आधुनिक मंडियों से अनाज का नुकसान हुआ कम
News Synopsis
Latest Updated on 03 February 2023
केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय Union Food Secretary Sudhanshu Pandey ने मंगलवार को कहा, कि भंडारण के दौरान खाद्यान्न का नुकसान आधे से घटकर कुल राशि का केवल 0.003% रह गया है। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों Farmers से खरीदे जाने के बाद बर्बाद होने वाले भोजन की मात्रा को कम करने के लिए देश के खाद्य वितरण केंद्रों Food Distribution Centers का आधुनिकीकरण कर रही है। श्री पांडेय ने कहा कि कवर और प्लिंथ प्रणाली Plinth System का उपयोग बंद करने का निर्णय लिया गया है। जिससे भंडारण Storage में नष्ट होने वाले भोजन की मात्रा कम हो जाएगी।
सचिव ने कहा कि हमारे पास कितना भोजन है। इस पर नज़र रखना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यदि हम ऐसा नहीं करते हैं। तो भोजन बर्बाद Food Waste हो सकता है। उन्होंने कहा कि हमारे पास कितना भोजन है। इसका पता लगाने के लिए जमीन पर एक ढांचा बनाकर हमने सरकार को अन्य राज्य खरीद एजेंसियों State Procurement Agencies के माध्यम से भोजन का प्रबंधन करने से रोक दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार मोटे अनाज Coarse Grains जैसे अन्य प्रकार के अनाज के उत्पादन और खरीद पर ध्यान दे रही है।
सचिव ने कहा कि सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम National Food Security Act के माध्यम से अस्सी करोड़ से अधिक लोगों को बहुत सस्ती दरों पर भोजन उपलब्ध करा रही है। यह कानून सरकार Rule of Law को एक से तीन रुपये प्रति किलोग्राम की दर से हर महीने प्रति व्यक्ति पांच किलोग्राम भोजन उपलब्ध कराने की अनुमति देता है। कोविड Covid महामारी के दौरान सरकार ने 10 करोड़ टन खाना बांटा।
Last Updated on 15 September 2021
मंडियों में अनाज के भण्डारण में सुव्यवस्थित व्यवस्था ना होने के कारण अनाज को बहुत नुकसान होता था। कारण यह था कि जिस तरह से अनाजों का भण्डारण किया जाता है, उससे अनाज को अधिक क्षति होती थी। ज्यादा समय के लिए भंडारण में अनाज के सड़ने का अधिक खतरा रहता है। अब मंडियों को भी आधुनिकीकरण से जोड़ कर अनाज के भण्डारण के लिए नए तरीकों को अपनाया जा रहा है। इससे अनाज को कम नुकसान हो रहा है। अब आधुनिक मंडियों के कारण अनाज में होने वाले नुकसान में कमी आयी है। अब अनाज के भण्डारण पुराने तरीके को पूर्ण रूप से बंद कर दिया गया है। केंद्रीय खाद्य सचिव के अनुसार भण्डारण में बदलाव के कारण नुकसान की प्रतिशतता 0.003 रह गयी है जो कि अब तक 0.006 थी। गौरतलब है कि यदि अनाजों की कम क्षति होती है तो अनाजों की उपलब्धता अधिक रहेगी। इससे आम इंसानों की जेब पर भी असर पड़ेगा क्योंकि अनाज की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता के कारण उन्हें सस्ते दामों पर अनाज मिलेगा।