Mutual Funds: सेबी SEBI के नए नियम के मुताबिक म्यूचुअल फंड Mutual Funds यूनिटधारकों को तय अवधि में लाभांश नहीं देने पर ब्याज भरना पड़ेगा। पूंजी बाजार नियामक सेबी ने म्यूचुअल फंड यूनिटधारकों के लाभांश और यूनिट बेचने से प्राप्त राशि के भुगतान मामले में संपत्ति प्रबंधन कंपनियों Asset Management Companies (एएमसी) के लिए नए नियमों को अधिसूचित किया है। नए नियम 15 जनवरी से लागू होंगे। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड Securities and Exchange Board of India (सेबी) ने बृहस्पतिवार को एक अधिसूचना में जानकारी देते हुए कहा है कि नए नियम के तहत प्रत्येक म्यूचुअल फंड व एएमसी Mutual Funds and AMCs को यूनिटधारकों को लाभांश भुगतान और यूनिट भुनाने या पुनर्खरीद राशि सेबी की तरफ से तय अवधि के भीतर हस्तांतरित करनी होगी।
इसमें देरी पर संबंधित एएमसी को विलंब के अनुसार ब्याज भुगतान करना होगा। ब्याज भुगतान के बावजूद एएमसी के खिलाफ इस देरी के लिए कार्रवाई की जा सकती है। वहीं, सेबी ने चरणबद्ध तरीके से खुले बाजार सौदों के जरिये शेयर पुनर्खरीद व्यवस्था Share Buyback Mechanism समाप्त करने के साथ समय अवधि घटाने का प्रस्ताव किया है। मौजूदा शेयर पुनर्खरीद प्रणाली की खामियां दूर करने के लिए यह कदम उठाया गया है। ये प्रस्ताव सेबी के परामर्श पत्र का हिस्सा है। इस पर एक दिसंबर तक सुझाव मांगे गए हैं। पुनर्खरीद प्रक्रिया के लिए अवधि को अप्रैल, 2023 से कम कर 66 दिन किया जा सकता है। फिर से अप्रैल, 2024 से 22 कामकाजी दिवस किया जा सकता है।
वहीं दूसरी तरफ बैंकों Banks, वित्तीय संस्थानों Financial Institutions और दबाव वाली कंपनियों के अन्य लेनदारों ने सितंबर तक दिवालिया समाधान प्रक्रियाओं Insolvency Resolution Processes के जरिये 2.43 लाख करोड़ रुपये की वसूली की है। भारतीय दिवालिया एवं ऋणशोधन अक्षमता बोर्ड Insolvency and Bankruptcy Board of India के अनुसार, कंपनियों के पास उपलब्ध परिसंपत्तियों का उचित मूल्य अनुमानित 2.14 लाख करोड़ रुपये था। ऋणदाताओं के 7.91 लाख करोड़ के कुल दावों के मुकाबले 1.37 लाख करोड़ का परिसमापन मूल्य हासिल हुआ था।
LAST UPDATEED-18 Nov 2022
Mutual Fund: म्यूचुअल फंड यूनिटधारकों को तय अवधि में लाभांश न देने पर भरना होगा ब्याज
Mutual Funds: सेबी SEBI के नए नियम के मुताबिक म्यूचुअल फंड Mutual Funds यूनिटधारकों को तय अवधि में लाभांश नहीं देने पर ब्याज भरना पड़ेगा। पूंजी बाजार नियामक सेबी ने म्यूचुअल फंड यूनिटधारकों के लाभांश और यूनिट बेचने से प्राप्त राशि के भुगतान मामले में संपत्ति प्रबंधन कंपनियों Asset Management Companies (एएमसी) के लिए नए नियमों को अधिसूचित किया है। नए नियम 15 जनवरी से लागू होंगे। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड Securities and Exchange Board of India (सेबी) ने बृहस्पतिवार को एक अधिसूचना में जानकारी देते हुए कहा है कि नए नियम के तहत प्रत्येक म्यूचुअल फंड व एएमसी Mutual Funds and AMCs को यूनिटधारकों को लाभांश भुगतान और यूनिट भुनाने या पुनर्खरीद राशि सेबी की तरफ से तय अवधि के भीतर हस्तांतरित करनी होगी। इसमें देरी पर संबंधित एएमसी को विलंब के अनुसार ब्याज भुगतान करना होगा। ब्याज भुगतान के बावजूद एएमसी के खिलाफ इस देरी के लिए कार्रवाई की जा सकती है।
वहीं, सेबी ने चरणबद्ध तरीके से खुले बाजार सौदों के जरिये शेयर पुनर्खरीद व्यवस्था Share Buyback Mechanism समाप्त करने के साथ समय अवधि घटाने का प्रस्ताव किया है। मौजूदा शेयर पुनर्खरीद प्रणाली की खामियां दूर करने के लिए यह कदम उठाया गया है। ये प्रस्ताव सेबी के परामर्श पत्र का हिस्सा है। इस पर एक दिसंबर तक सुझाव मांगे गए हैं। पुनर्खरीद प्रक्रिया के लिए अवधि को अप्रैल, 2023 से कम कर 66 दिन किया जा सकता है। फिर से अप्रैल, 2024 से 22 कामकाजी दिवस किया जा सकता है। वहीं दूसरी तरफ बैंकों Banks, वित्तीय संस्थानों Financial Institutions और दबाव वाली कंपनियों के अन्य लेनदारों ने सितंबर तक दिवालिया समाधान प्रक्रियाओं Insolvency Resolution Processes के जरिये 2.43 लाख करोड़ रुपये की वसूली की है।
भारतीय दिवालिया एवं ऋणशोधन अक्षमता बोर्ड Insolvency and Bankruptcy Board of India के अनुसार, कंपनियों के पास उपलब्ध परिसंपत्तियों का उचित मूल्य अनुमानित 2.14 लाख करोड़ रुपये था। ऋणदाताओं के 7.91 लाख करोड़ के कुल दावों के मुकाबले 1.37 लाख करोड़ का परिसमापन मूल्य हासिल हुआ था।