वर्तमान समय में भारत आजादी का अमृत महोत्सव AZADI KA AMRIT MAHOTSAV मना रहा है। 15 अगस्त को लेकर आजाद भारत में इस वक्त हर घर तिरंगा HAR GHAR TIRANGA मुहिम की शुरूआत भी की गई है। जो आज हम आजाद भारत Free India में सांस ले रहे हैं ये इतना आसान नहीं था। भारत से अंग्रेजों British को खदेड़ने के लिए हमारे पूर्वजों ने हजारों कुर्बानियां sacrifices दी, तब जाकर हमें ये आजादी हासिल हुई है। भारत की आजादी के लिए देश के कई वीर सपूतों brave sons ने अंग्रेजो से लोहा लेते हुए फांसी के फंदे को चूमा हैं।
इन्हीं वीर सपूतों में से एक भारत के लाल राजगुरु थे। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम Indian freedom struggle के सबसे बड़े योद्धाओं में एक थे शिवराम हरि राजगुरु Shivram Hari Rajguru। वे भगत सिंह और सुखदेव के साथ हंसते-हंसते फांसी के फंदे को चूम गए। राजगुरु ने चंद्रशेखर आजाद Chandrashekhar Azad के सानिध्य में भगत सिंह, सुखदेव Bhagat Singh and Sukhdev जैसे क्रांतिकारियों के साथ मिलकर अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए थे। शिवराम हरि राजगुरु का जन्म पुणे Pune के पास खेड़ नामक गांव (वर्तमान में राजगुरु नगर) में हुआ था।
बचपन से ही राजगुरु के अंदर जंग-ए-आज़ादी में शामिल होने की ललक थी। वे महाराष्ट्र Maharashtra के देशाथा ब्रह्मण परिवार से थे। उनके परिवार का शांत साधारण जीवन था, लेकिन उनके जीवन में अशांति तब आयी, जब होश संभालते ही उन्होंने अंग्रेजों के जुल्म को अपनी आंखों के सामने होते देखा। शहीद भगत सिंह का नाम कभी अकेले नहीं लिया जाता, उनके साथ राजगुरु और सुखदेव का नाम भी बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है।
शिवराम हरि राजगुरु ने भारत माता को गुलामी की जंजीरों में जकड़ने वाले अंग्रेजों के एक पुलिस अधिकारी Police Office को मार गिराया था। भगत सिंह और सुखदेव के साथ ही राजगुरू को 23 मार्च 1931 को भारत माता के लिए हंसते-हंसते फांसी के फंदे को चूम लिया और हमेशा के लिए अमर हो गए।