधाराओं की शिला को तोड़ते हुए उसके स्थान पर नए विचारधारा की आधारशिला रखी गई। दुनिया में समाज को चलाने के लिए हमेसा ही कुछ नियम बनाए गए। भारत देश में समाज के नियमों को चलाने के लिए दो आधारों के लिए भी अलग-अलग नियम बनाए गए। स्त्री-पुरूष समाज के वो दो पहलू हैं जिनके लिए ही समाज के सारे नियमों का निर्माण किया गया है। पुराने समय में महिलाओं और पुरूषों के लिए तो यह भी निर्धारित था कि कौन सा काम किसके लिए उचित है। जहां पुरूषों के लिए यह सुनिश्चित था कि वो घर के बाहर का सारा काम संभालेंगे वहीं महिलाओं के लिए घर के सारे कामों का दारोमदार था। इसके लिए कभी किसी दिमागी ताकत का परीक्षण किया ही नहीं गया। लिंगों के आधार पर काम को दो वर्गों में बांट दिया गया। बदलाव ही प्रकृति का नियम है और समय के रास्ते में इस नियम में भी बदलाव हुआ। आज वह दौर है जब काम लिंगों की भाषा नहीं केवल काबिलियत की भाषा समझती है।
महिलाओं की क्षमता ने दिया अर्थव्यवस्था को नया रूप
पुराने समय से ही इस बात को माना जाता रहा है कि महिलाएं घर के बाहर का काम करने में सक्षम नहीं हैं। हालांकि उस समय में भी अनेक महिलाओं ने अपने काबिलियत के दम पर कई बार यह सिद्ध किया कि वे प्रत्येक काम को करने में सक्षम है। परन्तु उस समय यह काबिलियत खुद को समाज में स्थापित नहीं कर पाई। शायद समाज को वो मान्य नहीं था। परन्तु आज वो समय आ गया है जब महिलाएं ना केवल खुद को साबित कर रहीं हैं बल्कि पुरूषों के साथ कदम मिलाकर समाज को नई दिशा भी दे रही हैं। भारत ऐसी कई महिलाओं के हुनर का साक्षी रहा है जिसने देश को बढ़ती अर्थव्यवस्था सुधार की नयी चादर से ढ़कने का काम किया। महिलाओं ने अपने दम पर भारत की अर्थव्यवस्था को नया रूप दिया और समाज में महिलाओं की स्थिती को और भी बेहतर करने का काम किया।
इन्दू जैन - आध्यात्म और उद्योग दोनों में ही समृद्ध
इन्दू जैन उद्योग जगत की वह शख्सियत जिनके नाम से उद्योग क्षेत्र का कोई भी इन्सान अपरिचित नहीं होगा। देश के सबसे बड़े मीडिया ग्रुप बेनेट, कोलमैन एंड कंपनी लिमिटेड, जिसके अन्तर्गत टाइम्स ऑफ इंडिया जैसे न्यूज पेपर आते हैं, की चेयरपर्सन इन्दू जैन अध्यात्मिक जीवन जीने वाली वो महिला हैं, जिन्होंने उद्योग जगत में अपनी भागेदारी से मीडिया क्षेत्र को और भी समृद्ध किया। इन्हें इनके योगदान के लिए 2016 में पद्म श्री से सम्मानित भी किया गया। इन्दू जैन ने उस क्षेत्र में खुद को इतने ऊंचे पद पर स्थापित किया जिसे महिलाओं के नौकरी के लिए भी सही क्षेत्र नहीं बताया जाता है। इन्होनें अपने दृढ़ संकल्प से सबको यह समझा दिया कि सरल रह कर भी महिलाएं उद्योग जगत की समृद्धि का कारण सकती हैं।
चन्दा कोचर – इनके मार्गदर्शन ने दिया बैंक को नया मुकाम
आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व एमडी चन्दा कोचर ने जब 1984 में इस बैंक में एक मैनेजमेंट ट्रेनी के तौर पर आई तो कभी किसी ने इसकी कल्पना भी नहीं की होगी कि एक दिन चन्दा कोचर आईसीआईसीआई बैंक की एमडी का पद संभालेंगी। इनके मार्गदर्शन में बैंक ने सफलता की नयी कहानी लिखी, इनके मार्गदर्शन में ही रिटेल क्षेत्र में यह देश का सबसे बड़ा बैंक बन गया। अपने 24 घंटे के काम में इन्होंने एक बार भी आलस नहीं किया और अपने परिवार के साथ देश के इतने बड़े बैंक की भी कमान संभाली तथा सफलता का रास्ता दिखाया। चन्दा कोचर कॉर्पोरेट क्षेत्र में कुछ करने वाली महिलाओं के लिए सबसे बड़ी प्रेरणा हैं।
वंदना लूथरा – आलोचनाओं से भी नहीं डगमगाए कदम
यह नाम तो देश की हर महिला को पसन्द होगा ही और पसन्द भी क्यों ना हो, सौन्दर्य के शहर में इन्होंने अपना सबसे मजबूत और खुबसूरत घर जो बनाया है। वंदना लूथरा ने वीएलसीसी को पूरे विश्व में एक ब्रांड के रुप स्थापित किया। आज बाहर के देशों में भी इनकी कंपनी के उत्पादों की मांग होती है। फोर्ब्स 2016 में एशिया में 50 महिलाओं में से 26 रैंक के साथ इन्होंने एक सफल व्यवसायिक महिला होने का खिताब अपने नाम दर्ज किया। वंदना लूथरा का कहना हैं कि जब इन्होंने अपना काम शुरू किया था तब इंटरप्रिन्योर्शिप में महिलाओं की बहुत ही कम भागेदारी थी और इन्हें इनके काम के लिए आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा। परन्तु इन्होंने अपना रास्ता नहीं बदला जिसका नतीजा आज पूरी दुनिया देख रही है। इनका मानना है कि महिलाओं में मार्गदर्शन करने की अद्भुत क्षमता होती है। वंदना लूथरा का दृढ़ संकल्प प्रत्येक महिला को कुछ कर दिखाने के लिए उत्साहित करता है।
श्रद्धा शर्मा – कहानियों से ही लिखी अपनी कहानी
श्रद्धा शर्मा वो नाम है जिसने अपनी कंपनी योरस्टोरी के माध्यम से दुनिया को यह एहसास कराया कि उद्यमी क्षेत्र से संबंधित कहानियों को लोगों तक पहुंचाना कितना आवश्यक है। इसी के माध्यम से लोगों को उद्योग जगत के प्रति जागरूक किया जा सकता है। आज इनकी कंपनी देश की सबसे बड़ी स्टोरी टेलर कंपनी है। यह मुकाम इनको एक दिन में हांसिल नहीं हुआ। इसके लिए श्रद्धा शर्मा को सालों तक मेहनत करनी पड़ी, जिसमें सीएनबीसी जैसी कंपनी से नौकरी छोड़ने के बाद इन्हें लोगों के दोहरे व्यवहार का भी सामना करना पड़ा। परन्तु इनके धैर्य और मेहनत ने आखिरकार इन्हें सफलता का चेहरा दिखा दिया। श्रद्धा शर्मा की कहानी महिलाओं को बहुत कुछ सीखाती है।
एकता कपूर – काबिलियत से बनी टेलीविजन की क्वीन
टेलीविजन की दुनिया की क्वीन कही जाने वाली इस महिला ने अपनी काबिलियत से ना केवल अपने लिए बल्कि देश के कई लोगों के लिए रोजगार का दरवाजा खोला। इनके निर्देशन में बनी कई फिल्मों और सीरियलों ने देश के कई अवॉर्ड अपने नाम किए। इनके लिए कहा जाता है कि टेलीविजन की दुनिया में इनका मुकाबला कोई नहीं कर पाता है। यह मुकाम इन्होंने अपने दम पर हांसिल किया। इनके निर्देशन में चल रहे प्रोजेक्ट्स आज भी ना केवल लोगों का मनोरंजन कर रहे बल्कि अर्थव्यवस्था में भी अहम रोल निभा रहे। एकता कपूर की सफलता ने इस क्षेत्र में महिलाओं को अपना हुनर दिखाने का मौका दिया है।
ऐसी कई अन्य महिलाओं ने देश की अर्थव्यवस्था को स्थिर करने में अपना योगदान दिया है और दे रही हैं। आज हम उस दौर में जी रहे हैं जहां पर हर महिला को सोचने, समझने और कुछ करने की आजादी है। जहां पर हर महिला खुद के लिए और अपने समाज के लिए कुछ करने लिए सदैव तत्पर है।
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