जानिए क्या है भारत का वेस्ट टू वेल्थ मिशन और स्वच्छता सारथी फ़ेलोशिप?

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जानिए क्या है भारत का वेस्ट टू वेल्थ मिशन और स्वच्छता सारथी फ़ेलोशिप?
08 Jul 2024
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भारत में तेजी से बढ़ती जनसंख्या और औद्योगिकीकरण के कारण कचरा प्रबंधन एक गंभीर चुनौती बन गया है। हर साल देश में करोड़ों टन कचरा उत्पन्न होता है, जिसका निस्तारण एक बड़ी समस्या है। 

आइये अपने विषय पर जाने से पहले कुछ सम्बंधित आंकड़ों पर नजर डालें जिससे हम इस विषय की महत्ता और गंभीरता को बेहतर समझ सकेंगे -

आबादी में तेजी से वृद्धि:

अनुमान है कि भारत 2027 तक दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाएगा और 2050 तक भारत की शहरी आबादी लगभग दोगुनी होकर 814 मिलियन तक पहुंच जाएगी।

कचरे का बढ़ता उत्पादन:

2025 तक भारत के शहरों में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन कचरे का उत्पादन 0.7 किलोग्राम होगा, जो 1999 की तुलना में लगभग चार से छह गुना अधिक है।

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अनुसार, भारत वर्तमान में हर साल 62 मिलियन टन कचरा (दोनों पुन: प्रयोज्य और गैर-पुन: प्रयोज्य) उत्पन्न करता है, जिसकी औसत वार्षिक वृद्धि दर 4% है। ठोस कचरा, प्लास्टिक कचरा और ई-कचरा मुख्य कचरा सामग्री हैं।

वायु प्रदूषण भी एक गंभीर समस्या:

2018 में दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से 22 भारत में थे।

2016 के आंकड़ों पर आधारित एक अध्ययन के अनुसार, भारत में कम से कम 14 करोड़ लोग ऐसी हवा में सांस लेते हैं जो WHO की सुरक्षित सीमा से 10 गुना या उससे अधिक है।

उपरोक्त आंकड़ें  स्पष्ट करते हैं की भारत में तेजी से बढ़ती आबादी और शहरीकरण के कारण कचरा प्रबंधन Waste management due to urbanization एक गंभीर चुनौती बनती जा रही है। कचरे के बढ़ते उत्पादन और वायु प्रदूषण को कम करने के लिए ठोस कदम उठाना आवश्यक है।

इस समस्या से निपटने के लिए भारत सरकार ने वेस्ट टू वेल्थ मिशन Government of India Waste to Wealth Mission की शुरुआत की है। यह मिशन कचरे को बोझ से बदलकर उपयोगी संसाधनों में बदलने का लक्ष्य रखता है।

यह पहल भारत को स्वच्छ बनाने और सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। स्वच्छता सारथी फ़ेलोशिप इस मिशन के तहत शुरू की गई पहल है, जो कचरा प्रबंधन में योगदान देने वाले व्यक्तियों और संगठनों को प्रोत्साहित करती है।

इस  ब्लॉग पोस्ट में आपको वेस्ट टू वेल्थ मिशन के लक्ष्य, स्वच्छता सारथी फ़ेलोशिप,और उसकी आवेदन करने की प्रक्रिया के बारे में बताया जाएगा। तो आइये जानते हैं की क्या है भारत सरकार की वेस्ट टू वेल्थ मिशन पहल और इससे जुडी स्वच्छता सारथी फ़ेलोशिप की महत्ता और आवश्यकता।

"जानें की क्यों वेस्ट टू वेल्थ मिशन भारत के लिए यह एक व्यापक समाधान है जो न केवल कचरे की समस्या को दूर करता है, बल्कि एक स्वस्थ, टिकाऊ और समृद्ध भविष्य बनाने में भी योगदान दे सकता  है।"

जानिए क्या है भारत का वेस्ट टू वेल्थ मिशन ? Know what is India's Waste to Wealth Mission?

स्वच्छ भारत अभियान की सफलता के बाद, भारत अब कचरे और प्रदूषण को सिर्फ प्रबंधन से आगे ले जाकर, उन्हें ऊर्जा और प्रगति के स्रोतों में बदलने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है।

इस मिशन का नाम है वेस्ट टू वेल्थ मिशन। इसे प्रधानमंत्री के विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार सलाहकार परिषद Prime Minister's Science, Technology, and Innovation Advisory Council (PMSTIAC)  के तहत शुरू किया गया है। इसका लक्ष्य टेक्नोलॉजी की मदद से देश के 130 करोड़ लोगों के लिए सामाजिक और आर्थिक लाभ हासिल करना है। इससे हम कचरे के निस्तारण, हवा की खराब गुणवत्ता और जल स्रोतों के बढ़ते प्रदूषण जैसी समस्याओं से भी निपट सकेंगे।

इस मिशन को सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय द्वारा आगे बढ़ाया जा रहा है। साथ ही, संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने में भारत की प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए, इस कार्यालय ने 'प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट' (पीएमयू) की स्थापना की है। इसमें भारत की राष्ट्रीय निवेश प्रोत्साहन और सुविधा एजेंसी National Investment Promotion and Facilitation Agency, इन्वेस्ट इंडिया, Invest India का भी सहयोग है।

वेस्ट टू वेल्थ मिशन का मुख्य काम Main work of Waste to Wealth Mission:

  • कचरे से ऊर्जा बनाने, चीजों को दोबारा इस्तेमाल करने और उनसे मूल्यवान चीजें निकालने के लिए टेक्नोलॉजी ढूंढना, परखना और इस्तेमाल करना।

  • देश भर की स्थानीय शहरी संस्थाओं को कचरा प्रबंधन की चुनौतियों से निपटने में मदद करने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय टेक्नोलॉजी का डेटाबेस बनाना।

यह मिशन स्वच्छ भारत Swachh Bharat Mission और स्मार्ट सिटी परियोजनाओं Smart City Project का समर्थन करेगा। टेक्नोलॉजी और नवाचार का उपयोग करके यह कचरा प्रबंधन के लिए ऐसा मॉडल तैयार करेगा, जो आर्थिक रूप से मजबूत और टिकाऊ हो। इससे देश में कचरे के प्रबंधन को आसान बनाया जा सकेगा।

वेस्ट टू वेल्थ मिशन से लाभ? Benefits of Waste to Wealth Mission?:

  • स्वच्छ भारत और स्मार्ट सिटी परियोजनाओं को सहायता और बढ़ावा देना।

  • विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार का उपयोग करके अपशिष्ट प्रबंधन के लिए वित्तीय रूप से व्यवहार्य और टिकाऊ मॉडल बनाना।

  • देश में कचरे के प्रबंधन को सुव्यवस्थित करना।

अब आपको समझ आ गया होगा कि भारत का वेस्ट टू वेल्थ मिशन क्या है और यह देश को साफ और स्वस्थ बनाने में कैसे मदद करेगा!

वेस्ट टू वेल्थ मिशन के उद्देश्य Objectives of Waste to Wealth Mission:

  • कचरे को कम करना और उसका पुनर्चक्रण बढ़ाना।

  • कचरे से ऊर्जा उत्पादन करना।

  • कचरे से खाद और अन्य उपयोगी उत्पाद बनाना।

  • कचरा प्रबंधन क्षेत्र में रोजगार सृजन करना।

  • सतत विकास को बढ़ावा देना।

वेस्ट टू वेल्थ मिशन और सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) का संबंध

कचरे का शून्य स्तर और उसका टिकाऊ प्रबंधन अब एक महत्वपूर्ण वैश्विक लक्ष्य है। इसका न सिर्फ पर्यावरण को स्वच्छ और हरा-भरा बनाने में लाभ है, बल्कि सतत कृषि, जिम्मेदार उत्पादन और खपत, गरीबी और भूख मिटाने, स्वास्थ्य और स्वच्छता, जलवायु परिवर्तन से लड़ने, जैवविविधता बढ़ाने, रोजगार सृजन और ऊर्जा की उपलब्धता जैसे कई अन्य एसडीजी को भी पूरा करने में भी मदद मिलती है। कहने का मतलब है, कचरे का प्रबंधन और उसका पुनर्चक्रण/पुनः उपयोग 2030 तक एसडीजी को प्राप्त करने की कुंजी है!

आइए थोड़ा गहराई से सोचें:

  • क्या है कचरा?

  • कचरा कौन उत्पन्न करता है?

  • कचरा इतनी बड़ी वैश्विक चुनौती क्यों बन गया है?

कचरा हमारे दैनिक जीवन का ही हिस्सा है। यह विभिन्न स्रोतों से उत्पन्न हो सकता है, जिनमें प्रमुख हैं उद्योग और घर। दुनिया भर में घरों से निकलने वाला कचरा बहुत बड़ी मात्रा में होता है। हर साल लाखों टन कचरा लैंडफिल में जाता है। हर उद्योग पर्यावरणीय कचरे में योगदान देता है जो धरती और लैंडफिल में जमा हो जाता है। हमारे दैनिक क्रियाकलाप भी कचरे का एक बड़ा स्रोत हैं।

कचरे के प्रबंधन में पुनः उपयोग, पुनर्चक्रण, भंडारण, उपचार, ऊर्जा पुनः प्राप्ति और/या निपटान शामिल है। अधिकांश नगरपालिका ठोस कचरे और खतरनाक कचरे का प्रबंधन लैंडफिल इकाइयों में किया जाता है।

वेस्ट टू वेल्थ मिशन और एसडीजी कैसे जुड़े हुए हैं? How are the Wealth to Wealth Mission and SDGs linked?

भारत का वेस्ट टू वेल्थ मिशन और सतत विकास लक्ष्यों का तालमेल

दुनिया भर में कचरा प्रबंधन एक गंभीर चुनौती है। भारत का वेस्ट टू वेल्थ मिशन इस संकट से लड़ने का एक महत्वपूर्ण कदम है। यह अभियान न केवल कचरे को समस्या से समाधान में बदलता है, बल्कि कई महत्वपूर्ण सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को भी हासिल करने में मदद करता है।

कैसे जुड़ा है यह मिशन एसडीजी से?

स्वच्छ हवा, स्वच्छ पानी और हरियाली Clean air, clean water and greenery:

कम कचरा और बेहतर प्रबंधन स्वच्छ हवा, पानी और हरियाली को बढ़ावा देता है। यह एसडीजी 3 (स्वास्थ्य और कुशलता) SDG 3 (health and well-being), एसडीजी 11 (टिकाऊ शहर और समुदाय) SDG 11 (sustainable cities and communities) और एसडीजी 15 ((भूमि पर जीवन)) SDG 15 (life on land) से जुड़ा है।

टिकाऊ कृषि Sustainable Agriculture:

खाद और जैविक ईंधन जैसे उपयोगी उत्पाद बनाकर कचरे का पुनर्चक्रण कृषि को बढ़ावा देता है। यह एसडीजी 2 (शून्य भूख) SDG 2 (Zero Hunger) को पूरा करने में मदद करता है।

जिम्मेदार उपभोग और उत्पादन Responsible Consumption and Production:

कम कचरा पैदा करना और पुन: प्रयोग बढ़ाना संसाधनों के कुशल उपयोग को बढ़ावा देता है। यह एसडीजी 12 (जिम्मेदार उपभोग और उत्पादन) SDG 12 (Responsible Consumption and Production) से जुड़ा है।

गरीबी और भुखमरी का कम होना Reduction of poverty and hunger:

कचरे से बने उत्पादों से रोजगार पैदा करना और खाद बनाकर उत्पादकता बढ़ाना गरीबी और भुखमरी को कम करता है। यह एसडीजी 1 (गरीबी उन्मूलन) SDG 1 (Poverty Eradication) और एसडीजी 2 (शून्य भूख) SDG 2 (Zero Hunger)  को पूरा करने में मदद करता है।

स्वास्थ्य और स्वच्छता Health and Cleanliness:

ठीक से प्रबंधित कचरा हानिकारक बीमारियों के प्रसार को कम करता है और स्वच्छता में सुधार करता है। यह एसडीजी 3 (स्वास्थ्य और कुशलता) SDG 3 (Health and Wellbeing)  और एसडीजी 6 (साफ पानी और स्वच्छता)  SDG 6 (Clean Water and Sanitation) से जुड़ा है।

जलवायु परिवर्तन विरुद्ध कार्रवाई Action against climate change:

कचरे से ऊर्जा बनाने से जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम होती है और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम होता है। यह एसडीजी 13 (जलवायु कार्रवाई) SDG 13 (Climate Action) से जुड़ा है।

जैव विविधता का संरक्षण Conservation of Biodiversity:

कचरे का सही प्रबंधन प्रदूषण को कम करता है और पारिस्थितिकी की सुरक्षा करता है। यह एसडीजी 14 (जीवन जल के नीचे) SDG 14 (Life below water)और एसडीजी 15 (स्थलीय पारिस्थितिकी का संरक्षण) SDG 15 (Conservation of terrestrial ecosystems) से जुड़ा है।

रोजगार सृजन और आर्थिक विकास Employment Creation and Economic Growth:

कचरा प्रबंधन उद्योग में रोजगार पैदा करता है और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देता है। यह एसडीजी 8 (सभ्य काम और आर्थिक वृद्धि) SDG 8 (Decent work and economic growth) से जुड़ा है।

स्वच्छ ऊर्जा clean energy:

कचरे से ऊर्जा बनाने से नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग बढ़ता है और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम होती है। यह एसडीजी 7 (सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा) SDG 7 (Affordable and clean energy) से जुड़ा है।

इस तरह, वेस्ट टू वेल्थ मिशन कई एसडीजी को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह एक व्यापक समाधान है जो न केवल कचरे की समस्या को दूर करता है, बल्कि एक स्वस्थ, टिकाऊ और समृद्ध भविष्य बनाने में भी योगदान देता है।

याद रखें: अपशिष्ट प्रबंधन सिर्फ सरकार या उद्योगों की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि हम सभी की साझा जिम्मेदारी है। कचरे को कम करना, उसका पुनर्चक्रण करना और उसका सही निस्तारण करना ही एक बेहतर भविष्य बनाने का रास्ता है।

इस प्रकार, वेस्ट टू वेल्थ मिशन सीधे तौर पर कई एसडीजी को पूरा करने में मदद करता है, जिससे भारत को एक स्वच्छ, स्वस्थ और टिकाऊ भविष्य की ओर ले जाता है।

याद रखें: हम सभी मिलकर कचरे को कम कर सकते हैं और उसका पुनः उपयोग कर सकते हैं, जिससे हम एक बेहतर भविष्य बना सकें!

Also Read: IMPS क्या है और यह कैसे काम करता है ?

कचरा हमारे जीवन का हिस्सा Garbage part of our life:

यह विभिन्न स्रोतों से उत्पन्न होता है, मुख्य रूप से उद्योगों और घरों से। हर साल इतना कचरा फेंका जाता है कि जमीन भरने वाले स्थान लबालब भर गए हैं। हर उद्योग पर्यावरणीय कचरे में योगदान देता है, जो मिट्टी और लैंडफिल में मिल जाता है। हमारी दैनिक गतिविधियां भी कचरे का एक बड़ा स्रोत हैं।

कचरे के प्रकार Types of Waste:

  • ठोस अपशिष्ट Solid Waste: ये अवांछित पदार्थ होते हैं, जिनका निपटान मानव संस्कृति द्वारा किया जाता है। इसमें शहरी, ग्रामीण, बायोमेडिकल और रेडियोधर्मी कचरा शामिल है।

  • द्रव अपशिष्ट Liquid Waste: उद्योगों के धुलाई, फ्लशिंग या निर्माण चक्रों से निकलने वाले अपशिष्ट को द्रव अपशिष्ट कहा जाता है।

  • गैसीय अपशिष्ट gaseous waste: ये कारों, कारखानों या गैर-नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों जैसे तेल के उपयोग से निकलने वाली गैसें होती हैं। ये विभिन्न गैसीय वातावरणों में मिल जाती हैं और कभी-कभी धुंध और एसिड रेन जैसी समस्याएं पैदा करती हैं।

जैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट Biodegradable Waste:

इनमें कार्बनिक पदार्थ होते हैं, जैसे भोजन और कागज। सूक्ष्मजीवों की क्रिया से ये गैसों (मीथेन, कार्बन डाइऑक्साइड) और तरल पदार्थों (पानी, अन्य) में विघटित हो जाते हैं। इनका प्रमुख स्रोत घर और कुछ व्यावसायिक प्रतिष्ठान जैसे रेस्तरां, होटल, खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां आदि हैं। कुछ जैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट उद्योगों, पशु फार्मों और कृषि खेतों से भी आ सकते हैं।

अजैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट Non biodegradable waste:

ये सूक्ष्मजीवों की क्रिया से आगे नहीं टूटते। ये लैंडफिल में जहरीले पदार्थों का मुख्य स्रोत हैं। उदाहरण के लिए रसायन, धातु, प्लास्टिक, पेंट, रबर आदि। ये सामग्री हजारों वर्षों तक लैंडफिल में बिना किसी क्षति के रह सकती हैं। धातुओं और प्लास्टिक से निकले जहरीले पदार्थ मिट्टी में मिलकर मिट्टी और जल स्रोतों को प्रदूषित करते हैं।

कचरा प्रबंधन Waste Management:

एक बार उत्पन्न होने के बाद, कचरे का पुनःउपयोग, पुनर्चक्रण, भंडारण, उपचार, ऊर्जा प्राप्ति और/या निपटान या पर्यावरण में अन्य रिलीज के माध्यम से प्रबंधन किया जाना चाहिए। अधिकांश नगरपालिका ठोस अपशिष्ट और खतरनाक अपशिष्टों का प्रबंधन लैंडफिल इकाइयों में किया जाता है।    

स्वच्छता सारथी फ़ेलोशिप Swachhta Sarathi Fellowship:

वेस्ट टू वेल्थ मिशन के तहत स्वच्छता सारथी फ़ेलोशिप नामक एक पहल शुरू की गई है। इस फ़ेलोशिप का उद्देश्य कचरा प्रबंधन में योगदान देने वाले व्यक्तियों और संगठनों को प्रोत्साहित करना है। इसमें स्कूली छात्र, कॉलेज के छात्र, स्वयंसेवी संस्थाएं और सफाई कर्मचारी शामिल हैं।

स्वच्छता सारथी फैलोशिप क्या है? What is Swachhta Sarathi Fellowship?

भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय ने अपने "वेस्ट टू वेल्थ" मिशन के तहत "स्वच्छता सारथी फैलोशिप" की शुरुआत की है।

स्वच्छता सारथी फैलोशिप का उद्देश्य Objective of Swachhta Sarathi Fellowship:

  • कचरा प्रबंधन में लगे छात्रों, स्वयंसेवी संस्थाओं, स्वच्छता कर्मचारियों और समुदाय के लोगों को सम्मानित करना।

  • इन क्षेत्रों में वैज्ञानिक और टिकाऊ तरीके से काम करने वालों को प्रोत्साहित करना।

स्वच्छता सारथी फ़ेलोशिप फैलोशिप के लिए कौन आवेदन कर सकता है? Who can apply for wachhta Sarathi Fellowship?

  • श्रेणी A: 9वीं से 12वीं कक्षा के छात्र जो अपने समुदायों में कचरा प्रबंधन का काम कर रहे हैं।

  • श्रेणी B: कॉलेज के छात्र (स्नातक, स्नातकोत्तर, शोधार्थी) जो अपने समुदायों में कचरा प्रबंधन का काम कर रहे हैं।

  • श्रेणी C: वे नागरिक जो स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से या अपने दायित्वों से अधिक कचरा प्रबंधन का काम कर रहे हैं, साथ ही नगरपालिका या सफाई कर्मचारी भी।

स्वच्छता सारथी फैलोशिप के लाभ Benefits of Swachhta Sarathi Fellowship:

स्वच्छता सारथी फैलोशिप के व्यक्तिगत लाभ Swachhata Sarathi Fellowship Individual Benefits:

  • सम्मान: स्वच्छता सारथी फैलोशिप प्राप्त करने वाले व्यक्तियों को उनके कार्य के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया जाता है।

  • प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण: फैलोशिप प्राप्तकर्ताओं को कचरा प्रबंधन के क्षेत्र में प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के अवसर प्रदान किए जाते हैं।

  • नेटवर्किंग: फैलोशिप प्राप्तकर्ता अन्य समान विचारधारा वाले व्यक्तियों और संगठनों से जुड़ सकते हैं और उनसे सीख सकते हैं।

  • अनुभव: यह फैलोशिप छात्रों और युवाओं को कचरा प्रबंधन के क्षेत्र में अनुभव प्राप्त करने का अवसर प्रदान करती है।

  • रोजगार: यह फैलोशिप प्राप्तकर्ताओं को कचरा प्रबंधन क्षेत्र में रोजगार के अवसरों को बढ़ा सकती है।

स्वच्छता सारथी फैलोशिप केसामुदायिक लाभ Swachhta Sarathi Fellowship Community Benefits:

  • जागरूकता: फैलोशिप कचरा प्रबंधन के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने में मदद करती है।

  • व्यवहार में बदलाव: यह लोगों को कचरा प्रबंधन के प्रति अधिक जिम्मेदार बनाता है।

  • समुदायों को सशक्त बनाना: यह फैलोशिप समुदायों को कचरा प्रबंधन के मुद्दों को हल करने के लिए प्रेरित और सशक्त बनाती है।

  • पर्यावरणीय लाभ: यह फैलोशिप स्वच्छता और पर्यावरण को बेहतर बनाने में मदद करती है।

स्वच्छता सारथी फैलोशिप के राष्ट्रीय लाभ National Benefits of Swachhta Sarathi Fellowship:

  • स्वच्छ भारत: यह फैलोशिप भारत को स्वच्छ बनाने में मदद करती है।

  • टिकाऊ विकास: यह फैलोशिप भारत को टिकाऊ विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करती है।

  • आर्थिक लाभ: यह फैलोशिप कचरा प्रबंधन उद्योग को बढ़ावा देती है और रोजगार पैदा करती है।

स्वच्छता सारथी फैलोशिप के लिए आवेदन कैसे करें? How to apply for Swachhta Sarathi Fellowship?

आवेदन करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:

1. वेबसाइट: https://www.wastetowealth.gov.in/ पर जाएं।

2. पंजीकरण: "रजिस्टर" बटन पर क्लिक करें और आवश्यक जानकारी भरें।

3. आवेदन पत्र: अपनी श्रेणी के अनुसार आवेदन पत्र डाउनलोड करें और इसे भरें।

4. दस्तावेज: आवश्यक दस्तावेजों को स्कैन करें और उन्हें अपलोड करें।

5. शुल्क: आवेदन शुल्क का भुगतान करें (यदि लागू हो)।

6. जमा करें: "जमा करें" बटन पर क्लिक करें।

स्वच्छता सारथी फैलोशिप आवेदन के लिए आवश्यक दस्तावेज Documents required for Swachhta Sarathi Fellowship Application:

  • पहचान प्रमाण (आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, आदि)

  • शैक्षिक प्रमाण पत्र

  • निवास प्रमाण पत्र

  • कार्य का प्रमाण (यदि लागू हो)

  • अन्य प्रासंगिक दस्तावेज

स्वच्छता सारथी फैलोशिप आवेदन की अंतिम तिथि Swachhta Sarathi Fellowship Application Last Date:

आवेदन की अंतिम तिथि प्रति वर्ष 31 मार्च होती है।

अन्य महत्वपूर्ण जानकारी:

  • आवेदन पत्र केवल ऑनलाइन स्वीकार किए जाएंगे।

  • आवेदन शुल्क वापस नहीं किया जाएगा।

  • चयनित उम्मीदवारों को साक्षात्कार के लिए बुलाया जाएगा।

  • फैलोशिप की अवधि एक वर्ष होगी।

यह भी ध्यान दें:

  • आवेदन करने से पहले पात्रता मानदंडों को ध्यान से पढ़ें।

  • आवेदन पत्र को ध्यान से भरें और सभी आवश्यक जानकारी प्रदान करें।

  • आवेदन पत्र के साथ सभी आवश्यक दस्तावेज अपलोड करें।

  • आवेदन की अंतिम तिथि से पहले आवेदन पत्र जमा करें।

आशा है कि यह जानकारी आपको स्वच्छता सारथी फैलोशिप के लिए आवेदन करने में मदद करेगी।

निष्कर्ष Conclusion:

वेस्ट टू वेल्थ मिशन और स्वच्छता सारथी फ़ेलोशिप भारत को स्वच्छ बनाने और सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। यह पहल कचरे को समस्या से समाधान में बदलने का एक प्रभावी तरीका है। हमें उम्मीद है कि यह लेख आपको इस महत्वपूर्ण पहल के बारे में अधिक जानकारी प्रदान करने में सफल रहा है।