आजादी के 75 साल में, कितना आजाद हुआ देश

Share Us

7624
आजादी के 75 साल में, कितना आजाद हुआ देश
13 Aug 2021
5 min read

Blog Post

आजादी के 75 वर्षों में भारत ने जिस तरह से विश्व में अपनी जगह बनाई, उससे भारत की क्षमता को नकारना नामुमकिन है। प्रत्येक क्षेत्र में देश ने विकास की आधारशिला राखी, जो आगे चलकर देश की मजबूत अर्थव्यवस्था का कारण बनी। विकासशील देश की श्रेणी में खुद को लाना इतना आसान नहीं था, खासकर तब जब शुरुआत एकदम शून्य से की गयी हो। फर्श से अर्श तक पहुँचने का भारत का सफर अपने आप में सफलता की कहानियां बयां करता है। आने वाली पीढ़ियों के लिए भारत की नीतियां प्रेरणा बनेगी और विकासशील देश को विकसित देश में बदलने का प्रयत्न करेंगी।

देश आजादी के 70वें दशक में चल रहा है। आजादी से लेकर अब तक हमारी मातृभूमि ने कई उतार-चढ़ाव का सामना किया है परन्तु वह हमेशा अपने अडिग सिद्धांतों के साथ खड़ी रही। आजादी के इतने दशकों में परिस्थितियां, व्यवस्थाओं और समाज अनेक रूपों में बदला है। आजादी शब्द कितना परिपूर्ण लगता है। इसे ना ही किसी शब्द और ना ही किसी वाक्य को पूरा करने की आवश्कता होती है। इस शब्द ने कई भावनाओं को जन्म दिया था, जो आज भी प्रत्येक देशवासी के अन्दर एक जुनून बन कर बस रहा है। आजादी के समय उत्पन्न हालातों की तुलना यदि आज की परिस्थिति से की जाए तो देश ने अभूतपूर्व बदलाव देखा है। देश को एक क्रांति ने आजादी के मुकाम तक पहुंचाया था तथा आज भी अनेक क्रांति की भावनाओं ने देश को विश्व की विकासशील देश की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया है। उस समय देश को आजादी केवल दूसरे देश से मिली थी परन्तु आज देश अपने विचारों में भी आजाद है। व्यक्ति के अभिव्यक्ति की आजादी उसे समाज में स्थान बनाने और देश को आगे ले जाने में अहम किरदार निभाती है। देश ने प्रत्येक क्षेत्र में खुद को दुनिया के सामने स्थापित किया है और यह साबित किया है कि यदि मनुष्य विश्वास के साथ कोशिश करे, तो कभी असफल नहीं हो सकता है। 

आजादी के बाद चुनैतियां

देश को विकासशील देश बनाने में कई फैसलों का अहम हाथ रहा है। समय-समय पर महत्वपूर्ण मुद्दों पर लिए गए फैसलों ने देश को विकास की तरफ अग्रसर किया है। 1947 में जब देश लोकतांत्रिक देश बना तो उसके सामने गरीबी, असाक्षरता, जात -पात जैसी अन्य भावनाओं से लिप्त देश खड़ा था, जिसे विकास के रास्ते पर लाना बड़ी चुनौती थी। विकास के रास्ते पर चलने के लिए पहले किस रास्ते को साफ-सुथरा करके चलने योग्य बनाया जाए यह समझना मुश्किल था।

देश का संविधान

विकास की दिशा में सबसे पहला कदम देश के संविधान ने रखा, जिसने जाति-धर्म के आधार पर बंटे समाज को एक-बराबर लाने की कोशिश की। आजादी के बाद से व्यक्ति को वोट देने का अधिकार देकर विकास की ओर कदम बढ़ाने की नींव रखी। 1951 में पूरे देश को रेल नेटवर्क से जोड़ा गया, जिसने व्यक्ति को एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने और अपनी इच्छा अनुसार कार्य करने की सुविधा दी। आज भारत विश्व के कुछ सबसे बड़े रेल नेटवर्क में से एक है। आजादी के बाद 1951 में दिल्ली में भारत द्वारा एशियन गेम्स की मेजबानी ने विश्व का ध्यान भारत की ओर खींचा। इसके बाद भारत ने वैज्ञानिक क्षेत्र में सफलता हांसिल करते हुए अपना पहला परमाणु रिएक्टर "अप्सरा" नाम से लॉन्च किया।

गरीबी बहुत बड़ी समस्या

इन सबके बावजूद भारत अभी भी एक बहुत बड़ी बीमारी से जूझ रहा था। देश को गरीबी और भुखमरी ने अपने शिकंजे में जकड़ रखा था। देशवासियों के पास उस समय ना ही रोजगार थे और ना ही पर्याप्त मात्रा में खाने को भोजन। कृषि के क्षेत्र में भारत 1960 में अभूतपूर्व बदलाव का साक्षी बना। देश में हरित क्राति ने दस्तक दी, जिसने कृषि क्षेत्र की दशा और दिशा दोनों ही बदल दी। देश की रीढ़ की हड्डी कहे जाने वाला कृषि क्षेत्र ना केवल अपने लिए बल्कि अन्य देशों के लिए भी अनाजों की आपूर्ति करने में सक्षम हुआ। भारत अब विश्व भर में गेंहू, दाल जैसे अनाजों का निर्यात करने वाला देश बन गया। हरित क्रांति ने देश के किसानों को जैसे नया जीवनदान दिया हो। हरित क्रांति ने देश की अर्थव्यवय्था को मजबूत करने का भी कार्य किया।

 देश में श्वेत क्रांति का प्रवेश

1962 में भारत और चीन के बीच हुई लड़ाई ने भारत के सामने कई चुनौतियों को खड़ा कर दिया था। भारत अभी खुद को संभालने की कोशिश कर ही रहा था कि इस युद्ध ने भारत की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका दिया। इसके बाद 1970 में भारत में श्वेत क्रांति ने दस्तक दी। श्वेत क्रांति के माध्यम से देश विश्व का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश बन गया। दूध की कमी झेल रहे भारत ने दूध उत्पादन को अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का माध्यम बना लिया। श्वेत क्रांति के आने से देश में थोड़ी स्थिरता आई।

विज्ञान के क्षेत्र उपलब्धता

भारत का पहला सेटेलाइट बनाना हो, परमाणु परीक्षण हो या अंतरिक्ष में भारतीय को भेजना हो भारत तकनीकी के क्षेत्र में भी धीरे-धीरे आगे कदम बढ़ा रहा था। व्यवसाय के क्षेत्र में सबसे बड़ा बदलाव आया 1991 में, जब भारत के बाजार को विदेशी निवेश के लिए खोल दिया गया। जिस वक्त विदेशी निवेश के दरवाजे देश के लिए खोले गए, तब देश की आर्थिक स्थिती बहुत खराब थी। उस वक्त महंगाई दर 13.9 फीसदी थी। पिछला महंगाई का रिकॉर्ड 28.6 फीसदी के साथ इससे भी खराब था।   

1991 में भारत में विदेशी कंपनियों के निवेश ने तो जैसे विकास को नया रास्ता दे दिया। इसके बाद भारत औद्योगिक के क्षेत्र में ऊंचाइयों को हांसिल करता गया। 2005 में आम लोगों को किसी भी सरकारी संस्था से जुड़ी जानकारी हांसिल करने का अधिकार देकर सामाजिक स्थिरता की नींव रखी। 2005 में ही देश के मजदूर के लिए मनरेगा एक्ट ने भी विकास की कहानी लिखी, जिसके तहत मजदूरों को 100 दिनों के रोजगार की गारंटी दी। इसके बाद में बच्चों के शिक्षा में भी मजबूत फैसला लेते हुए गैर-सरकारी विद्यालयों में 25 प्रतिशत सीटों को आरक्षित किया गया। 2014 में विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से भारत को पोलियो मुक्त देश घोषित कर दिया। यह भारत के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि थी। इंटरनेट के क्षेत्र में देश बड़ा कदम उठाते हुए देश को GPS की सुविधा दी। अब रास्ते में लोगों से रास्ता पूछने के बजाय व्यक्ति गूगल के माध्यम से रास्ते की जानकारी हांसिल कर सकता था। इकॉनमी के क्षेत्र में भी 2016 और 2017 भारत ने बहुत बड़ा बदलाव देखा जब उसे विमुद्रीकरण(demonetization) और GST ने देश में दस्तक दी। इन दो घटनाओं ने देश की अर्थव्यवस्था के रूप को बहुत बदल दिया। 500 और 1000 नोटों को बंद करके नए 500 के नए नोटों और 2000 के नोटों को बाजार में उतरा गया। GST के माध्यम से अलग-अलग जगहों पर दिए जाने वाले टैक्स अब कुल मिलाकर एक ही जगह पर दिए गए। आज भारत विश्व में पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। देश की इकॉनमी केवल भारत के भविष्य का नहीं बल्कि विदेशों की अर्थव्यवस्था का भी आधार है। इस तरह भारत ने आजादी के कितने उतर चढ़ाव को पार करते हुए खुद को स्थापित किया।