मिट्टी की ख़ुश्बू

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मिट्टी की ख़ुश्बू
31 Jul 2021
9 min read

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पेंड़ पौधों को विकसित होने के लिए मिट्टी का अच्छा होना बहुत महत्वपूर्ण है। हम ऐसे कुछ तरीके लाये हैं जिससे अब गमलों की मिट्टी के लिए नर्सरी पर आधारित नहीं होना पड़ेगा। घर पर जैविक तरीके से पोषक मिट्टी कैसे बनायें ? इसको जानने के लिए ये लेख आपके लिए काफी मददगार होगा। तो देर किस बात की है आज ही पढ़ें।   

अक्सर लोग नर्सरी से गमले, मिट्टी, खाद, और फ़र्टिलाइज़र खरीद लाते हैं और माली को इन्हें तैयार करके पौधे लगाने का काम सौंप देते हैं। फिर कुछ समय बाद देखते हैं कि पौधे खराब हो रहे हैं और इन्हें बचाने के लिए वे मिट्टी बदलते हैं। जबकि मिट्टी ऐसी चीज है, जो खराब नहीं होती, बल्कि आपको इसमें सही और जैविक चीजें मिलाकर इसमें पोषण और गुणवत्ता बढ़ाने की जरूरत होती है। सबसे अच्छी बात यह है कि आपको इस काम के लिए बाजार से कुछ खरीदने की जरूरत नहीं है, बल्कि आप थोड़ी-सी मेहनत करके सभी चीजें खुद इकट्ठा कर सकते हैं।

बड़े शहरों में अपने घरों में बागवानी के इच्छुक लोगों को जगह की समस्या आती है। खासकर फ्लैट्स में रहने वाले लोग, जिनकी बालकनी या छत पर सीमित जगह होती है। ऐसे में, सबसे अच्छा तरीका है कि आप गमलों या कंटेनर में पेड़-पौधे लगाएं। लेकिन बहुत से लोगों को लगता है कि गमलों या कंटेनर में औषधीय पौधे, सब्जियां या फलों के पौधे विकसित नहीं होते हैं। जबकि यह बात सही नहीं है। आप बेहद आसान तरीके से गमलों में साग -सब्जी से लेकर औषधीय पौधे उगा सकते हैं। इसके लिए सबसे जरूरी है ,गमले के लिए मिट्टी की तैयारी। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि किस तरह आसानी से आप अपने गमले के लिए पोषक मिट्टी तैयार कर सकते हैं। 

1. सामान्य मिट्टी: 

 आपके इलाके में अगर किसी के यहां बोरवेल हो रहा हो या अन्य किसी काम के लिए मिट्टी की खुदाई जारी हो, तो आप वहां से मिट्टी ला सकते हैं। इसके अलावा, आप नर्सरी से भी मिट्टी खरीद सकते हैं। 

2. जैविक खाद: 

कोशिश करें कि आप अपने घर की रसोई से निकलने वाले फल -सब्जियों के छिलके या अन्य जैविक कचरे को फेंकने की बजाय घर में ही इससे खाद बना लें। अगर आपके पास घर की खाद उपलब्ध नहीं है, तो आप नर्सरी से जैविक खाद ले सकते हैं। 

3. कोकोपीट: 

अगर आप चाहें, तो कोकोपीट ऑनलाइन खरीद सकते हैं। लेकिन अगर आपके आसपास कोई नारियल बेचता है, तो आप उनसे नारियल के छिलके  ले आएं और इनका उपयोग करें। 

4. सूखे पत्ते: 

आपको किसी भी सार्वजनिक पार्क में सूखे पत्ते मिल जायेंगे या फिर सड़क किनारे लगे पेड़ों से भी बहुत से पत्ते गिरते हैं। इन्हें आप इकट्ठा करके रख लें क्योंकि सूखे पत्ते बागवानी में बहुत काम आते हैं। 


5. नीमखली: 

अगर आपके आसपास कोई नीम का पेड़ है, तो आप इस पेड़ से गिरने वाले पत्तों, निम्बोली और टहनियों को इकट्ठा करके इस्तेमाल में ले सकते हैं।

 

6. छोटे पत्थर या बजरी: 

गमले या कंटेनर में छोटे पत्थरों या बजरी की एक परत बिछाकर, तले के छेद को ढकना चाहिए। ऐसा करने से पानी गमले में ठहरता नहीं है और पौधे की जड़ें स्वस्थ रहती हैं। याद रहे कि आप इस्तेमाल से पहले पत्थरों या बजरी को अच्छे से धो लें। 

7. जैविक तरल खाद: 

आप प्याज और केले के छिलकों को कुछ दिन पानी में भिगोकर रखें। अब इस पानी को छान लें। आपकी तरल खाद तैयार है, जिसे आप सामान्य पानी में मिलाकर इस्तेमाल कर सकते हैं। 

ऐसे तैयार करें घर पर बागवानी के लिए मिट्टी: 

1. अब सबसे पहले आप गमले में छोटे पत्थरों या बजरी से दो इंच की परत इस प्रकार बिछाएं कि छेद में से एक्स्ट्रा पानी निकल जाए। 

2. दूसरी परत, सूखे पत्तों की बनाएं। 

3. अब मिट्टी, जैविक खाद और कोकोपीट को बराबर मात्रा में मिलाएं। इस मिश्रण में आप नीमखली भी मिला लें। अच्छे से मिलाने के बाद तैयार मिश्रण को सूखे पत्तों की परत के ऊपर डालें और गमले को भर दें। 

4. मिट्टी से गमले को भरने के बाद, इसके ऊपर आप फिर से एक परत सूखे पत्तों की बिछाएं। 

5. अब इस गमलें में तैयार मिट्टी पर ऊपर से आप जैविक तरल खाद का छिड़काव करें, जो आप प्याज या केले के छिलकों को एक हफ्ते तक पानी में भिगोकर तैयार कर सकते हैं। 

6. अब 4-5 दिन तक इस गमले को अलग रख दें। 

लगभग पांच दिन बाद, आपका गमला बीज बोने के लिए एकदम तैयार हो जाता है।  इस तरह से मिट्टी तैयार करके पौधे लगाने पर आपको अलग से कोई रासायनिक खाद या स्प्रे करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इससे आप गमलों में भी अच्छे से पौधे लगा सकते हैं। यह मिट्टी लगभग सभी तरह के पेड़-पौधों के लिए उपयुक्त है। 

TWN का उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा लोगों, खासकर कि युवाओं को जैविक और गौ-आधारित खेती से जोड़ना है। तो देर किस बात की, आज से ही शुरू करें मिट्टी तैयार करना ताकि बारिश के मौसम में आप गमलों में आसानी से उगा सकें ढेर सारे पेड़-पौधे। पर्यावरण की दृष्टि से यह बहुत अच्छा भी है, क्यों कि हम चीज़ों को रीसाइकल करके प्लास्टिक मुक्त वातावरण को बढ़ावा दे रहे हैं। कितना अच्छा होगा जब हमारी यह सोच सब तक पहुंचेगी।