आत्मनिर्भर भारत अभियान से आत्मनिर्भर बनेगा भारत
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भारत को आत्मनिर्भर बनाने से पहले हमें लोकल फॉर वोकल के सिद्धांत को अपनाना होगा। हमें ब्रांड्स के पीछे ना भागकर ज्यादा से ज्यादा लोकल चीजों का इस्तेमाल करना होगा। हमें यह नहीं भूलना चाहिए की आज के मशहूर ब्रांड्स ने अपने शुरुआती दौर में एक लोकल प्रोडक्ट के तौर पर ही शुरुआत की थी।
आत्मनिर्भर का अर्थ है 'स्वयं पर निर्भर रहना'। मनुष्य हो या राष्ट्र उसका आत्मनिर्भर होना आवश्यक है। दूसरे पर निर्भर व्यक्ति या राष्ट्र की तरक्की भी दूसरे ही तय करते हैं। आत्मनिर्भर व्यक्ति और समाज ही निरंतर आगे बढ़ सकता है। हमारे भारत देश ने भी अब आत्मनिर्भर भारत की दिशा में अपना पहला कदम बढ़ा दिया है। एक देश के नजरिए से यह काफी महत्वपूर्ण कदम है। इससे भारत खुद अपनी सफलता की कहानी लिख सकता है। भारत ने 13 मई 2020 को आत्मनिर्भर भारत की ओर अपना पहला कदम बढ़ाया। इस दिन भारत के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी ने अपने आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को देशवासियों के सामने रखा।
भारत ने जब आत्मनिर्भरता का संकल्प लिया तब परिस्थितियां हमारे बिल्कुल भी अनुकूल नहीं थीं। पूरा विश्व उस समय कोरोना नामक महामारी के खिलाफ जंग लड़ रहा था। दुनिया के सभी देश बेबस होकर एक दूसरे से मदद की उम्मीद में थे, लेकिन भारत ने स्थिति को सही समय पर भांप लिया, और किसी से मदद की उम्मीद करने के बजाय आत्मनिर्भरता का प्रण लिया। विश्व में चिकित्सा क्षेत्र का सबसे बड़ा उत्पादक भारत कोरोना के खिलाफ खुद से अपनी जंग लड़ने लगा। इस संकल्प के कुछ ही दिनों बाद से इसके सकारात्मक परिणाम दिखने लगे। कोरोना से खुद को बचाने के लिए स्वास्थ्य कर्मियों को पीपीई किट की आवश्यकता थी। लेकिन उस समय कोरोना के कारण किसी और देश से इसके मिलने की उम्मीद भी नहीं थी। भारत ने बिना समय गंवाए पीपीई किट का उत्पादन शुरू किया और कुछ ही दिनों बाद भारत में प्रति दिन लाखों पीपीई किट का उत्पादन होने लगा।
भारत में वेंटिलेटर्स का उत्पादन नहीं होता था, क्योंकि यह काफी महंगा उपकरण है। लेकिन कोरोना जैसी महामारी को हराने के लिए देश ने कम लागत और उच्चतम गुणवत्ता वाले वेंटिलेटर्स का उत्पादन भी किया। खुद इस मुश्किल परिस्थिति से घिरे होने के बाद भी अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन जैसे विकसित और सर्वसंपन्न देशों को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन नामक दवा भी पहुंचाई। इस मुश्किल समय में भारत ने खुद की कोरोना वैक्सीन भी बनाई और उसे भी दुनिया के कई देशों में सप्लाई किया और लोगों की जान बचाई।
आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने के लिए देश को पांच मुख्य बिंदुओं पर काम करना होगा-
अर्थव्यवस्था- भारत को आत्मनिर्भर बनाने का मतलब है दुनिया के 135 करोड़ से ज्यादा लोगों को आत्मनिर्भर बनाना। इसके लिए अर्थव्यवस्था का मजबूत होना बेहद आवश्यक है।
आधारभूत संरचना- भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए आधारभूत संरचना में भी व्यापक सुधार लाना होगा। इसके लिए देश की आधारभूत संरचना को आधुनिक बनाना होगा।
प्रौद्योगिकी- किसी भी देश के विकास में प्रौद्योगिकी का बेहतर होना अवश्यंभावी है। भारत को हर क्षेत्र में बेहतर प्रौद्योगिकी का उपयोग करना चाहिए।
जनसांख्यिकी- भारत में 65 प्रतिशत से ज्यादा युवा है, ऐसे में यदि देश के युवा इसमें दिलचस्पी दिखाते हैं, तो यह हमारे संकल्प सिद्धि की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
डिमांड- दुनिया के सभी देशों के लिए भारत शुरू से ही एक बड़ा बाजार बनकर उभरा है। हमारे देश में 135 करोड़ से ज्यादा की जनसंख्या है, और इतनी बड़ी जनसंख्या होने के नाते हमारे देश में डिमांड की कोई कमी नहीं है।
पिछले कुछ समय में भारत ने कई क्षेत्रों में आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को ध्यान में रखते हुए भी काम किया है। इसमें सबसे बड़ी भूमिका भारत के रक्षा मंत्रालय की है। भारतीय रक्षा मंत्रालय अब रक्षा कार्यों से जुड़े उपकरणों को ज्यादा से ज्यादा भारत में बनाने की लगातार कोशिश की है। भारतीय सेना अब भारत में बने हथियारों का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल भी कर रही है।
भारत को आत्मनिर्भर बनने से पहले हमें लोकल फॉर वोकल के सिद्धांत को अपनाना होगा। हमें ब्रांड्स के पीछे ना भागकर ज्यादा से ज्यादा लोकल चीजों का इस्तेमाल करना होगा। हमें यह नहीं भूलना चाहिए की आज के मशहूर ब्रांड्स ने अपने शुरुआती दौर में एक लोकल प्रोडक्ट के तौर पर ही शुरुआत की थी। हमें लोकल को ब्रांड बनाने पर ज्यादा जोर देना होगा।
भारत के आत्मनिर्भर बनने का यह मतलब नहीं कि हम दूसरे देशों से आयात-निर्यात सब बंद कर दें। आत्मनिर्भर भारत वैश्विकीकरण के खिलाफ नहीं है, बल्कि वैश्विकीकरण की दिशा में भारत का एक महत्वपूर्ण कदम है। भारत के आत्मनिर्भर होने से दूसरे देशों को भी फायदा मिलेगा। एक आत्मनिर्भर देश ही एक आत्मनिर्भर विश्व का निर्माण कर सकता है।
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