ग्लोबल वार्मिंग के कारण

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ग्लोबल वार्मिंग के कारण
13 Jul 2023
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यह बात तो हम सब जानते हैं कि पृथ्वी का बढ़ता तापमान जानवर, प्रत्येक मनुष्य और वन्य जीवन यानी कि पृथ्वी के हर जीवित जीव को प्रभावित करता है। कहीं ग्लेशियर्स पिघल रहे हैं तो कहीं पानी नहीं है, कहीं बाढ़ की समस्या है तो कहीं सूखे की समस्या है और ऐसा नहीं है कि हम सब इससे अंजान हैं।

हम सब ये बात अच्छे से जानते हैं कि यह सब ग्लोबल वार्मिंग global warming की वजह से हो रहा है। 

ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से आज कोई भी अनजान नहीं है लेकिन इसके बावजूद भी कोई इसके कारणों के बारे में जानने की कोशिश नहीं करता है आज हमारी पृथ्वी पर तापमान लगातार बढ़ रहा है। इस समस्या से सम्पूर्ण विश्व परेशान है और चिंतित भी। हम सबको मिलकर इस समस्या को दूर करने के लिए कदम उठाना होगा।

"हमारे ग्रह के लिए सबसे बड़ा खतरा यह विश्वास है कि कोई और इसे बचाएगा।" - रॉबर्ट स्वान

इसके लिए हमें सबसे पहले ग्लोबल वार्मिंग के कारणों को जानना व समझना होगा। ग्लोबल वार्मिंग धरती के साथ-साथ इंसानों के लिए भी बेहद हानिकारक है।

अगर समय रहते हम लोग सचेत नहीं हुए तो फिर इसके घातक परिणाम हम सबको झेलने पड़ेंगे इसलिए ग्लोबल वार्मिंग के कारणों reasons of global warming के बारे में जानना अत्यंत आवश्यक हो गया है।

ग्लोबल वार्मिंग global-warming एक ऐसा शब्द है जिससे लगभग हर कोई परिचित है। लेकिन इसका अर्थ अभी भी हममें से ज्यादातर लोगों के लिए स्पष्ट नहीं है। हम लोग अभी भी इस शब्द की अनदेखी कर रहे हैं। हम इसके घातक परिणामों से अनजान हैं। क्योंकि अगर इसी तरह चलता रहा तो एक दिन मनुष्य को इसका भारी नुकसान झेलने के लिए तैयार रहना पड़ेगा।

अब समय आ गया है कि हम सब लोग ग्लोबल वार्मिंग के कारणों reasons of global warming के बारे में जानें और इसका समाधान करने की कोशिश करें। ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित करना काफी चुनौतीपूर्ण है लेकिन असंभव नहीं।

यदि हम सब मिलकर एक छोटी सी पहल करना शुरू कर दें तो हम ग्लोबल वार्मिंग को रोकने में मदद कर सकते हैं और इस धरती को जीने लायक बना सकते हैं। 

यह बात तो हम सब जानते हैं कि पृथ्वी का बढ़ता तापमान जानवर, प्रत्येक मनुष्य और वन्य जीवन यानी कि पृथ्वी के हर जीवित जीव को प्रभावित करता है। कहीं ग्लेशियर्स पिघल रहे हैं तो कहीं पानी नहीं है, कहीं बाढ़ की समस्या है तो कहीं सूखे की समस्या है और ऐसा नहीं है कि हम सब इससे अंजान हैं।

हम सब ये बात अच्छे से जानते हैं कि यह सब ग्लोबल वार्मिंग की वजह से हो रहा है।

भले ही हम सब इसे कितना भी इग्नोर कर लें लेकिन हम सब जानते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग के लिए हम इंसानों को छोड़कर किसी और को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।

परिवहन, वनों की कटाई deforestation, बिजली संयंत्रों से निकलने वाली जहरीली गैसें, और अन्य मानवीय गतिविधियों के कारण वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड carbon dioxide, सीएफ़सी और अन्य प्रदूषकों जैसी गैसों में तेज़ी से वृद्धि हुई है।

ऐसा हो सकता है कि इसमें आपका ज्यादा योगदान ना हो लेकिन ग्लोबल वार्मिंग जैसी चीजों की शुरुआत पृथ्वी पर रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति के छोटे-छोटे कदमों से ही होती है। हम सब खुद की लाइफ को एंजॉय करने में इतने व्यस्त हो गए कि हमें ये भी ख्याल नहीं रहा कि हमें आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बेहतर कल का निर्माण करना है।

हम सब छोटी-छोटी शुरुआत से कुछ बड़े बदलाव ला सकते थे लेकिन हमने इस विषय पर बिलकुल ध्यान ही नहीं दिया और नतीजा आज हम सबके सामने है। अगर आज भी हम सब ठान लें कि वर्तमान की स्तिथि को नियंत्रित करना है ताकि आने वाली पीढ़ी भी खुशी से इस पृथ्वी पर रह पाए तो हमें आज से ही अपने जीवन में कुछ बड़े बदलाव लाने पड़ेंगे। 

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क्या है ग्लोबल वार्मिंग What is global warming

जिस तरह प्राक्रतिक आपदा natural disaster से काफी नुकसान होता है और काफी जन-धन की हानि होती है। बिल्कुल उसी तरह, ग्लोबल वार्मिंग एक ऐसी आपदा है, जिसका प्रभाव बहुत धीरे-धीरे होता है। ग्लोबल वार्मिंग का नुकसान एक ऐसा नुकसान है जिसकी भरपाई शायद कभी  नहीं हो सकती है।

"वैश्विक तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है।"

ग्लोबल वार्मिंग को सामान्य भाषा में जानने की कोशिश करें तो, भूमंडलीय तापमान global temperature मे वृद्धि होना ही ग्लोबल वार्मिंग है। ऐसी कई गतिविधियां हैं जिससे तापमान बढ़ रहा है। प्रदूषण के कारण ओजोन पर्त मे एक छेद hole in the ozone layer हो चुका है। greenhouse gases के असंतुलन के कारण ही ग्लोबल वार्मिंग हो रही है।

पराबैगनी किरणें ultraviolet rays सीधे पृथ्वी पर आती है। इस कारण से अत्यधिक गर्मी बढ़ने लगी है और ग्लोबल वार्मिंग हमारे हिम ग्लेशियरों को तेजी से पिघला रहा है। ग्लोबल वार्मिंग के समाधान के लिए हमें पर्यावरण को बचाना होगा तभी हमारी पृथ्वी सुरक्षित रह सकती है।

इसके लिए हमें जरुरत के हिसाब से बिजली का उपयोग करना चाहिए। अधिक से अधिक पेड़ों को लगाना चाहिए एवं वनों की कटाई deforestation को रोकना चाहिए। सार्वजनिक परिवहन public transport का उपयोग करें, रीसाइक्लिंग recycling  की ओर भी ध्यान दें और जल की बर्बादी न करें। 

"1880 के बाद से समुद्र का स्तर 8 इंच बढ़ गया है।"

ग्लोबल वार्मिंग के कारण Reasons Of Global Warming

यह तो हम सब जानते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग आज एक गंभीर समस्या बन चुकी है। अब इस पर पूरी तरह ध्यान केंद्रित करने की जरुरत है। क्योंकि ग्लोबल वार्मिंग का एक कारण नहीं बल्कि अनेक कारण हैं। हमें इन कारणों को भलीभांति समझना होगा। तभी जाकर हम इस समस्या को दूर करने की कोशिश कर सकते हैं। इसके मुख्य दो कारण हैं -

1. प्राकृतिक कारण Natural Causes

प्राकृतिक कारणों में ग्रीनहाउस गैस greenhouse-gases, ज्वालामुखी विस्फोट, मीथेन गैस और बहुत कुछ शामिल हैं।

  • जंगल की आग

प्रकृति द्वारा वनों की कटाई ग्लोबल वार्मिंग का एक अन्य प्रमुख कारण है। प्राकृतिक जंगल की आग को आम तौर पर समाचारों पर प्रसारित किया जाता है, जो पहाड़ के घरों और समुदायों की तबाही को दर्शाता है। जबकि यह नुकसान दुखद है, इन प्राकृतिक रूप से होने वाली जंगल की आग के प्रभाव पृथ्वी की हवा के लिए एक समस्या पैदा करते हैं।

  • पर्माफ्रॉस permafrost

जब जमी हुई मिट्टी, जो उत्तरी गोलार्ध का लगभग 25% हिस्सा है, बढ़ जाती है, तो यह कार्बन और मीथेन गैसों में रहती है। इसलिए, जब आप सोच रहे होंगे कि यह ग्लोबल वार्मिंग कैसे हो सकता है जब आप अभी भी तिब्बत में ठंड में हैं, पर्माफ्रॉस्ट वास्तव में कार्बन को पृथ्वी के वायुमंडल में लीक कर रहा है।

जबकि वैज्ञानिक इन गैसों को उत्सर्जित करने से पर्माफ्रॉस्ट को नहीं रोक सकते हैं, पृथ्वी की बर्फ की टोपियां अविश्वसनीय रूप से तेज गति से पिघल रही हैं, जो चिंता का कारण हैं।

  • सनस्पॉट

पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (ईपीए) के अनुसार, सनस्पॉट वैश्विक तापमान बढ़ा रहे हैं। सनस्पॉट सौर प्लाज्मा के पारित होने को प्रतिबंधित करते हैं, जो बदले में विकिरण छोड़ते हैं। विकिरण एक बुरी चीज है। वे पृथ्वी के वायुमंडल में जाने वाली ऊर्जा को बदल सकते हैं और इस प्रकार जलवायु के तापमान में वृद्धि कर सकते हैं।

हालाँकि, सौर फ्लेयर्स लाखों वर्षों से स्वाभाविक रूप से घटित होने वाली घटना है। यदि इसके लिए केवल सौर धब्बे और सौर ज्वालाएँ ही जिम्मेदार होतीं, तो दुनिया का हाल ही में बढ़ा हुआ तापमान मुश्किल से ही बढ़ता।

2. मानव निर्मित कारण Manmade Cause

इसके अलावा मानव निर्मित man made कारणों में वनों की कटाई, खनन, मवेशी पालन, जीवाश्म ईंधन जलाना आदि हैं। यही खनन और पशु पालन जैसी गतिविधियाँ भी पर्यावरण के लिए बहुत हानिकारक हैं। ग्रीनहाउस गैसों greenhouse gas के कारण तापमान में वृद्धि हो रही है। ग्रीनहाउस गैसों से बना एक आवरण cover है जो कि, पृथ्वी पर सुरक्षा पर्त protection layer की तरह काम करता है और इसके असंतुलित होते ही ग्लोबल वार्मिंग समस्या हो जाती है।

"97% जलवायु वैज्ञानिक इस बात से सहमत हैं कि जलवायु परिवर्तन मानवीय गतिविधियों के कारण होता है।"

ज्वालामुखी विस्फोट volcanic eruptions भी ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार हैं। क्योंकि ज्वालामुखी विस्फोट volcanic eruptions में बहुत मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड Carbon dioxide निकलती है, जिससे ये भी एक ग्लोबल वार्मिंग का कारण है। ठीक इसी तरह, मीथेन methane भी ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार है। इसके अलावा ऑटोमोबाइल automobile और जीवाश्म ईंधन fossil fuel का अत्यधिक उपयोग भी ग्लोबल वार्मिंग का कारण है।

आज के समय में ग्लोबल वार्मिंग का जो सबसे बड़ा कारण है वह यह है कि निरंतर वनों की कटाई हो रही है और इस वजह से कार्बन डाइऑक्साइड के अवशोषण का स्रोत भी खत्म हो जायेगा। आधुनिकीकरण modernization के कारण, पेड़ो की कटाई से गावों का शहरीकरण मे बदलाव हो रहा है जो कि बहुत ही चिंताजनक कारण है। इसके अलावा ग्लोबल वार्मिंग का सबसे बड़ा कारण प्रदूषण pollution भी है।

प्रदूषण बढ़ने के कारण कार्बनडाईआक्साइड की मात्रा बढ़ रही है। हम खुली हवा में भी साँस नहीं ले पा रहे हैं। इसका असर हम सबको आज दिख भी रहा है। अभी सरकार ने प्रदूषण के चलते स्कूल और अन्य कई चीज़ों को बंद कर रखा है। पर ये इसका समाधान नहीं है। इसके लिए सरकार को कुछ ठोस कदम उठाने चाहिए। इस तरह से ऐसे बहुत से कारण हैं ग्लोबल वार्मिंग बढ़ने के।

पृथ्वी में हर चीज एक दूसरे से जुड़ी हुई होती है। अगर हम इस प्रकृति से छेड़छाड़ करते हैं तो पृथ्वी का पूरा संतुलन तहस-नहस हो जाता है। इस असंतुलन के कारण अधिक वर्षा, गर्मी, व ठण्ड पड़ने लगी है या सुखा रहने लगा है। हमें शुद्ध आक्सीजन oxygen नहीं मिलता है और इस तरह से ग्लोबल वार्मिंग से पर्यावरण को बहुत अधिक नुकसान होता है। 

ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव Effects of global warming

1. तापमान में वृद्धि 

ग्लोबल वार्मिंग के कारण पृथ्वी के तापमान में आश्चर्यजनक बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। सन 1880 से लेकर अब तक करीब 1 डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ चुका है और इसी तरह अगर पृथ्वी का तापमान बढ़ता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब ग्लेशियर पिघलने लगेंगे और समुद्र का जलस्तर बढ़ने लगेगा।

खैर, ये सब आज भी हो रहा है लेकिन इतनी धीमी गति से कि हमें लगता है कि सब कुछ ठीक तो है तो हमें बदलने की क्या आवश्यकता है। अगर पृथ्वी पर रहने वाले हर मानव ने ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के लिए ज़रूरी कदम नहीं उठाए तो वो दिन दूर नहीं जब तटीय क्षेत्रों में ग्लोबल वार्मिंग के कारण हमें विनाशकारी प्रभाव देखने को मिलेंगे।

2. जलवायु परिवर्तन

आए दिन हम ऐसी कोई ना कोई खबर सुनते हैं कि कहीं सूखा है तो कहीं बाढ़ आई है, कहीं भूकंप आया है तो कहीं समुद्र का जलस्तर बढ़ा है, ये सब कुछ ग्लोबल वार्मिंग की वजह से हो रहा है। जलवायु परिस्थितियों में बदलाव ग्लोबल वार्मिंग के कारण ही हो रहे हैं।

आज अगर दुनिया में कुछ देश कुछ गंभीर आपदाओं का सामना कर रहे हैं तो यह ग्लोबल वार्मिंग की वजह से ही हो रहा है। Climate imbalance is the result of global warming.

3. मृत्यु दर में वृद्धि 

जिस प्रकार आए दिनों बाढ़, सूखा और सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाएं बढ़ रही हैं, इन्हीं के साथ-साथ औसतन मृत्यु दर भी बढ़ रही है। ऐसी कई जानलेवा बीमारियां भी बढ़ रही हैं, जिससे मृत्यु दर में बढ़ोतरी भी हो रही है। 

4. कृषि पर बुरा प्रभाव

ग्लोबल वार्मिंग कृषि को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है। हालांकि, अभी तक हमने इसके परिणाम देखे नहीं हैं लेकिन वो वक्त दूर नहीं जब  वैश्विक तापमान बढ़ेगा और पौधों के लिए जीवित रहना मुश्किल होगा। पेड़ और पौधे हमारे भोजन का मुख्य श्रोत हैं इसीलिए ग्लोबल वार्मिंग की वजह से आने वाले समय में भोजन की कमी भी हो सकती है।

ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के 3 उपाय ways to stop global warming

ग्लोबल वार्मिंग को रोकना आज हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण हो गया है क्योंकि हम अंतिम पीढ़ी हैं जो इस जलवायु परिवर्तन की दिशा को बदल सकती है। इस बात को याद रखें कि यदि अभी भी हमनें कोई एक्शन नहीं लिया तो ग्लोबल वार्मिंग के भयानक परिणाम को भुगतने वाली आखिरी पीढ़ी भी हम ही लोग होंगें। आइए जानते हैं कि कुछ उपाय जिनकी मदद से हम सब ग्लोबल वार्मिंग को रोक सकते हैं -

1. हम सबको अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ लगाना चाहिए।

अगर वायुमंडल से हम कार्बन डाइऑक्साइड को कम कर दें तो ग्लोबल वार्मिंग के भयानक परिणाम को हम रोक पाएंगे। इसके लिए ज्यादा से ज्यादा मात्रा में पेड़ लगाएं। पेड़ ऑक्सीजन को छोड़ते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड को ग्रहण करते हैं इसीलिए हम सभी को अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ लगाना चाहिए और लोगों को अंधाधुन पेड़ काटने से रोकना चाहिए। 

2. निजी वाहनों का उपयोग कम करें।

हां, हम समझते हैं कि ऐसा करना मुश्किल है लेकिन फिर भी हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि वाहनों से होने वाले गैसीय उत्सर्जन का जलवायु परिवर्तन में सबसे अधिक योगदान है। वाहनों का इस्तेमाल पूरी तरह से बंद करने पर पृथ्वी पर एक जबरदस्त अच्छा बदलाव आएगा लेकिन क्योंकि ये मुमकिन नहीं है इसीलिए हमें निजी वाहनों का उपयोग कम करके कुछ बदलाव लाना पड़ेगा। कुछ अच्छे बदलाव लाने के लिए कार की जगह साइकिल का इस्तेमाल करें और पेट्रोल और डीजल से चलने वाले वाहनों की जगह इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल करें।

3. अधिक से अधिक रीसायकल करें।

हम सबका मुख्य उद्देश्य वातावरण से कार्बन-डाइऑक्साइड को कम करना है इसीलिए कोशिश करें कि आपके घर का ज्यादा से ज्यादा कचरा रीसाइकल हो। बायोडेग्रेडेबल और नॉन-बायोडेग्रेडेबल कचरों के लिए अलग-अलग डस्टबिन का इस्तेमाल करें। 

इन सबके अलावा एनर्जी एफिशिएंट ऊर्जा उपकरणों और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का इस्तेमाल करें, ज्यादा से ज्यादा लोगों को ग्लोबल वार्मिंग के बारे में जागरूक करें, जीवाश्म ईंधनों की जगह जियोथर्मल और सोलर एनर्जी का इस्तेमाल करें।

जलवायु परिवर्तन और व्यवसाय: Climate Change and Business

जलवायु परिवर्तन और व्यापार तेजी से एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। हरित उपभोक्तावाद का उदय इस बात का प्रमाण है कि व्यवसाय बाज़ार में फलने-फूलने के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन को कम करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। जलवायु परिवर्तन सिर्फ एक चुनौती नहीं है - यह नवीन और टिकाऊ व्यावसायिक प्रथाओं के लिए एक अवसर है।

  • विनियामक परिवर्तनों को नेविगेट करना Navigating Regulatory Changes

जैसे-जैसे जलवायु परिवर्तन केंद्र में आ रहा है, वैश्विक नियामक परिदृश्य एक भूकंपीय बदलाव के दौर से गुजर रहा है। दुनिया भर में सरकारें कार्बन उत्सर्जन पर अंकुश लगाने और टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए कड़े नियम बना रही हैं। व्यवसायों के सामने अब लाभप्रदता और विकास को बनाए रखते हुए इस नए नियामक क्षेत्र को पार करने की चुनौती है।

विनियामक परिवर्तनों को व्यवसायों के लिए दोधारी तलवार के रूप में देखा जा सकता है। एक तरफ, अनुपालन न करने पर भारी जुर्माना और प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचने की संभावना है। दूसरी ओर, स्थिरता के क्षेत्र में कुछ नया करने और अग्रणी बनने का अवसर है।

कार्बन मूल्य निर्धारण Carbon pricing:  सरकारें करों और कैप-एंड-ट्रेड सिस्टम जैसे कार्बन मूल्य निर्धारण तंत्र को लागू कर रही हैं, कंपनियों से उनके CO2 उत्सर्जन के लिए शुल्क ले रही हैं। लक्ष्य व्यवसायों को अपने कार्बन पदचिह्न को कम करने के लिए प्रोत्साहित करना है, एक ऐसा कदम जो उच्च उत्सर्जन उद्योगों की निचली रेखा पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है।

स्थिरता रिपोर्टिंग Sustainability reporting : अधिक से अधिक देश कंपनियों को अपने पर्यावरणीय प्रदर्शन का खुलासा करने के लिए बाध्य कर रहे हैं। पारदर्शिता एक व्यावसायिक अनिवार्यता बनती जा रही है, जो संगठनों को हरित पहलों और टिकाऊ प्रथाओं में निवेश करने के लिए प्रेरित कर रही है।

हरित वित्त नियमन Green finance regulations: : वित्तीय संस्थानों को अब अपने निवेश के पर्यावरणीय जोखिमों का आकलन करना आवश्यक है। वित्तीय परिदृश्य में यह बदलाव उन व्यवसायों के लिए अवसर खोलता है जो स्थिरता की ओर अग्रसर हैं।

इस उभरते परिदृश्य में जीवित रहने और फलने-फूलने के लिए, व्यवसायों को अपनी मूल रणनीति में स्थिरता को शामिल करना होगा। इसका मतलब न केवल नियमों का अनुपालन करना है, बल्कि उनके द्वारा प्रस्तुत अवसरों का लाभ उठाना भी है। हरित उत्पादों के विकास से लेकर नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश तक, व्यवसायों को स्थिरता के लिए एक सक्रिय दृष्टिकोण से लाभ होता है।

निष्कर्ष 

जलवायु परिवर्तन सिर्फ एक पर्यावरणीय मुद्दा नहीं है, बल्कि एक व्यावसायिक मुद्दा भी है। जैसे-जैसे नियम कड़े होते जा रहे हैं और उपभोक्ता की प्राथमिकताएं बदलती जा रही हैं, वैसे-वैसे व्यवसाय जो अनुकूलन में विफल रहते हैं, उनके पीछे छूटने का जोखिम रहता है। अब व्यवसायों के लिए कदम बढ़ाने, कार्रवाई करने और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में योगदान देने का समय आ गया है।