क्या भारत में इंजीनियरिंग सफल‌ नहीं?

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क्या भारत में इंजीनियरिंग सफल‌ नहीं?
02 Oct 2021
7 min read

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पलायन एक चिंता का विषय!!! यह चिंताजनक विषय है कि अगर सभी प्रतिभाएं विदेश‌‌ चली जाएंगी तो भारत का‌ विकास कैसे होगा। सभी अगर विदेशों को चले गए तो भारत ‌से‌ अच्छी ‌प्रतिभाएं चली जाएंगी। इस तरह देश की व्यवस्था को चाहिए कि इस पर ध्यान केंद्रित करें और भारत में भी बेहतर व्यवस्था उपलब्ध करायें जो देश के विकास में सहायक हों।

वर्तमान में इंजीनियरिंग करना शिक्षा में एक ट्रेंड सा‌ हो गया है। छात्रों में ‌जैसे होड़ लगी हुई है इंजीनियरिंग और मेडिकल को‌ लेकर। सिर्फ छात्रों में ही नहीं आज हर‌ माता-पिता ‌अपने बच्चे को ‌इंजीनियर‌ या डॉक्टर बनाना चाहते हैं। भारत में इंजीनियरिंग करने वाले छात्र बाहर के देशों में रोज़गार के लिए जा रहे हैं। जिसका कारण यहां की शिक्षा व्यवस्थाओं को माना जा रहा है। पलायन का सबसे बड़ा असर देश के विकास पर पड़ेगा जो प्रतिभावान विद्यार्थियों के चले जाने से होगी।

इंजीनियरिंग, एक ट्रेंड

आज के आधुनिक समय में इंजीनियरिंग एक बहुत बड़ा ट्रेंड बन गई है। भौतिक क्रम से देखा जाए तो इंजीनियरिंग मानव गतिविधियों में सबसे ऊपर हो गया है। इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स की संख्या में भी काफी वृद्धी हुई है। दिन प्रतिदिन दिन इसका प्रचलन बढ़ता ही जा रहा है। कला, सामाजिक विज्ञान, वाणिज्य आदि धाराओं के बाद इंजीनियरिंग शिक्षा अव्यक्त शक्तियों से लदी हुई है।

राष्ट्रीय और विदेशी दोनों स्तरों पर सूचना और प्रौद्योगिकी उद्योग द्वारा इंजीनियरिंग स्नातकों की मांग में विस्फोटक वृद्धि हुई है। आज इंजीनियरिंग अत्यधिक मांग वाला पेशा बन गया है। जैसा कि हम जानते हैं कि इंजीनियरिंग एक व्यापक क्षेत्र है जो रासायनिक, मेकेनिकल, इलेक्ट्रिकल्स, सिविल आदि कई विषयों में विभाजित है। हर विषय में इंजीनियरिंग स्नातकों के लिए खुला व्यापक‌ करियर है। छात्र अपने कौशल और ‌वशेषज्ञता‌ के अनुसार विषयों का‌ चयन‌ करते हैं। भारत में भी इंजीनियरिंग स्नातकों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है।

दुनिया में सकारात्मक बदलाव लाने के अवसर अनंत हैं।  इंजीनियरिंग विशेषतः तकनीकी और व्यावहारिक कौशल का उपयोग करके समस्याओं को हल करने के बारे में है। अतः इस क्षेत्र में काम करने वाले लोग हमारे समाज के भविष्य के विकास में बहुत महत्वपूर्ण हैं।

लेकिन आज यदि हम‌‌ देखें तो भारत के ‌ज्यादातर इंजीनियरिंग छात्र अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद रोज़गार के लिए ‌विदेशों का रुख करते जा रहे हैं। ऐसा क्यों हो रहा है?  इसका क्या कारण है?

क्या भारत के इंजीनियरिंग क्षेत्र में रोज़गारों‌ की कमी है?

आंकड़े की‌ बात‌ करें तो दुनिया भर से सबसे ज्यादा विदेशों को पलायन करने वाले में भारतीय ही‌ हैं। वह सिर्फ रोज़गार के लिए ही नहीं,‌ कई छात्र उच्च शिक्षा के लिए भी जाते हैं। भारतीयों में कुशलता की कमी नहीं है। ये अपनी मेहनत और प्रतिभा के लिए जाने जाते हैं। यही कारण है कि वे जहां भी जाते हैं आसानी से कार्य, संस्कृति और समाज में फिट हो जाते हैं। लेकिन सवाल ये उठता है कि वे पलायन करते क्यों हैं? 

इसका कारण यह है कि लोग अपनी अच्छी जीवनशैली के लिए तथा अपने बच्चों और परिवार को एक अच्छा जीवन देने के लिए विदेशों को जाते हैं। भारत के मुकाबले विदेशों का जीवन यह लोग आसान मानते हैं या नहीं यह कहना मुमकिन नहीं, परन्तु इनके पलायन का मुख्य कारण अधिक पैसे कमाना होता है। लोगों को वहां अधिक अवसर मिलते हैं। विदेशों की‌ कम जनसंख्या, अच्छी सड़कें, कम प्रदूषण, बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं इत्यादि विदेश के जीवन को आसान बनाते हैं। साथ ही साथ वहां की शिक्षा प्रणाली भारत से बेहतर है। बाहर के देशों में वृद्ध नागरिकों के लिए अच्छी सेवाओं की उचित‌ व्यवस्था होती है। और भारत की अधिक जनसंख्या एक मुख्य कारण है कि लोग विदेशों की तरफ रुख़ कर रहे हैं। जनसंख्या के कारण भारत में रोज़गार के अवसर कम मिल पाते हैं। किसी काम के लिए अधिक लोग हैं जिसके कारण प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है। इसी कारण लोग खुद को अवसरों के बाहर पाते हैं दूसरे देशों की ओर देखते हैं।

इसके अलावा भारत में रोजगारों के लिए कम वेतन दिया जाता है। इसी कारण अनुभवी नौकरीपेशा लोग विदेशों की तरफ जाते हैं। उन्हें लगता है कि अधिक वेतन से वे बचत कर सकेंगे और बाद में एक अच्छा जीवन जी सकेंगे।

भारत में परिवारवाद को बढ़ावा दिये जाने के कारण यहां अक्सर उन्हीं को नौकरी के लिए चयन किया जाता है जो ज्ञात हैं ना कि जो प्रतिभावान हैं। इसी कारण यहां प्रतिभावान लोगों में निराशा देखी जाती है और वह विदेशों की ओर चले जाते हैं, जहां उन्हें उनकी प्रतिभा के दम पर अवसर मिलते हैं। ऐसा पाया गया है कि विदेशों में विकास बेहतर है।

वास्तव में एक अच्छा इंजीनियर उस स्थिति तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत करता है, औसतन कम से कम 6 साल (2 साल तैयारी और 4 साल इंजीनियरिंग की पढ़ाई) तब जाकर वह अपनी इस स्थिति के लिए सराहनीय होता है, परंतु उसे वह सम्मान नहीं मिलता जिसके वह काबिल है। भारत के अत्यधिक कार्य स्थलों में भ्रष्टाचार और राजनीति की मात्रा को देखा जा सकता है। यही वजह है कि आज विदेशों में रोजगार के हर क्षेत्र में भारतीय सम्मिलित हैं और उन्हें वह सम्मान भी मिलता है जिसके वह हकदार हैं।