सामाजिक असमानता बना अभिशाप

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सामाजिक असमानता बना अभिशाप
02 Dec 2021
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विश्व एड्स दिवस 2021 world aids day विज्ञान उपलब्धियों पर जश्न मनाएगा, जबकि इस दिन को TGNC के द्वारा किये बलिदानों के लिए सम्मान, नेतृत्व और जीत के रूप में देखा जाना चाहिए। इतिहास को याद रख कर, हमें उन सभी दबी हुई आवाज़ों की ताकत को महसूस करना चाहिए और उनके उस प्रयास को सार्थक बनाना चाहिए। हमें उन सभी रूढ़िवादी सोच, जो भेद-भाव की मानसिकता को पाल रहे हैं उन्हें मार्गदर्शन देने की आवश्यकता है।

आज हम आधुनिक युग में जी रहे हैं जहाँ हमने बहुत सी रूढ़िवादी सोच को दर किनार कर दिया है। हम अब उन सभी चीजों पर अपनी खुली सोच को प्रदर्शित कर रहे हैं और सोचने के तरीकों में भी परिवर्तन कर रहे हैं। अब हम अपने विचारों को दूसरों पर थोपते नहीं क्योंकि 6 को उल्टा कर देने से वह 9 बन जाता है। उसी तरह अपनी सोच को बदलने से हम अन्य विचारों को जन्म देते हैं जो शायद हमें और आधुनिकता की और खींचता है। 

इसी तरह एड्स बीमारी है, जो पूरी दुनिया में साइलेंट कोहराम मचा रही है। इस बिमारी से  28.9 million से  41.5 million लोगों की मृत्य हो चुकी है। worldwide, और 36.7 million लोग HIV human immunodeficiency virus बीमारी से अभी तक ग्रसित हैं।  

एचआईवी/एड्स के उपचार में बहुत प्रगति हुई है, लेकिन 1980 और 90 के दशक के दौरान देखी गयी समाजिक असमानता के उस भय, उदासी और एकजुटता को याद रखना महत्वपूर्ण है। विश्व एड्स दिवस 2021 के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) ने "Equitable Access, Everyone’s Voice.” विषय को अपनाया है। लेकिन ऐतिहासिक रूप से, एचआईवी के खिलाफ लड़ाई में "सबकी आवाज" हमेशा नहीं सुनी गई है। 

हाल ही में एक ड्रामा पोज़ Pose, ने महामारी के पहले के दशकों से उन कुछ दबी आवाज़ों पर ज़ोर दिया है। इस ड्रामा में लगता है कि LGBTQ समुदाय और मुख्यधारा के समाज के कई सदस्यों ने न्यूयॉर्क शहर में 80 और 90 के दशक के दौरान ब्लैक BLACK, LATIN , समलैंगिक Gay और ट्रांस transgender समुदाय द्वारा बॉलरूम दृश्य ballroom scene  के नाटकीयकरण dramatic किया है। जो उस समय ब्लैक black रंग, ट्रांस या लिंग गैर-अनुरूपता (TGNC ) जैसे समुदाय के लोगों के साथ हुए भेद-भाव को उजागर कर रहा है जो भेद-भाव के कारण  CDC report  प्रारंभिक एचआईवी/एड्स रोकथाम और उपचार प्रयासों से वंचित रहे हैं।

सोशल जस्टिस न होने के चलते स्वास्थ्य विभाग में लिंग संबंधी असमानताओं के कारण हम इस बीमारी से आज तक निजात नहीं पा सके हैं। racism; heterosexuality and homosexuality; harassment and discrimination; stigma; and competence and other "isms." के कारण हम अपनी रूढ़िवादी सोच को खुले आसमान में आज़ाद होने देते हैं। कहते है कि किसी पक्षी को एक पिजड़े में रखने से उसकी दुनिया बस पिंजड़े तक सीमित हो जाती है। लेकिन अगर उसे खुला आसमान दिया जाये तभी वह अपने विचारों के पर को पूरी तरह से खोल पायेगा।   

पोज़ pose उसी  होमोफोबिया जैसी नकारात्मक सोच को दर्शाता है जो वैश्विक एड्स महामारी को समाप्त करने में एक प्रमुख बाधा बना हुआ है। वैश्विक एचआईवी महामारी हमेशा एलजीबीटी लोगों, विशेष रूप से BLACK पुरुषों के साथ यौन संबंध रखने वाले BLACK पुरुषों के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण से जुड़ी हुई है। (एक समूह जो विशेष रूप से एचआईवी और एड्स से प्रभावित है)

एचआईवी महामारी की शुरुआत में, कई देशों में समलैंगिक पुरुषों और पुरुषों के साथ यौन संबंध रखने वाले अन्य पुरुषों के साथ अक्सर दुर्व्यवहार के लिए चुना जाता था क्योंकि उन्हें एचआईवी के संक्रमण के लिए जिम्मेदार माना जाता था। सनसनीखेज खबरों ने समलैंगिकता से ग्रस्त इस दृष्टिकोण को हवा दी। "समलैंगिक प्लेग PLAG पर चेतावनी" और "समलैंगिक प्लेग" जैसी सुर्खियों से लोगों के भीतर नकारात्मक विचार उत्पन्न करने में मीडिया ने अहम भूमिका निभाई।

एलजीबीटी लोगों को चुनौतियों और बाधाओं का सामना करना पड़ता है, जिसमें हिंसा, मानवाधिकार उल्लंघन Human Right Violation और भेदभाव शामिल हैं। समान-लिंग के साथ संबंध बनाने को अपराध माना जाता है, दूसरे लिंग के पहनावे को अपनाना भी अपराध माना जाता है। भेदभाव के कारण एलजीबीटी लोगों को महत्वपूर्ण एचआईवी रोकथाम, परीक्षण और उपचार और देखभाल सेवाओं तक पहुंचने से रोकते हैं। नतीजतन, कुछ एलजीबीटी लोग अनजाने में एचआईवी के साथ जी रहे हैं या देर से निदान किया जा रहा है जब एचआईवी का इलाज करना कठिन होता है। 

जबकि हमें पता है कि विश्व एड्स दिवस 2021 world aids day विज्ञान उपलब्धियों पर जश्न मनाएगा, जबकि इस TGNC दिन को  के द्वारा किये बलिदानों के लिए सम्मान, नेतृत्व और जीत के रूप में देखा जाना चाहिए। इतिहास को याद रख कर, हमें उन सभी दबी हुई आवाज़ों की ताकत को महसूस करना चाहिए और उनके उस प्रयास को सार्थक बनाना चाहिए। हमें उन सभी रूढ़िवादी सोच, जो भेद-भाव की मानसिकता को पाल रहे हैं उन्हें मार्गदर्शन देने की आवश्यकता है।