जैविक खेती से मिलते व्यवसाय के रास्ते

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जैविक खेती से मिलते व्यवसाय के रास्ते
31 Jul 2021
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इस माध्यम का इस्तेमाल करके किसान कम लागत के साथ अच्छा मुनाफा कमा सकता है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि हम इसके माध्यम से महंगे रसायनों से बच सकते है। ऊर्जा खपत की परेशानी से भी बचा जा सकता है। जैविक खेती हमें एक स्वस्थ और प्रदूषणरहित दुनिया की ओर ले जाने की कोशिश करता है। कभी-कभी व्यवसाय के लिए ज्यादा लागत लगने के कारण व्यवसाय शुरू न कर पाने वाले व्यक्ति इसे आसानी से प्राकृतिक सुविधाओं के साथ शुरू कर सकते हैं।

विश्व बढ़ते टेक्नोलॉजी और आधुनिक औद्योगिक कृषि के साथ नए दौर में प्रवेश कर रहा है। सब्जी, फलों आदि जैसे वस्तु कृषि के माध्यम से उत्पन्न होने वाले उत्पादों की वृद्धि के लिए कई तरह के एंटीबायोटिक दवाओं, केमिकल कीटनाशकों और स्टेरॉयड के इस्तेमाल किये जा रहे हैं। विश्व में उत्पादों की बढ़ती मांग के साथ नॉन-जैविक तरीकों से उत्पादों की आपूर्ति किये जाने की कोशिश की जा रही है। इस तरीके से उत्पादों की आपूर्ति तो हो जाती है पर इससे लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है , इससे कई तरह की बीमारियां तो होती हैं साथ में पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचता है। बिगड़ते स्वास्थ्य और पर्यावरण के कारण मनुष्य अब जैविक तरीकों से खेती करने की ओर रुख कर रहा है। रसायनों के इस्तेमाल से फसलों की पोषकता ख़त्म होने लगती है और लम्बे समय तक उनका उत्पादन भी नहीं किया जा सकता है। जैविक उपायों से खेती करने के लिए नए-नए तरीकों की खोज की जा रही है। खेती के नए तरीकों से लोगों को नए व्यवसाय के रास्ते मिल रहे। खेतों की उर्वरता भी बढ़ रही साथ में मनुष्य को स्वस्थ स्वास्थ्य के साथ अपना खुद का व्यवसाय करने का भी मौका मिल रहा है। बदलते दौर में जैविक खेती ने लोगों की जीविका के साथ जीने का तरीका भी बदला है। 

जैविक खेती में हम खेती में उत्पादों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए रासायनिक उर्वरकों, एंटीबायोटिक कीटनाशकों, ट्रांसजेनिक प्रजातियों और स्टेरॉयड का इस्तेमाल नहीं करते। हम इसमें प्राकृतिक तरीकों से खेती करते हैं। जैविक खेती को २०वीं शताब्दी में औद्योगिक कृषि के कारण हो रहे हानिकारक प्रभाव से बचने के लिए विकसित किया गया। इस प्रयोग से हम मिटटी की उर्वरता में होने वाली कमी को दूर करते हैं। जैविक खेती जानवरों और पेड़-पौधों के कचरे से और नाइट्रोजन फिक्सिंग के जरिये जैविक उर्वरक का निर्माण करके उनके इस्तेमाल से किया जाता है। इस क्रिया से पर्यावरण को होने वाले नुकसान से भी बचाया जाता है। 

जैविक खेती उन सिद्धांतों पर कार्य करती है, जिनमें रासायनिक पदार्थों का प्रवेश वर्जित है।  केवल फसल रोटेशन, जैविक अपशिष्ट, जैविक कीट नियंत्रण, हरी खाद जैसे तरीकों का ही इस्तेमाल खेती के लिए किया जा सकता है। स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियों से जुझने के कारण आज प्रत्येक व्यक्ति पोषक आहार की मांग कर रहा है। पोषक आहार की मांग बढ़ने के कारण इसके उत्पादन में वृद्धि होने लगी है। अपनी सुविधा के अनुसार अधिकतम लोग इसे अपना व्यवसाय बना रहे हैं, जिसमें उन्हें उनकी लागत से ज्यादा फायदा भी हो रहा है। जैविक डेरी फार्मिंग के माध्यम से हम प्राकृतिक प्रक्रियाओं और जैविक फीड़ का उपयोग कर के गायों का पालन करके एक अच्छा व्यवसाय शुरू कर सकते हैं। आर्गेनिक फिश फार्मिंग, जैविक पशुधन खेती, ओर्गानिक हब ग्रोइंग जैसे कई व्यवसाय हम शुरू कर सकते हैं।   

एक स्तर पर विकाशशील देशों ने जैविक खेती को उतनी मान्यता नहीं दी है। परन्तु छोटे पैमाने पर काम करने वाले किसानों के लिए प्रमाणीकरण उतना महत्व नहीं रखता है। जैविक खेती किसानों को बाजार के साथ सीधे उपयोगकर्ताओं से जोड़ता है। पशु-पालन से लेकर पौधों के उत्पादन के साथ यह किसानों, माल वाहकों जैसे छोटे-बड़े व्यापारियों के लिए रोजगार का जरिया बनता है।   

व्यवसाय में फायदे के लिए अपनाएं यह तरीके 
जैविक खेती के जरिये उत्पादों के सही उत्पादन के लिए कुछ बातों का ध्यान देने से व्यवसाय में मुनाफा कमाया जा सकता है। जैविक खेती में इस्तेमाल होने मृदा पर खासकर ध्यान देना होता है। मिट्टी के प्रबंधन को नज़रअंदाज करने से व्यवसायिओं नुकसान हो सकता है।  मृदा को पोषक तत्व देने के लिए समय-समय पर पशुओं के कचरों का इस्तेमाल करना चाहिए, जिसमें मौजूद बैक्टीरिआ मृदा के पोषक तत्व को बढ़ाते हैं। जिससे मिटटी अधिक उत्पादक बनती है।  खेती के लिए इस्तेमाल होने वाले उर्वरक का भी उपयोग एक निश्चित मात्रा में किया जाना चाहिए वर्ना इससे फसल की पैदावार में कमी आने और पर्यावरण के प्रदूषित होने का  खतरा बढ़ जाता है। तालाबों आदि में जैविक खाद का इस्तेमाल उर्वरक के रूप और उसके नमी पर निर्भर करता है। जैविक खेती में हमें फसल चक्र का ध्यान रखना चाहिए ताकि फसलों का उत्पादन कम ना हो। एक ही स्थान पर कुछ समय बाद पैदा किये जाने फसल को बदल देने पर पैदावार में कमी नहीं आती, कीटों से पौधों को सुरक्षित रख पाना, साथ में कूड़ा इकठ्ठा होने और पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाया जा सकता है।  फसलों पर कीड़े लगने से पौधों की गुणवत्ता ख़राब हो जाती है, जिसके कारण फसलों के इस्तेमाल में परेशानी आती है। इस परेशानी से बचने के लिए प्राकृतिक कीटनाशक जीवाणुओं का उपयोग किया जाना चाहिए। जैविक खेती के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण फैक्टर यह है की खेती किसी स्वच्छ जल स्रोत के पास होनी चाहिए।