आओ पीछे पलट कर देखते हैं, परम्परागत शिक्षा
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परम्परागत शिक्षा क्या है? और वह कितने रूपों में देखी जा सकती है। शिक्षा के क्षेत्र में उसकी क्या-क्या सम्भावनायें हैं किन-किन कोर्सेस को हम अपनी शिक्षा में ला सकते हैं। अपने जीवन को एक नई पहचान दे सकते हैं साथ ही साथ भारत की संस्कृति को समझ सकते हैं और उसके बदलते स्वरूप को पुराने स्वरूप में ढाल सकते हैं। जिसमे कई कॉर्सेस हैं जैसे आर्ट्स एंड ड्रामा, भाषाविध कोर्सेस, साहित्यिक कोर्सेस आदि।
अगर हम बात करें की किन-किन कोर्सेस को आज के दौर में प्रायिक्ता दी जा सकती है, तो उसके लिए सबसे पहले ये जानना आवश्यक हो जाता है कि असल में हमारी खुदकी पसंद क्या है। जिसको की हम अच्छे से और दिल लगा कऱ कर सकते हैं। हमारे लक्ष्य और उद्देश्य हमें सही राह चुनने में हमारी मदद करते हैं, अब लक्ष्य क्या है? और उद्द्श्ये क्या है? इसके फर्क को जानना बेहद ज़रूरी हो जाता है। लक्ष्य छोटे-छोटे होते हैं और उद्श्ये का व्यापक स्वरूप है।
इसको एक उदाहण के तौर पर ऐसे समझ सकते हैं जैसे की मान लीजिये आप इंजीनियर बनना चाहते हैं, ये तो आपका लक्ष्य हो गया और आप इंजीनियर बनकर स्वयं और देश के प्रति क्या सम्पर्पित कर पा रहे हैं। आप क्या करना चाह रहे हैं, या सीधे शब्दों में कहें की आप विश्व स्तर पर उस क्षेत्र से जुड़ी समस्याएं, लाभ और अंतिम जो बात आती है वो है बदलाब कितना ला रहे हैं। इस प्रकार हम दोनों शब्दों में अंतर समझ सकते हैं।
इस आधार पर हम जानने की कोशिश करते हैं की कौन-कौन से सेक्टर शिक्षा के रूप में उठा सकते हैं, जिसकी चर्चा हम एक-एक कर सकते हैं,
ट्रेडिशनल कोर्सेस
कला वर्ग:- अगर हम कला वर्ग में देखें तो इसमें कई विषय हैं मतलब कई सब्जेक्ट आते हैं जैसे, समाजशास्त्र, राजनीति विज्ञान, अर्थशास्त्र, या साहित्य से जुड़े सब्जेक्ट हो सकते हैं।
अब हम कैसे ट्रेडिशनल कोर्सेस को और किस तरह से देख सकते हैं।
आजकल बच्चों का रुझान जिस तरह से सोशल मीडिया की तरफ बढ़ता जा रहा और शॉर्ट वीडियोस, शॉर्ट राइटिंग कंटेंट पर बहुत रुझान है तथा जिसके चलते बच्चे अपनी स्किल, अपने कौशल को पॉलिश नहीं पाते मगर फिर भी अपनी ख्याति बढ़ाने में लगे रहते हैं। उनके लिए यहाँ कुछ सुझाबों पर विचार कर सकते हैं।
आर्ट्स एंड ड्रामा कोर्सेस:- जिस तरह से भागती दौड़ती ज़िन्दगी के बीच हम अपने सपनों और अपनी संस्कृति को कहीं दूर छोड़ते चले जा रहे हैं, और प्रोफेशनल ज़िन्दगी को ढोने के लिए मानों तैयार ही हो गए हैं। तब हमें थोड़ा रुक कर अपनी पीढ़ी को कुछ अलग करने के लिए प्रेरित करना चाहिए। और इसके लिए आट्र्स एंड ड्रामा जैसे कोर्स मानों आपका ही इंतज़ार कर रहे हों। दुनिया को एक अलग नज़रिये से देखने का मौका मिलेगा।
कुछ पंक्तियाँ याद आतीं है:-
रंगमंच ही असल दुनिया नज़र आती हैं मुझे।
वरना बहार तो कठपुतलियां नज़र आती हैं मुझे।।
सृजनात्मक या क्रिएटिविटी टाइप कोर्सेस:- आज कल के समय में खुद को वक़्त देना बड़ों के लिए जितना कठिन है उससे कई ज्यादा बच्चों को खुदके लिए समय निकालना कठिन होता जा रहा है, क्योंकि आजकल बच्चों का ज्यादातर समय मोबाइल में खप जाता है। इसलिए यहाँ आपको ये सुझाव दिया जाता है की यदि आप को पैनिटंग का शौक हो, डांसिंग का शौक हो, संगीत का शौक हो, तो आप इस क्षेत्र में भी अपना शैक्षिक योगदान दे सकते हैं और इस तरह के कोर्सेस ज्वाइन कर सकते हैं;
भाषा से जुड़े कोर्सेस:- भाषा एक ऐसा माधयम है जो विचारों के अमूर्त रूप को एक मूर्त रूप देने का कार्य करती आयी है हमेशा से। भाषा न होती तो विचारों का अदान-प्रदान इतना सटीक न होता, न कभी साहित्य जन्म लेता या यूँ कहें की हम हमारी मानव संस्कृति को यहाँ तक न देख पाते। इस ख्याल को मद्दे नज़र रखते हुए हम भाषा में नई-नई शब्दाबली जोड़ सकते है, नए आयाम खोल सकते हैं। इस हिसाब से आप इस क्षेत्र में भी अपना रुझान दिखा सकते हैं। ऐसी कई संस्थाएं हैं जहाँ आप हर तरह की भाषाओँ से जुड़े कोर्सेस कर सकते हैं।
इस तरह से परम्परागत या ट्रेडिश्नशनल और भी कोर्सेस हो सकते हैं जिनको करके अपनी संस्कृति अपने कल्चर को भी बढ़ावा दे सकते हैं साथ ही साथ अपने भविष्य का निर्माण कर सकते हैं
अगले सम्पादकीय में हम प्रोफेशनल कोर्सेस पर भी एक नज़र डालेंगें। क्योंकि सम्भावनाओं का सिलसिला कभी खत्म नहीं होता।
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