औषद्यीय पौधे : स्वास्थ्य और व्यवसाय दोनों का इलाज
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औषधि केवल स्वास्थ्य सम्बन्धी रोगों का इलाज़ नहीं करती, यह आर्थिक रूप से जुड़े कई समस्याओं का समाधान करने का भी हुनर अपने पास रखती है। संभावनाओं को अवसर बनाकर जीवन को सुगम और व्यवस्थित बनाने का मौका यह प्रत्येक व्यक्ति को सामान रूप से देती है। औषधि के क्षेत्र को व्यवसाय बनाकर कोई भी व्यक्ति कम लागत से अधिक मुनाफे कमा सकता है, इसके साथ ही हम रोगों से लड़ने के लिए औषधियों की उपलब्धता को आसान करते हैं।
जैसा कि हम सभी जानते ही हैं कि परिवर्तन ही प्रकृति का नियम है और इस परिवर्तन से ही संसार के आगे बढ़ते रहने की प्रक्रिया चलती रहती है। चलती प्रक्रिया में नयी-नयी जरूरतों का निर्माण होता है और इन्हीं जरूरतों से नयी क्षमताओं का आविष्कार भी। इन आविष्कार ने पिछले के दौर और पुरानी क्षमताओं को बदला भी है और नए रूप में ढाला भी है। बदलते समय के साथ विश्व में नयी बीमारियों ने जन्म लिया और इन बीमारियों से निजात पाने के लिए नयी दवाइयों की खोज की गयी। प्राचीन काल में हमारे पास केवल एक ही माध्यम था बीमारियों को ठीक करने का और वो था आयुर्वेद और औषधि। जिनमें हम घने जगंलों से जड़ी-बूटियों और औषधि से परिपूर्ण पौधों को लाकर दवा के रूप में इस्तेमाल करते थे। एलोपैथिक दवाइयों के आ जाने से औषधियों का इस्तेमाल होना कम हो गया, परन्तु कहते हैं ना इतिहास एक बार खुद को दोहराती ज़रूर है।
पूरा विश्व एक बार फिर औषधि को इलाज का बेहतर तरीका मानने लगी है। कोरोना काल में औषधियों ने लोगों को एक बार फिर अपनी अहमियत समझायी है। कई औषधियों ने लोगों को उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद की है। जिसके कारण बाजार में औषधियों की मांग बढ़ती जा रही है। हालाँकि अब वह समय नहीं रहा कि हम जंगलों में जाकर औषधियों की खोज करें और फिर उनका इस्तेमाल करें। जरूरतों की अपूर्तिं के लिए हम अन्य विधियों का इस्तेमाल करते हैं। हम औषधि के पौधों की खेती करके होने वाले खपत की आपूर्ति करने की कोशिश कर रहे हैं। बढ़ती दवाइयों की जरूरतों के कारण औषधि की खेती करना एक अच्छा व्यवसाय बन गया है। इसके माध्यम से हम व्यवसाय में खुद को स्थापित कर सकते हैं और एक सफल व्यवसायी बन सकते हैं।
औषधि को मानते इलाज़ का बेहतर तरीका
औषधीय पौधे, दवा के रूप में इस्तेमाल किये जाने वाले पौधे होते हैं। इसके उपयोग से कई बीमारियों को ठीक किया जाता है। पहले यह माना जाता था कि औषधि में केवल बिना लकड़ी वाले पौधे आते हैं, बाद में इस बात की पुष्टि की गयी कि कई लकड़ी वाले पौधे भी औषधि के रूप में इस्तेमाल किये जा सकते हैं।
इस व्यवसाय के माध्यम से पर्यावरण को प्रदूषित किये बिना हम औषधि के पौधों को उगाते हैं। इन पौधों से हम आयुर्वेदि, होम्योपैथिक और कई क्षेत्र में दवाइयों का निर्माण करते हैं। WHO की एक रिपोर्ट के मुताबिक विकसित होते देशों में लगभग 70% से 95% लोग पारम्परिक तौर पर चले आ रहे इलाज़ को सबसे सुगम और लाभकारी माध्यम मानते हैं। भारत में लगभग 8000 पौधों में ऐसी प्रजातियां हैं, जो औषधि के रूप में इस्तेमाल की जा सकती हैं। भारत की मिट्टी औषधियों के उत्पादन के लिए उपजाऊ है। अगर हम विश्व स्तर पर बात करें, तो व्यावसायिक उद्देश्य से यह बड़े पैमाने पर नहीं है। इसकी खेती छोटे पैमाने पर की जाती है। परन्तु इसके बढ़ते मांग से कयास लग रहे कि अब इसके उपज का विस्तार किया जायेगा।
खेती के लिए बरतें कुछ सावधानियां
औषधियों की खेती के लिए कुछ बातों को ध्यान में रख कर हम अच्छी उपज करके अच्छा फायदा कमा सकते हैं। पौधों के लिए हमें ध्यान देना होगा की मिट्टी सूखी रहे, पौधे के आसानी से उखाड़ने योग्य रहे। पौधों की जड़ों को सड़ने से बचाया जा सके ताकि पौधे स्वस्थ रह कर ज्यादा असरकारी साबित हों। मिट्टी खेती के लिए सही या नहीं इसका निरिक्षण करना सबसे अधिक आवश्यक है, वरना यह आपकी मेहनत और लागत पूरी तरह बर्बाद कर सकती है। फसलों को रोगों से बचाना, उर्वरकों का सही मात्रा में इस्तेमाल आपकी फसल की उपज को बढ़ा सकता है। एक व्यवसायी के तौर इन बातों का ध्यान रखना जरुरी है।
औषधीय पौधों की खेती के लिए ग्रीन हाउस उत्पादन का माध्यम अधिक सरल और सुरक्षित होता है, क्योंकि इसके माध्यम से आप अपनी सुविधानुसार तापमान और पानी का इस्तेमाल पौधों के परिपेक्ष में करते हैं।
ऐसी कई जड़ी बूटियां हैं, जिनका इस्तेमाल भारत के बाहर कई देशों में किया जाता है। भारत से उन औषधियों के निर्यात होने के कारण बाजार में इनकी मांग के साथ कीमत भी ज्यादा है। एलोवेरा, अश्वगंधा, ब्राह्मी, आंवला, तुलसी, केलेंडला जैसे कई पौधें हैं, जो इस श्रेणी में आते हैं। इनमे से कई पौधे ऐसे होते हैं, जिनको एक बार लगाने के बाद आप कुछ वर्षों तक उत्पादन कर सकते हैं। कई पौधे ऐसे होते हैं, जो वर्ष में एक बार उत्पादन की श्रेणी में आते हैं और कुछ की 6 महीने के अंतराल पर खेती की जाती है। तो आप समझ सकते हैं कि इस व्यवसाय में उतरने से एक बार लागत लगा कर दोगुना-तिगुना मुनाफा कमा सकते हैं। खास बात यह है कि इस क्षेत्र में व्यवसाय शुरू करने के लिए कई तरह की सब्सिडी( मदद) प्रदान की जाती है। इसे पौधों की गुणवत्ता के आधार पर उपलब्ध कराया जाता है। कुछ पौधों पर लागत का 30 परसेंट, कुछ पर 50 परसेंट, तो कुछ पर लागत का 75 परसेंट मदद की जाती है। इसका एक फायदा यह है कि इसकी खेती आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति भी शुरू कर सकता है।
औषधि केवल स्वास्थ्य सम्बन्धी रोगों का इलाज़ नहीं करती, यह आर्थिक रूप से जुड़े कई समस्याओं का समाधान करने का भी हुनर अपने पास रखती है। संभावनाओं को अवसर बनाकर जीवन को सुगम और व्यवस्थित बनाने का मौका यह प्रत्येक व्यक्ति को सामान रूप से देती है। औषधि के क्षेत्र को व्यवसाय बनाकर कोई भी व्यक्ति कम लागत से अधिक मुनाफे कमा सकता है, इसके साथ ही हम रोगों से लड़ने के लिए औषधियों की उपलब्धता को आसान करते हैं। विश्व में कई कम्पनिया हैं, जो औषधि के क्षेत्र में व्यवसाय कर रही हैं और अन्य लोगों को व्यवसाय करने के अवसर दे रही हैं। आज भारत औषधीय पौधों के जरिये करोड़ों में कारोबार कर रहा है। उम्मीद है कि आने वाले समय में हम इस आंकड़े को और ऊंचाइयों तक पहुंचाएंगे।
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